रूस का निर्दयी शासक, जो नोबेल शांति पुरस्कार के लिए हुआ 2 बार नॉमिनेटेड
लंबे संघर्ष के बाद बने नेता
स्तालिन का जन्म जॉर्जिया में गोरी नामक स्थान पर हुआ था। उसके माता पिता निर्धन थे। जोज़फ़ गिर्जाघर के स्कूल में पढ़ने की अपेक्षा अपने सहपाठियों के साथ लड़ने और घूमने में अधिक रुचि रखता था। 1922 में सोवियत समाजवादी गणराज्यों का संघ बनाया गया और स्तालिन उसकी केंद्रीय उपसमिति में सम्मिलित किया गया। लेनिन और ट्रॉट्स्की विश्वक्रांति के समर्थक थे। स्तालिन उनसे सहमत न था। जब उसी वर्ष लेनिन को लकवा मार गया तो सत्ता के लिए ट्रॉट्स्की और स्तालिन में संघर्ष प्रारंभ हो गया। 1924 में लेनिन की मृत्यु के पश्चात् स्तालिन ने अपने को उसका शिष्य बतलाया। चार वर्ष के संघर्ष के बाद ट्रॉट्स्की को पराजित करके वह रूस का नेता बन बैठा।
साम्यवादी नेता लेकिन तानाशाह
स्तालिन साम्यवादी नेता ही न था, वह राष्ट्रीय तानाशाह भी था। 1936 में 13 रूसी नेताओं पर स्तालिन को मारने का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया गया और उन्हें प्राणदंड दिया गया। इस प्रकार स्तालिन ने अपना मार्ग निष्कंटक कर लिया। 1937 तक मजदूर संघ, सोवियत और सरकार के सभी विभाग पूर्णतया उसके अधीन हो गए। कला और साहित्य के विकास पर भी स्तालिन का पूर्ण नियंत्रण था।
स्टालिन की चार रोचक बातें.....
1. जोसेफ स्टालिन का जन्म रूस मे नहीं हुआ था। वह जार्जिया से आए थे।
2. स्टालिन ने ही सोवियत संघ को रूस जैसे सुपरपॉवर देश में तब्दील कर दिया।
3. स्टालिन एक बड़े तानाशाह भी थे। उनके राज्य में सभी लोग डरे-सहमे रहते थे। उनके शासन काल में लाखों लोगों की जान गई थी।
4. जोसेफ स्टालिन को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 1945 और 1948 में नॉमिनेटेड किया गया था।