आतंकवाद जैसी गंभीर वार्ता को लेकर एक बार फिर जुड़ें भारत और पाक: जॉन केरी
बीती घटनाओं पर एक नजर
बीती घटनाओं पर गौर करें तो हक्कानी नेटवर्क पर 2008 में भारतीय दूतावास पर बमबारी करने के आरोप हैं. इस बमबारी में 58 लोगों की जान चली गई थी. इतना ही नहीं 2011 में उस पर अमेरिकी दूतावास पर भी हमला करने के आरोप रहे हैं. सिर्फ इतना ही नहीं इनके साथ अनेक बड़े ट्रक बम हमलों के प्रयासों में भी उसका हाथ रहा है. इसको लेकर अमेरिका और अफगान नेताओं ने एक नहीं बल्कि बार-बार कहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए खुफिया तरीके से हक्कानी नेटवर्क का बराबर समर्थन करती है. इसके बावजूद बार-बार ही पाकिस्तान इन आरोपों से इनकार करता रहा है.
क्या कहा केरी ने
ऐसे मामलों को संज्ञान में लेते हुये केरी ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज संग ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'हम सभी पर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी रहती है कि ये उग्रवादी अब इस देश या कहीं भी अपने कदम जमाने के काबिल नहीं रह सकें.' इसी के साथ केरी ने पेशावर में एक सैन्य स्कूल पर तालिबानी हमले का जिक्र भी किया. उन्होंने कहा, '16 दिसंबर की त्रासदी, उग्रवादियों को खुद की जड़ें जमाने की हर तरह से अनुमति देने, उस जगह को नियंत्रण में लेने और वहां से ऑपरेट करने के गंभीर जोखिम की याद दिलाती है.'
भारत और पाक दोनों को दी सलाह
ऐसी स्थितियों में उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों को सलाह दी है कि ये दोनों, गंभीर वार्ता को लेकर एक बार फिर जुड़ें. केरी ने यह भी कहा कि वह बातचीत के लिये दोनों पक्षों को प्रोत्साहित करती हैं. सीमा पर गोलीबारी से दोनों देशों के बीच बढ़ने वाले तनाव के मुद्दे पर उठने वाले एक सवाल के जवाब में केरी ने कहा कि वह उम्मींद करती हैं कि दोनों देशों के बीच बातचीत हो सकती है. उल्लेखनीय है कि बीते साल अगस्त में कश्मीरी अलगाववादियों के साथ पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित की बातचीत के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सचिव स्तरीय वार्ता को रद्द कर दिया था.