Movie preview : यहां पानी की कीमत पैसे के समान
दो गांवों की कहानी
पानी जैसे गंभीर विषय पर व्यंगात्मक तरीके से कहानी बनाना फिल्म निर्देशक नीला माधब पांडा को अच्छी तरह से आता है। इसीलिए फिल्म कौन कितने पानी में एक कहानी के साथ-साथ व्यंग्य भी है। इसकी कहानी उड़ीसा से शुरु होती है जहां पानी के हालात कुछ ठीक नहीं है। यहां के दो गांव पानी को लेकर पिछले कई दशकों से झगड़ रहे हैं जहां पानी को रोजमर्रा के जीवन में मुद्रा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
एक ऊंचा गांव तो दूसरा नीचा
इस फिल्म में दो गांव दिखाए जाते हैं, एक गांव ऊंचाई पर स्थित है तो दूसरा नीचे। शुरुआत में केवल एक ही गांव था, जो संपन्न और सामाजिक तौर पर आधुनिक होता था। लेकिन ऊंचाई स्थित गांव से सजा के तौर पर बाहर निकाल गए लोग नीचे आकर बस जाते हैं और एक नया गांव तैयार हो जाता है। इस बीच 30 साल पहले, दो अलग जातियों में उपजे प्यार के चलते कामगारों को ऊपरी गांव से निकाल दिया जाता है और इस प्रकार निचले गांव की स्थापना होती है। इस गांव के लोग पानी के रखरखाव में होशियार होते हैं और समय बीतने पर कृषि और अन्य व्यवसायों से अमीर हो जाते हैं।
फिर आती है है प्रेम कहानी
जब नीचे वाले गांव में पानी ज्यादा रहता है और ऊपर वाले गांव में पानी की कमी हो जाती है तो उस गांव का राजा नई चाल चलता है। वह नीचे वाले गांव में पानी कब्जाने के लिए अपने लड़के को भेजता है। हालांकि वह लड़का नीचे जाकर जब पूरे हालात से रूबरू होता है तो वह स्िथति को संभालने के लिए कई कोशिशें करता है। इस बीच वहां रह रही एक लडकी से उसे प्यार हो जाता है। यह फिल्म एक सामान्य प्रेम कहानी को केंद्र में लेकर व्यंग्यात्मक रूप से बनाई गई है जहां पानी की कीमत पैसे के समान है।