वोडाफ़ोन और एयरटेल देश की दो सबसे बड़ी मोबाइल फ़ोन कंपनियां हैं। पिछले एक साल में जैसे-जैसे जियो ने बाज़ार पर अपनी पकड़ बढ़ाई है उन्हें जियो से बचने का कोई पुख़्ता आइडिया नहीं मिल रहा है। जियो को अपनी सर्विस लॉन्च किए अब एक साल पूरे हो गए हैं। इस एक साल में देश में मोबाइल फ़ोन ग्राहकों में डेटा के प्रति नज़रिया बिल्कुल बदल गया है।

11 रुपये में टेंशन मुक्त ग्राहक!

सबसे पहले डेटा की कीमत पर ध्यान दीजिए। जियो के लॉन्च के पहले तक एक जीबी डेटा के लिए सभी कंपनियां क़रीब 250 रुपये लेती थीं। बस दो-चार रुपये कम या ज़्यादा और सब की कीमतें एक जैसी ही थीं।

इसके मुकाबले जियो ने सभी लोगों को हर दिन एक जीबी डेटा इस्तेमाल करने के लिए 309 रुपये की स्कीम की शुरुआत की। सभी कंपनियों की स्कीम 28 दिनों के लिए होती हैं।

क़रीब 11 रुपये प्रति जीबी की कीमत देने वाले ग्राहकों को ये नहीं सोचना पड़ता है कि वो कितना डेटा इस्तेमाल कर रहे हैं।

 

एक साल में जियो की दूसरी चाल

नए ग्राहकों की खोज में जियो बहुत ही सस्ते हैंडसेट बाजार में ला रहा है ताकि कोई भी उसका इस्तेमाल कर सके।

ऐसे हैंडसेट पर डेटा का भी इस्तेमाल हो पाएगा। इस फ़ोन के ज़रिए व्हाट्सऐप जैसे ऐप की जगह जियो अपना मैसेंजर इस्तेमाल करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर सकता है।

मोबाइल फ़ोन के बाजार में 90 फ़ीसदी से ज़्यादा ग्राहक प्रीपेड सेवा का ही इस्तेमाल करते हैं। इसीलिए कंपनियां ऐसी स्कीम बाजार में ला रही हैं जो ऐसे लोगों के लिए ख़ास बनी हों। इनमें से कई लोग अपने फ़ोन को बदलने में भी नहीं हिचकते हैं।

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पैसे कैसे बनाएगा जियो?

अब सवाल ये है कि इतनी सस्ती सर्विस देकर जियो पैसे कैसे बनाएगा?

दूसरी मोबाइल कंपनियों ने भी 2008 में लाइसेंस मिलने के बाद ऐसा ही किया था। पर आज वो सभी कंपनियां बंद हो गई हैं। उनमें से कुछ के लाइसेंस को सुप्रीम कोर्ट ने भी रद्द कर दिया था।

मोबाइल सर्विस देने वाली 13 कंपनियों से घटकर अब बाज़ार में एमटीएनएल और बीएसएनएल को अलग कर दें तो सिर्फ़ छह कंपनियां- एयरटेल, एयरसेल, आइडिया, रिलायंस कम्युनिकेशन, वोडाफ़ोन और जियो- बच गई हैं।

इन कंपनियों में से दो की हालत खस्ता है और वोडाफ़ोन और आइडिया एक-दूसरे के साथ विलय पर काम कर रही हैं।

जैसे-जैसे हम कनेक्टेड दुनिया की तरफ़ बढ़ रहे हैं, कंपनियों के लिए पैसे बनाना थोड़ा मुश्किल हो गया है और ग्राहकों के लिए चांदी हो गई है।

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Posted By: Chandramohan Mishra