स्‍माइलिंग बुद्धा यानि पोखरण 1 भारत द्वारा किए गए पहले सफल परमाणु परीक्षण का कोडनेम था। यह परीक्षण आज ही के दिन यानि 18 मई 1974 को पोखरण राजस्थान में भारतीय सेना के पोखरण टेस्ट रेंज पर सेना के वरिष्ठ अफसरों की निगरानी में किया गया। आइये जाने भारत की इस कामयाबी के सफर के पांच महत्‍वपूर्ण कदम।

पहला आधिकारिक भारतीय परमाणु परिक्षण
करीब 43 साल पहले किया गया पोखरण 1 इस  मामले में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र के पांच स्थायी सदस्य देशो के अलावा किसी अन्य देश द्वारा किया गया पहला परमाणु हथियार परीक्षण था। हालाकि आधिकारिक रूप से भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे शांतिपूर्ण परमाणु बम विस्फोट बताया, लेकिन वास्तविक रूप से यह भारत के एक्सलेरेटेड परमाणु कार्यक्रम का हिस्सा था।
शांतिपूर्ण विकास कार्यक्रम का हिस्सा
1947 में भारत के आज़ाद होने के बाद ही तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने अपने परमाणु कार्यक्रम की जिम्मेदारी होमी जे भाभा को सौंपी थी, जब उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना की। उस समय "परमाणु उर्जा एक्ट " का मुख्य उद्देश्य शांतिपूर्ण विकास करना था, क्योंकि भारत शुरुआत से ही परमाणु अप्रसार संधि के पक्ष में था। 1954 मे भाभा ने परमाणु कार्यक्रम को शस्त्र निर्माण की तरफ मोड़ा और दो महत्वपूर्ण बुनियादी ढ़ांचो पर काम किया। पहला ट्रोमबे परमाणु उर्जा केंद्र (मुंबई) की स्थापना, दूसरा एक सरकारी सचिवालय, परमाणु उर्जा विभाग (DAE)। 1959 के आते आते DAE को रक्षा बजट का एक तिहाई भाग स्वीकृत हो गया। 1962 तक भारतीय परमाणु कार्यक्रम अपनी कुछ उपलब्धियों के साथ धीमी गति से चलता रहा। 1971 में भारत पाक युद्ध तक भारतीय परमाणु कार्यक्रम पहली प्राथमिकता नहीं था
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1971 में मिली गति
दिसंबर 1971 में पहली बार तय किया गया कि अब परमाणु कार्यक्रम को पहली पायदान पर लाया जाए। क्योंकि जब अमेरिका ने पाक सेना की मदद के लिए अपना जहाजी बेड़ा रवाना किया था तो सोवियत संघ ने अपने परमाणु मिसाइल से युक्त जहाज से ही उन्हें रोक कर भारत की मदद की थी। तब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में होमी भाभा के साथ भौतिकशास्त्री राजा राम्मना ने परमाणु अस्त्रों के निर्माण संबंधी कार्यक्रम में अपना सक्रिय योगदान दिया। उन्होंने ही परमाणु हथियारों की वैज्ञानिक तकनीक को और ज्यादा एडवांस बनाया बाद में पोखरण -1 के लिए गठित पहली साइंटिस्ट की टीम के मुखिया भी बने।
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1972 में मिली आगे बढ़ने की हरी झंडी
2 अक्टूबर 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने परमाणु हथियारों के परिक्षण के लिए तैयारियों को अपनी सहमति प्रदान की। इसके बाद ये तय किया गया कि ये परिक्षण कैसा, कहां और कब होगा। जिसमें तय हुआ कि यह एक प्लूटोनियम इम्प्लोज़न डिजाइन 15 किलो टन का होगा। जिसे एक बम या मिसाइल द्वारा एक वॉर-हेड के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा।
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बुद्ध जंयती के चलते पड़ा नाम स्माइलिंग बुद्धा
इस बीच एक वजह चीन भी बना जब उसके द्वारा 1967 में एक और परमाणु परीक्षण किया गया। इसी दवाब में भी परमाणु हथियारों के निर्माण की ओर भारत को निर्णय लेना पड़ा और 18 मई 1974 में उसने अपना पहला परमाणु परीक्षण स्माइलिंग बुद्ध यानि पोखरण 1 किया। इस परक्षण का नाम स्माइलिंग बुद्धा रखने के पीछे भी एक कहानी है। पहली वजह तो ये थी भारत ने इसे अपने शांतिपूण कार्यक्रमों के रूप में दुनिया के सामने रखा था और दूसरी वजह थी कि उस दिन महात्मा गौतम बुद्ध का जन्म दिन यानि बुद्ध पूर्णिमा थी।

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Posted By: Molly Seth