कर्नाटक संकट : SC का फैसला, विधानसभा अध्यक्ष को एक टाइम फ्रेम में निर्णय लेने के लिए फोर्स नहीं कर सकते
नई दिल्ली (आईएएनएस/पीटीआई)। कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस के बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार सुबह 10.30 फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि इस मामले में संवैधानिक बैलेंस बनाए रखना है।
K'taka Speaker can't be forced to decide on MLAs' resignations within time frame: SC
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कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार बागी विधायकों के इस्तीफों पर अपने मुताबिक विचार करें क्योंकि वह फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं।वे बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लें। हालांकि साथ ही काेर्ट ने कहा विधानसभा अध्यक्ष को निश्चित समयसीमा में फैसला करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
Supreme Court says, "Karnataka MLAs not compelled to participate in the trust vote tomorrow." https://t.co/qSfPf8oQ2x
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विश्वासमत को ध्यान रखते हुए दो खास बातें कहीं
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को होने वाले विश्वासमत को ध्यान रखते हुए दो खास बातें कहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों को गुरुवार को सदन में रहने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। सभी विधायक को इस फैसले को लेने के लिए स्वंतत्र हैं कि वे गुरुवार को सदन में उपस्थित होते हैं या नहीं।
विधायकों ने याचिका दायर की थी
वहीं इस मामले मंगलवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दाैरान सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष से पूछा था। कि 6 जुलाई को गठबंधन के विधायकों द्वारा दिए गए इस्तीफे को स्वीकार करने या अस्वीकार करने के फैसले पर क्या उन्हें रोका गया था। वहीं इस मामले में चली लंबी बहस के बाद सुप्रीम काेर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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विधायकों को मनाने कोशिश हुई
बता दें कि बीती 6 जुलाई को कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के 11 विधायकों के इस्तीफे के बाद से मुसीबत में आ गई थी। वहीं 9 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने कह दिया था कि इस्तीफा देने वालों में 8 विधायकों के इस्तीफे निर्धारित प्रारूप के मुताबिक नहीं हैं। इसके बाद विधायक विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।