विश्व को एकता में पिरोता है राजयोग


रांची (ब्यूरो) । ब्रह्माकुमारी संस्थान में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के पूर्व सप्ताह में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर जिंदल स्टील के मानव संसाधन विकास पदाधिकारी संजय गुप्ता ने कहा राजयोग द्वारा मनुष्य का मानसिक तनाव दूर होता है, मन को शांति मिलती है और मस्तिष्क को तथा शरीर को भी आराममिलता है। आज पूरा विश्व भारत की प्राचीन पद्धति योग पर पुन: लौट रहा है। सभी को लगने लगा है कि योग द्वारा ही मानव शरीर व मन का सम्पूर्ण इलाज संभव है। इसमें सभी को एक जूट होकर प्रयास करने की आवश्यकता है। सहायक सांख्यिकी अधिकारी राजकुमार ने कहा कि योग का अर्थ जोडऩा अथवा मिलाप है।आध्यात्मिक चर्चा में योग शब्द का भावार्थ आत्मा का परमात्मा से संबंध जोडऩा अथवा परमात्मा से मिलन मनाना है। धर्म के सूक्ष्म रूपों
ब्रह्माकमारी निर्मला बहन ने कहा कि योग शारीरिक नहीं बौद्धिक साधना परंतु घोर भौतिकता के युग में जब मनुष्य ने धर्म के सूक्ष्म रूपों को स्थूल बना दिया है, योग को भी शारीरिक मान लिया गया। आज योग का अर्थ आसन प्रणायाम हो गया है। योग सीखने का अर्थ आसन सीखना माना जाता है। आसन प्राणायाम शारीरिक स्वास्थ के लिए लाभप्रद हो सकते हैं परंतु ईश्वरीय स्मृति का उनसे कोई संबंध नहीं है। स्मृर्ति तो बुद्धि का स्वभाव है और प्रेम से स्मृति पैदा होती है।

Posted By: Inextlive