अजीबो गरीब हो सकते हैं इंसान के सेक्सुअल रुझान, जाने कुछ के बारे में
एसेक्शुअल भी होते हैं
जीहां दुनिया में सेक्स के दीवाने ही नहीं होते ऐसे भी लोग होते हैं जिन्हें सेक्स में कोई रुचि होती ही नहीं। वे किसी लिंग के व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने में रुचि नहीं रखते। ऐसे लोगों को एसेक्शुअल कहते हैं।
सेपियोसेक्शुअल का अलग हैं अंदाज
जीहां किसी भी इंसान की बौद्धिक समृद्धि से प्रभावित हो कर कुछ लोग उसकी ओर सेक्सुअली अट्रैक्ट हो जाते हैं, यानि उन्हें सिर्फ बेहद बुद्धिमान लोगों से ही शरीरिक संबंध बनाने में मजा आता है। ऐसे लोगों को सेपियोसेक्शुअल कहते हैं।
डेमीसेक्शुअल भी होते हैं खास
कहते हैं कुछ लोगों के सीने में दिल ही नहीं होता और वहीं कुछ लोग इतने भावुक होते हैं कि उनका दिल हथेली पर होता है। ऐसे लोग उसी के साथ शारीरिक नजदीकियां बढ़ाते हैं जिससे वो भावनात्मक रूप से पूरी तरह जुड़े होते हैं। इन्हें आप और हम आम भाषा में आर्दशवादी कहते ळैं पर दरसल ये होते हें डेमीसेक्शुअल।
पैनसेक्शुअल जो सबसे करे प्यार
कुछ को प्यार ही नहीं होता और कुछ इस कदर प्यार में डूबे होते ळैं कि हर लिंग के व्यक्ति के साथ दैहिक रूप से अट्रैक्ट हो जाते हैं। यानि वो चयन इस बात को लेकर नहीं करते कि वो मर्द है या औरत बस जो भागया वो ही उनका सेक्स पार्टनर बन जाता है। ऐसे लोग होते ळैं पैनसेक्शुअल।
पॉलीसेक्शुअल जो हो बिलकुल उल्टा
यानि पॉलीसेक्शुअल होता है पैनसेक्शुअल का उल्टा उसे एक खास लिंग के लोग पसंद आते हैं। अब वो मर्द होगा या औरत या उभयलिंगी ये निश्चित नहीं होता इनमें से जिससे उसे प्यार हो जाये वो उसी से शारीरिक रूप से जुड़ जाते हैं।
पलड़े पर ऊपर नीचे यानि जेंडर फ्लूइड
ये वो लोग होते हैं जो किसी भी समय महिला की तरह व्यवहार करने लगते हैं और किसी समय पुरुष की तरह और उस मानसिकता में उसी हिसाब से दैहिक संबंध बनाते हैं।
स्कॉलियोसेक्शुअल यानि जेंडर फ्लूइड के आशिक
अब आप समझ ही गए होगे जो लोग जेंडर फ्लूइड लोगों की ओर आकर्षित हो कर उनसे संबंध बनाते हैं वो कहलाते हैं स्कॉलियोसेक्शुअल।
लिथरोमांटिक को नहीं चाहिए प्यार के बदले में प्यार
जीहां दुनिया में ऐसे भी निस्वार्थ प्रेमी होते हैं जो प्यार करते हैं और शारीरिक संबंध भी बनाते हैं पर अपने प्यार के बदले सामने वाले से प्यार की अपेक्षा नहीं करते। मतलब उनको चीटिंग का टेंशन ही नहीं होता।
बस औरत ही चाहिए गाइनीसेक्शुअल को
जी हां कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप का जेंडर क्या है बस आपको शारीरिक संबंधों के लिए औरतों में ही रुचि होती है ऐसे लोगों को गाइनीसेक्शुअल कहते हैं फिर वो औरत हों मर्द हों इससे कोई अंतर नहीं पड़ता।
मर्दो को चुनते हैं ऐंड्रोसेक्शुअल
ये बिलकुल ऊपर वाली कैटेगरी के विपरीत है। ऐसे लोग जिन्हें किसी हालत में बस मर्दों से ही रिश्ता बनाना हो भले ही वो किसी भी जेंडर के हों उनकी कामन श्रेणी होती है ऐंड्रोसेक्शुअल।