27 जुलाई 1969 को साउथ अफ्रीका में जन्में जोंटी रोड्स एक बेहतरीन क्रिकेटर रहे हैं। रोड्स को उनकी असाधारण फील्डिंग के लिए जाना जाता है। आइए जानें उनके जन्मदिन पर उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें...


कानपुर। 90 के दशक में क्रिकेट जगत में एक ऐसे खिलाड़ी की एंट्री हुई थी जिसने न बैटिंग, न बॉलिंग बल्कि फील्डिंग से अपनी पहचान बनाई। यह खिलाड़ी कोई और नहीं बल्कि साउथ अफ्रीका के दिग्गज क्रिकेटर जोंटी रोड्स हैं। आज 49 साल के हो चुके जोटी रोड्स एक समय मैदान में गेंद लपकने के लिए रबर की तरह खिंच जाया करते थे। यही वजह है कि उन्हें रबर मैन नाम दिया गया था। पिछले साल टि्वटर पर फैंस के साथ एक चैट में रोड्स ने इस बात का खुलासा किया था। ईएसपीएन क्रिकइन्फो के डेटा के मुताबिक, साउथ अफ्रीका की तरफ से 52 टेस्ट और 245 वनडे खेल चुके रोड्स ने करीब 11 साल इंटरनेशनल क्रिकेट खेला। वनडे में जहां उन्होंने 5935 रन बनाए वहीं टेस्ट में उनके नाम 2532 रन दर्ज हैं।मुंबई में किया ये कारनामा


जोंटी रोड्स को एक बार शानदार फील्डिंग के लिए 'मैन ऑफ द मैच' चुना गया था, वो भी तब जब वह प्लेइंग इलेवन का हिस्सा भी नहीं थे। क्रिकइन्फो के डेटा के अनुसार, साल 1993 में मुंबई के ब्रेबॉर्न स्टेडियम में साउथ अफ्रीका और वेस्टइंडीज के बीच दमदार मैच खेला जा रहा था। जोंटी रोड्स उस मैच में साउथ अफ्रीका प्लेइंग इलेवन टीम का हिस्सा नहीं थे। साउथ अफ्रीका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 180 रन बनाए थे, लेकिन वेस्टइंडीज की धाकड़ बल्लेबाजी के कारण साउथ अफ्रीका की हार लगभग तय थी, लेकिन ऐसे में जोंटी को मिला टीम के रक्षक बनने का मौका। फील्डिंग के दौरान अफ्रीका के डेरेल कलिनन को गंभीर चोट लग गई। ऐसे में डेरेल की जगह जोंटी को फील्डिंग करने का मौका मिला। फिर क्या था जोंटी रोड्स ने क्रिकेट फैंस को वो नजारा दिखाया जिसकी कोई उम्मीद नहीं कर सकता था। जोंटी ने एक के बाद एक वेस्टइंडीज के पांच दिग्गज खिलाड़ियों के कैच लेकर उन्हें पवेलियन वापस भेज दिया। नतीजा यह हुआ कि इस मैच में साउथ अफ्रीका 41 रनों से जीत गई। ऐसे में टीम की अप्रत्याशित जीत दिलाने वाले जोंटी रोड्स बने ‘मैन ऑफ द मैच’।  घरेलू मैच में एक्स्ट्रा प्लेयर होने के बावजूद बने मैन ऑफ द मैच

जोंटी रोड्स ऐसा कारनामा दो बार कर चुके हैं। इससे पहले एक घरेलू मैच के दौरान जब जोंटी रोड्स प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं थे, लेकिन जरूरत पड़ने पर जब उन्हें एक्स्ट्रा फील्डर के तौर पर फील्डिंग का मौका मिला तो उन्होंने मैच को पलटते हुए विपक्षी टीम के 7 खिलाड़ियों को कैच आउट किया और ‘मैच ऑफ द मैच’का खिताब जीता। क्रिकेट वर्ल्ड में जोंटी रोड्स जैसे शानदार फील्डर कम ही देखने को मिलते हैं। उनके चौंकाने वाले कैचेस देखकर लोग कहते थे कि जोंटी रोड्स तो उड़ लेते हैं।ओलंपिक खेलने का मिला था न्यौतासाल 2003 में अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच खेलने वाले जोंटी रोड्स सिर्फ क्रिकेट ही नहीं हॉकी खेलना भी जानते थे। क्रिकइन्फो की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1996 ओलंपिक में साउथ अफ्रीकी हॉकी टीम ने जोंटी को मैच खेलने के लिए बुलाया था मगर रोड्स ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। आईपीएल में कोच रहे रोड्स को भारत से बहुत प्यार है। साल 2015 में मुंबई में जब उनकी बेटी का जन्म हुआ तो उन्होंने उसका नाम 'इंडिया' रखा।जोंटी रोड्स के घर आई नन्हीं परी, नाम रखा 'इंडिया', जानें क्या है कारण?एक भारतीय जो इंग्लैंड जाकर उनकी क्रिकेट टीम से 12 टेस्ट मैच खेल आया

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari