कर्नाटक संकट : सीएम कुमारस्वामी ने पेश किया विश्वास मत, सदन में गर्मागर्म बहस जारी
बेंगलुरु (आईएएनएस)। कर्नाटक में फ्लोर टेस्ट से पहले मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने विधानसभा में अपनी जेडीएस- कांग्रेस गठबंधन सरकार के बहुमत को सिद्ध करने के लिए सदन में विश्वास मत प्रस्ताव पेश किया। गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने मुख्यमंत्री को बहस और परीक्षण के लिए प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया। कुमारस्वामी ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा, मैं यह साबित करने के लिए विश्वास मत प्रस्ताव पेश करता हूं कि हमारे सत्तारूढ़ जेडीएस- कांग्रेस गठबंधन के पास सदन में बहुमत है। इसके बाद विश्वास मत पर कर्नाटक विधानसभा में बहस जारी हो गई। सदन में काफी गर्मागर्मी का माहाैल बना है। येदियुरप्पा बोले हमारे पास बहुमत
वहीं न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक फ्लोर टेस्ट से पहले कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता येदियुरप्पा ने दावा किया है कि हम 101 फीसदी आश्वस्त हैं और राज्य सरकार पीछे है। येदियुरप्पा ने विधान सभा में मीडियाकर्मियों से कहा, "हम 101 प्रतिशत आश्वस्त हैं। वे 100 से कम हैं। हम 105 हैं। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन हार जाएगा। गुरुवार को फ्लोर टेस्ट के लिए राज्य विधानसभा कांग्रेस, भाजपा और जद (एस) के नेता सुबह से ही पहुंचने लगे हैं।सत्र की शुरुआत से लगभग एक घंटे पहले येदियुरप्पा भाजपा विधायकों के साथ व कांग्रेस नेता सिद्धारमैया भी पहुंचे।सरकार के पक्ष में ही वोटिंग करेंगेबीजेपी जेडीएस -कांग्रेस गठबंधन से सत्ता हासिल करने के लिए आश्वस्त दिख रही है। वहीं एच डी कुमारस्वामी ने बुधवार को जेडी (एस) के सभी 37 विधायकों को व्हिप जारी किया। इसमें तीन बागी विधायक नारायण गौड़ा, गोपालैया और एच विश्वनाथ शामिल हैं। कुमारस्वामी ने कहा है कि अगर विधायक गैर-मौजूद रहते हैं या फिर विश्वास मत के खिलाफ वोटिंग करते हैं तो उनके खिलाफ ऐक्शन लिया जाएगा। उन्हें दल बदल कानून के तहत अयोग्य ठहराने की कार्रवाई की जाएगी। वहीं इस्तीफा दे चुके कांग्रेस विधायक रामलिंग रेड्डी का कहना है कि वह पार्टी में हैं और सरकार के पक्ष में ही वोटिंग करेंगे।कर्नाटक संकट : SC का फैसला, विधानसभा अध्यक्ष को एक टाइम फ्रेम में निर्णय लेने के लिए फोर्स नहीं कर सकतेजानें कर्नाटक संकट का पूरा मामला
बता दें कि बीती 6 जुलाई को कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के 11 विधायकों के इस्तीफे के बाद से मुसीबत में आ गई थी। वहीं 9 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने कह दिया था कि इस्तीफा देने वालों में 8 विधायकों के इस्तीफे निर्धारित प्रारूप के मुताबिक नहीं हैं। इसके बाद विधायक विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।ऐसे में विधायकों ने 10 जुलाई को अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।इसके बाद अध्यक्ष केआर रमेश कुमार भी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। इस बीच फ्लोर टेस्ट कराने की मांग उठी थी।