रांची नगर निगम से स्वीकृत नक्शा के अनुरूप नहीं बन रहीं बहुमंजिली इमारतें. नक्शा में छेड़छाड़ करके भवन निर्माण करने के कारण ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई नहीं करते बिल्डर या डेवलपर. बिना ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट वाले भवन मालिकों पर कार्रवाई के साथ भवन ध्वस्त भी किए जा सकते हैं. 4000 से अधिक बहुमंजिली इमारतों का निर्माण हुआ पिछले 24 सालों में. 500 बहुमंजिली भवनों को ही नगर निगम ने जारी किया ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट.


रांची (ब्यूरो)। किसी भी भवन को रांची नगर निगम ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट तब जारी करता है, जब भवन नक्शा के अनुरूप बना हुआ हो। इसके लिए आवेदक नगर निगम में अप्लाई करते हैं, जिसके बाद नगर निगम की टीम जाकर भवन का फिजिकल वेरिफिकेशन करती है और सभी नियमों का पालन सही तरीके से किए जाने के बाद ही ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। यानी ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट भवन के नक्शा व नियमों का पालन करते हुए बनाए जाने का प्रमाण होता है। इधर, राजधानी रांची में पिछले 24 सालों में 4000 से अधिक बहुमंजिला भवनों का निर्माण हुआ है, लेकिन रांची नगर निगम की ओर से सिर्फ 500 बहुमंजिला भवनों को ही ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी किया गया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रांची में बने कितने बहुमंजिला भवन नक्शा और नियमों का पालन करते हुए बनाए गए हैं। दरअसल, ज्यादातर लोग रांची नगर निगम से नक्शा तो पास करा लेते हैं, लेकिन उसके नियमों को नहीं मानते हैं। जब तक भवन का निर्माण होता रहता है तब तक तो निगम के आदेश को बिल्डर मानते हैं, उसके बाद निगम के आदेश को भूल जाते हैं। इसका खामियाजा फ्लैट खरीदने वाले लोगों को भुगतना पड़ता है।निगम को कंप्लीशन सर्टिफिकेट ही नहीं देते


बहुमंजिली बिल्डिंग बनाने वाले डेवलपर को नियम और शर्तों के अनुसार बिल्डिंग बनाने के बाद निगम में कंप्लीशन सर्टिफिकेट देना होता है। इसी के बाद निगम ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी करता है। इससे पहले टाउन प्लानिंग सेक्शन के इंजीनियर बिल्डिंग की जांच करते हैं। इसमें देखा जाता है कि नक्शा के अनुरूप बिल्डिंग बनी है या नहीं, वहां सीढ़ी, लिफ्ट, बालकनी, बिल्डिंग तक जाने वाली सड़क की चौड़ाई, पार्किंग, जनरेटर रूम, रैंप, आपात निकास द्वार, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, इमरजेंसी वाटर टैंक की व्यवस्था है या नहीं। अधिकतर बिल्डिंग में इन शर्तों का पालन नहीं होता, इसलिए बिल्डर निगम को कंप्लीशन सर्टिफिकेट ही नहीं देते हैं।क्या हैं नियम-जी प्लस 4 से ऊपर के भवन के लिए कम से कम 30 फीट चौड़ी सड़क होनी चाहिए। -अपार्टमेंट में आगजनी से निपटने के लिए बिल्डिंग के चारों तरफ 15 फीट चौड़ा सेटबैक छोडऩा जरूरी है, ताकि अग्निशमन वाहन घूम सके। - बिल्डिंग में दो तरफ सीढ़ी होनी चाहिए, ताकि आग लगने या आपात स्थिति स्थिति में एक से निकला जा सके। - अपार्टमेंट में अंडरग्राउंड और ओवरहेड वाटर टैंक अनिवार्य रूप से होना जरूरी है, ताकि आग लगने पर पानी से बुझाई जा सके।

-अपार्टमेंट के सभी फ्लैट, कॉमर्शियल बिल्डिंग की सभी दुकानों में फायर अलार्म अनिवार्य है। धुआं फैलने पर वह लोगों को अलर्ट करेगा। ये हो सकती है कार्रवाईबिल्डिंग बायलॉज के मानकों का पालन नहीं करने वाले बिल्डरों को नोटिस दिया जाता है। निर्धारित समय में सुरक्षा और नक्शा के अनुरूप निर्माण में सुधार नहीं करने पर नक्शा रिजेक्ट करने और निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे बिल्डरों को ब्लैक लिस्टेड भी किया जा सकता है। लेकिन रांची में जांच के नाम पर आइवॉश होता है। अधिकारी भी कुछ नहीं कर रहे हैं। इंडिपेंडेट भवन भी लें सर्टिफिकेट रांची नगर निगम से भवन का नक्शा पास करवाकर ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट नहीं लेने वालों को सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य कर दिया गया है। नगर निगम ने जितने भी भवनों का नक्शा पास किया है, उसके मालिक को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट लेना ही होगा। क्या है ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट

किसी भी भवन को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट नगर निगम तभी जारी करता है, जब उस भवन का निर्माण नक्शा के अनुरूप किया जाता है। इसके लिए भवन निर्माता भवन का निर्माण होने के बाद नगर निगम में आवेदन देता है कि उन्होंने अपने भवन का निर्माण स्वीकृत नक्शे के अनुरूप कर लिया है। ऐसे में उन्हें ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी किया जाए। इसके बाद निगम की टीम संबंधित भवन की जांच करती है, जांच में सब कुछ सही पाए जाने पर ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। आमतौर पर नक्शा पास होने के बाद लोग भवन का निर्माण शुरू कर देते हैं। लेकिन, कई लोग दो मंजिल का नक्शा पास करवाकर तीन और चार मंजिला भवन का निर्माण कर देते हैं। अवैध निर्माण किए जाने के कारण लोग निगम से यह सर्टिफिकेट नहीं लेते हैंै।

Posted By: Inextlive