जानें क्या दीं मांझी ने अपने इस्तीफे की चार वजहें
जीतनराम मांझी ने बिहार क्राइसेस का पर्दा गिराते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है हालाकि उनके इस्तीफे को एक्सेप्ट करते हुए राज्यपाल ने कहा कि नई सरकार के गठन तक वे बिहार के चीफ मिनिस्टर बने रहेंगे. इस्तीफे के बाद प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया से बात करते हुए मांझी ने अपने इस सडन डिसीजन की वजहें बताई. ये हैं वो खास रीजन जिनके चलते मांझी ने छोड़ा पद.
वजह नंबर एक- इस्ती़फे के बाद जीतनराम मांझी ने कहा की विधान सभा में स्पीकर ने सदन की परंपरा फॉलो नहीं की और उनके समर्थकों के बैठने तक की सही व्यवस्था नहीं थी. उनके हिसाब से स्पीकर कानूनी आधार से नहीं चले.
वजह नंबर दो- मांझी ने दावा किया कि उनके पास आज भी है बहुमत लेकिन उनके विधायकों को धमियां मिल रही थीं और वो खतरे में थे जिसे देखते हुए उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
वजह नंबर तीन- मांझी ने कहा कि उनके हिसाब से वोटिंग कांफीडेंशियल होनी चाहिए थी. उनके पास 40 से 50 ऐसे विधयकों का समर्थन था जो डर की वजह सामने नहीं आना चाहते थे लेकिन गुप्त मतदान में उनको सर्पोट करने के रेडी थे.
वजह नंबर चार- मांझी ने कहा कि वो नीतीश कुमार से दुखी थे और इस्तीफा देना ही सही समझा. उनको लगा कि जब उन्हें यानि एक महादलित को टार्चर किया जा रहा था और नीतीश भीष्म पितामह बने सब कुछ देखते रहे तो उन्हें इस्तीफा दे ही देना चाहिए.
बिहार में लंबे समय से चल रहा पॉलिटिकल ड्रामा शुक्रवार को अपने फाइनल डेस्टिनेशन पर पहुंच गया. सदन में विश्वास मत पेश होने से ठीक पहले मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने हार मान ली और राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया. अब जेडीयू विधायक दल के नेता नीतीश कुमार बिहार के अगले मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. इसकी खास वजह ये ही समझर जा रही है कि बीजेपी के समर्थन के ऐलान के बावजूद मांझी मझधार में दिख रहे थे. उनके पास बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा जुटता नहीं दिख रहा था. मांझी ने इस्तीफे के साथ राज्यसभा डिजाल्व करने की डिमांड की है. खबर है की अब करीब साढ़े ग्यारह बजे एक प्रेस कांफ्रेस को अड्रैस करने जा रहे मांझी इस बारे में इस्तीफ की औपचारिक घोषणा के साथ विस्तार से बात करेंगे. इस बीच अब मुख्यमंत्री पद के दावेदार नीतीश कुमार ने इस बीजेपी के गेम प्लान की फेल्योर बताते हुए कहा है कि उन्हें अभी पूरी डिटेल पता नहीं है जानकारी मिलने के बाद वे मीडिया को अपनी रणनीति और बाकी तैयारियों के बारे में बतायेंगे.
पहले क्या थे हालात
इससे पहले कल तक जीतन राम मांझी या नीतीश कुमार में किसके सिर बिहार के मुख्यमंत्री का ताज होगा, यह फैसला शुक्रवार यानि आज होना था. विधानसभा में शक्ति परीक्षण होना था, और दोनों पक्षों ने जोरदार ढंग से अपने-अपने दावे पेश कर स्थिति दिलचस्प बना दी थी. भाजपा भी खुलकर मांझी के पक्ष में खड़ी हो गई तो राजद, कांग्र्रेस और जदयू के ज्यादातर विधायक नीतीश के साथ थे. अपने-अपने समर्थक विधायकों को दोनों नेताओं ने अपने-अपने आवास पर दावत भी दी थी. राजनीतिक उथल-पुथल के बीच गुरुवार शाम जदयू अध्यक्ष शरद यादव भी पटना पहुंच गए जबकि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव बेटी की शादी की तैयारी के चलते गहमागहमी से थोड़ा दूर हैं.
देर रात तक जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार के आवास पर नेताओं का मंथन चलता रहा और विश्वास मत को लेकर रणनीति पर विमर्श होता रहा. कहा गया था कि मांझी विश्वास मत हासिल करने के दूसरे ही दिन मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे, उन्होंने विधायकों को अपने पक्ष में करने के लिए मंत्री पद का लालच भी दिया. इस बीच जदयू ने शुक्रवार को राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध करने का फैसला किया. थर्सडे दोपहर जदयू विधायक मो. शर्फुद्दीन ने यह कह सनसनी फैला दी कि उन्हें राजद सांसद पप्पू यादव ने ऊंचे पद का प्रलोभन दिया है. प्रमुख दल विधायकों के लिए ह्विप भी पहले ही जारी कर चुके थे. इसी के बाद शायद मांझी को अपनी सिचुएशन समझ आ गयी और वे सुबह ही राज्यपाल से मिलने पहु्रच गए और जब तक ये समझ आता की वो क्या करने जा रहे हैं उनके इस्तीफे की खबर बाहर आ गयी.