प्राइवेट हॉस्पिटल्स में दूर होगी वेंटिलेटर की कमी
रांची: कोरोना महामारी राजधानी में हाहाकार मचा रही है। इस बीच हॉस्पिटल्स में बेड और दवाओं की कमी के बीच वेंटिलेटर की कमी सबसे ज्यादा है। रांची सहित राज्य भर में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्य विभाग प्राइवेट हॉस्पिटल्स को हर दिन के किराये पर वेंटिलेटर देने का निर्णय लिया है, ताकि अधिक से अधिक वेंटिलेटर्स देकर लोगों की जान बचाई जा सके। स्वास्थ्य विभाग के पास 460 वेंटिलेटर्स अवेलेबल हैं। लेकिन ट्रेंड टेक्नीशियन और मैनपावर नहीं होने की वजह से इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। प्राइवेट हॉस्पिटल्स के पास ट्रेंड टेक्नीशियंस और मैन पावर उपलब्ध हैं। अब उनको यह वेंटिलेटर लोगों की जान बचाने के लिए दिया जाएगा।
वेंटिलेटर का डेली किरायाराज्य के प्राइवेट हॉस्पिटल्स को डेली रेंट और सिक्योरिटी डिपॉजिट के आधार पर वेंटिलेटर उपलब्ध करने का विज्ञापन स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग ने निकाला है। विभाग की ओर से जो विज्ञापन जारी किया गया है, उसमें कहा गया है कि राज्य के प्राइवेट हॉस्पिटल्स जो कोविड वार्ड संचालित कर रहे हैं, और उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत है तो वो इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। यह आवेदन हॉस्पिटल्स को अपने अपने जिले के डीसी के माध्यम से करना होगा या फिर वो नामकुम स्थित कार्यालय से सीधा संपर्क कर वेंटिलेटर ले सकते हैं।
प्राइवेट हॉस्पिटल्स में वेंटिलेटर बेड (आंकड़े 2 मई तक ) धनबाद : 18 ईस्ट सिंहभूम : 70 गढ़वा : 18 गिरिडीह : 8 गोड्डा : 02 हजारीबाग : 09 लोहरदगा : 02 पाकुड़ : 01 पलामू : 04 रामगढ़ : 17 रांची : 74 सरायकेला : 07 सिमडेगा : 11 गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में वेंटिलेटर बेड चतरा : 6 धनबाद : 39 दुमका : 16 ईस्ट सिंहभूम : 16 गढ़वा : 18 गिरिडीह : 09 गोड्डा : 01 हजारीबाग : 11 लातेहार : 12 पलामू : 18 साहिबगंज : 11 सरायकेला : दो । वेंटिलेटर का रेट तय है राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से प्राइवेट हॉस्पिटल्स को उपलब्ध कराए जाने वाले वेंटिलेटर का किराया भी तय कर दिया गया है। इसमें एक कैटेगरी के लिए 1250 रुपये। बी कैटेगरी के लिए 1000 रुपये और सी कैटेगरी के लिए 750 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से किराया लिये जाएंगे। सदर हॉस्पिटल्स से आया वेंटिलेटरराज्य में कोरोना से निपटने के लिए झारखंड को पीएम केयर्स फंड से 460 वेंटिलेटर्स उपलब्ध कराए गए थे। पर रांची सहित कुछ जिला को छोड़ दें तो अधिकतर जिलों में वेंटिलेटर का उपयोग नहीं हो पाया। कहीं डॉक्टर तो कहीं टेक्नीशियन के अभाव में वेंटिलेटर फंक्शनल नहीं है। ऐसे में प्राइवेट हॉस्पिटल्स को वेंटिलेटर देने के लिए रांची सदर हॉस्पिटल्स से 18, सिमडेगा से 10, लातेहार से 12, कोडरमा सदर हॉस्पिटल से 06, गिरिडीह से 06 के अलावा बोकारो सहित अन्य जिलों से भी वेंटिलेटर मंगाए गए हैं।
क्या है वेंटिलेटर जब किसी मरीज के श्वसन तंत्र में इतनी ताकत नहीं रह जाती कि वो खुद से सांस ले सके तो उसे वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है। सामान्य तौर पर वेंटिलेटर दो तरह के होते हैं। पहला मैकेनिकल वेंटिलेटर और दूसरा नॉन इनवेसिव वेंटिलेटर। हॉस्पिटल्स में हम जो वेंटिलेटर आईसीयू में देखते हैं वो सामान्य तौर पर मैकेनिकल वेंटिलेटर होता है जो एक ट्यूब के जरिए श्वसन नली से जोड़ दिया जाता है। ये वेंटिलेटर इंसान के फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। साथ ही ये शरीर से कॉर्बन डाइ ऑक्साइड को बाहर भी निकालता है। वहीं, दूसरी तरह का नॉन इनवेसिव वेंटिलेटर श्वसन नली से नहीं जोड़ा जाता। इसमें मुंह और नाक को कवर करके ऑक्सीजन फेफड़ों तक पहुंचाया जाता है.ऐसे मरीज जो अपने आप सांस नहीं ले पाते हैं, और खासकर आईसीयू में भर्ती मरीजों को इस मशीन की मदद से सांस दी जाती है।