US उपराष्ट्रपति उम्मीदवार कमला देवी हैरिस की कहानी, 'पहली बार' के बहुत सारे संयोग के साथ उनके प्रेरक प्रसंग
वाशिंगटन (पीटीआई)। बिडेन ने मंगलवार को उन्हें अपना सहयोगी उम्मीदवार चुना है। वे राष्ट्रपति चुनाव में प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप को हराने के लिए ब्लैक वोटर्स को रिझाने की कड़ी में ऐसा कर रहे हैं। 55 साल की कैलीफोर्निया की सिनेटर तीसरी महिला हैं जो अमेरिका के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए किसी बड़ी पार्टी से चुनी गई हैं। इनके अलावा दो अन्य महिलाएं अलास्का की तत्कालीन गवर्नर सारा पाॅलिन 2008 में और न्यू यार्क की प्रतिनिधि जेराल्डिन फेरारो 1984 में उप राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुनी गई थीं।रही हैं प्रेसिडेंट जो बिडेन की कठोर आलोचक
कभी बिडेन की प्रतिद्वंद्वी और कठोर आलोचक रहीं हैरिस आज सहयोगी के तौर पर उनके साथ खड़ी हैं। हैरिस कभी खुद राष्ट्रपति बनना चाहती थीं, जिससे 2019 में उन्होंने यह कहते हुए हाथ पीछे खींच लिया था कि इस अभियान के लिए उनके पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं हैं। सिनेट में तीन एशियाई-अमेरिकियों में वे इकलौती भारतीय-अमेरिकी हैं जो उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार हैं। हैरिस कई बातों के लिए पहली बार जानी जाएंगीं। वे पहली अफ्रीकी-अमेरिकी और भारतीय मूल की पहली हैं जो काउंटी डिस्ट्रिक्ट अटर्नी चुनी जा चुकी हैं।उप राष्ट्रपति के लिए कई मामलों में पहली बार
वे उप राष्ट्रपति रोल के मामले में भी कई बातों के लिए पहली बार हैं। वे पहली महिला हैं, पहली अफ्रीकी-अमेरिकी महिला, पहली भारतीय-अमेरिकी और पहली एशियाई-अमेरिकी हैं। हैरिस के माता-पिता दोनों प्रवासी थे। उनके पिता ब्लैक थे जबकि मां भारतीय थीं। उनके पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका से थे जबकि उनकी मां श्यामला गोपालन चेन्नई से नागरिक अधिकार कार्यकर्ता और कैंसर शोधकर्ता हैं। इसलिए वे खुद को एक साधारण अमेरिकी मानती हैं। माता-पिता के बीच तलाक होने के बाद उन्हें उनकी हिंदू मां ने अकेला बड़ा किया।
उन्होंने कहा कि उनकी मां ने ब्लैक संस्कृति काे अपनाया और अपनी दोनों बेटियों कमला और माया को उसी रीति-रिवाजों के मुताबिक बड़ा किया। माया कमला की छोटी बहन हैं। कमला भारतीय संस्कृति को मानते हुए बड़ी हुईं लेकिन वे अफ्रीकी-अमेरिकी जीवन को गर्व से जी रही हैं। वे अपनी मां के साथ कई बार भारत आईं हैं। वे अपनी जीवनी 'द ट्रूथ वी होल्ड' में लिखती हैं कि उनकी मां अच्छी तरह समझती थीं कि वे दो ब्लैक बेटियों को पाल रही हैं। वे जानती थीं कि वे जिस देश में रह रही हैं वहां के लोग उनकी बेटी माया और उन्हें ब्लैक लड़कियों के तौर पर जाने और वे भी इस बात को गर्व के साथ महसूस कर सकें।ओकलैंड में पैदा हुईं, हावर्ड में की चार साल पढ़ाईहैरिस ओकलैंड में पैदा हुईं और बर्कले में बड़ी हुईं। उन्होंने अपना हाईस्कूल कनाडा में फ्रेंच बोली जाने वाली जगह से किया। उनकी मां मॉन्ट्रियल स्थित मैकगिल में पढ़ा रही थीं। उन्होंने अमेरिका में काॅलेज की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने चार साल तक हावर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की, जिसे वे अपने जीवन का सबसे रचनात्मक अनुभव बताती हैं। हावर्ड के बाद वे कानून की डिग्री के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में पढ़ने चली गईं। अल्मिडा काउंटी डिस्ट्रिक्ट अटर्नी ऑफिस से उन्होंने अपना करियर शुरू किया। 2003 में वे सैन फ्रांसिस्को की सबसे बड़ी प्रासिक्यूटर बन गईं।