आज कंगना रनोट और राजकुमार राव स्‍टारर मूवी 'जजमेंटल है क्‍या' रिलीज हुई है। जैसा इस फिल्‍म के नाम को सुनकर लगता है यह मूवी आपको मेंटल बनाने के लिए काफी है।

रेटिंग : 1.5 स्टार

इस फिल्‍म के राइटर्स से मेरे पांच अहम सवाल -

1. क्या मेन्टल हेल्थ केवल महिलाओं तक ही सीमित है, मर्दो का क्या? अगर वो मेन्टल पेशेंट हैं तो उनको ऐसे ही अपराधी मान लिया जाए?

2. अगर मेन्टल हेल्थ थीम है तो मेन्टल हेल्थ के सारे इम्पोर्टेन्ट पहलू कहाँ गायब हैं

3. जटिल टॉपिक को सुनाने के लिए महा जटिल ट्रीटमेंट क्यों, जनता को कैसे समझ मे आएगी फिल्‍म की थीम

4. अगर ये फिल्‍म मनोरंजन के लिए है तो इतनी विभत्स/विमसिकल क्यों है

5. हिन्दू देवताओं के साथ मजाक क्यों (मसलन हनुमान जी की गदा, बियर कैन से बनाई गई है)?

The battle has just begun...
Don&यt be so quick to judge! #JudgeMentallHaiKyaTrailer
Watch now: https://t.co/TQbEXzzj5H#TrustNoOne @KanganaTeam @ektaravikapoor@RuchikaaKapoor @ShaaileshRSingh @pkovelamudi @KanikaDhillon @balajimotionpic @ZeeMusicCompany @KarmaMediaEnt

— Rajkummar Rao (@RajkummarRao) July 2, 2019

समीक्षा
मुझे ये फिल्‍मपसंद नहीं आई। मेन्टल हेल्थ के नाम पर मेन्टल पेशेंट्स का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए और अगर कंगना की हरकतों की शो रील ही दिखानी है तो वो इंटरव्यू ही काफी है जहाँ बिना बात के कंगना प्रेस पर अनर्गल बरस जाती हैं, उसी का टेलीकास्ट दिखा देना चाहिए था। कंगना की हरकतों से तो नाराजगी है ही पर अगर कंगना को साइड में रख कर फिल्‍म की बात भर की जाए तो भी फिल्‍म अपने आप मे इन्कम्प्लीट है। न तो ये फिल्‍म ठीक से मुद्दे को एड्रेस करती है और न ही अपनी कहानी ही सच्चाई से सुनाती है। एक ही बीमारी (ADHD और ADD) से ग्रसित दो किरदारों को अपनी सहूलियत के हिसाब से राम और रावण बना देती है, सिम्पल है अगर आप मर्द है तो आप बुरे ही होंगे ऐसा ये फिल्‍म साबित करने का प्रयास करती है। फिल्‍म की रिसर्च खराब है और फिल्‍म अतरंगी होने के बावजूद बोर।

क्या अच्छा है
सिनेमेटोग्राफी अच्छी है। एडिटिंग क्रिस्प है , थैंकफुली फिल्‍म जल्दी खत्म हो जाती है।

अदाकारी
राजकुमार का काम बहुत अच्छा है। कंगना वाला रोल किसी और को देना चाहिए था (आलिया या तापसी बेहतर होती), एक वॉइस ओवर आर्टिस्ट के रोल में कंगना की पर्सनालिटी मैच ही नहीं करती, ऊपर से उनके एक्सप्रेशन भी देखे हुए है (हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में आजकल कंगना ऐसे ही एक्सप्रेशन देती हैं, सब देखा हुआ सा लगता है)

कुल मिलाकर मॉडर्न रामायण ये फिल्‍म हिन्दू देवताओं का अपमान करती है और एक तरफा कहानी सुनाती है (कंगना के बयानों की तरह). फिल्‍म पसंद करने लायक नहीं है, आप फिल्‍म में परेशान मत होइए, और यकीन मानिए फिल्‍म 'घटिया' है, और मैं यह बात जजमेंटल होकर नहीं कह रहा, क्‍योंकि 16 दर्शकों में से फिल्‍म के अंत तक हॉल में सिर्फ 7 लोग ही बचे थे।

बॉक्स ऑफिस प्रेडिक्शन : 50 से 60 करोड़

Review by: Yohaann Bhaargava

Posted By: Chandramohan Mishra