रांची की महिला थाना समेत कई थानों में दर्ज रिपोर्ट बताते हैं कि ऐसी कुंवारी मां के आंकड़े प्रतिदिन बढ़ ही रहे हैं. कभी किसी को लिव इन रिलेशन में फंसा कर गर्भवती किया जा रहा है तो कोई उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर अस्मत लूट लेता है उसे गर्भवती बना डालता है.

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RANCHI:
सिटी में कई ऐसी कुंवारी मां हैं, जो अपनी गोद में बच्चे को लेकर इंसाफ के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही हैं या फिर अदालत की चौखट पर माथा पटक रही हैं। कई ऐसी भी हैं जो गुमनामी की जिंदगी जीने को विवश हैं। जी हां, रांची की महिला थाना समेत कई थानों में दर्ज रिपोर्ट बताते हैं कि ऐसी कुंवारी मां के आंकड़े प्रतिदिन बढ़ ही रहे हैं। कभी किसी को लिव इन रिलेशन में फंसा कर गर्भवती किया जा रहा है तो कोई उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर अस्मत लूट लेता है, उसे गर्भवती बना डालता है। जानकारी के मुताबिक, कई कुंवारी मां कहीं न कहीं अनाथाश्रम और किसी अस्पताल में बिन बाप के नाम वाले बच्चे को जन्म देने के लिए एडमिट हुई हैं। इन कुंवारी मां को यह आशा है कि बच्चे के जन्म होने के बाद उसके पिता अपना लेंगे।

बच्चे को पिता का नाम दिलाने के लिए कोर्ट दौड़ रही संजू

केस-1

संजू(बदला हुआ नाम ) को एक युवक ने अपने प्रेम जाल में फंसाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया। इसके बाद उसका प्रेमी रांची से नौकरी के बहाने दूर चला गया। जब संजू गर्भवती हो गई तो उसने अपने प्रेमी से संपर्क किया। पता चला कि उसने दूसरी शादी रचा ली है। लोकलाज के भय से संजू अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्म दे दी। अब वह डीएनए टेस्ट के माध्यम से उस बच्चे को पिता का नाम और उसकी संपत्ति में हक दिलाने के लिए कोर्ट-कचहरी कर रही है।

 

बच्चे को हक दिलाने महिला थाना पहुंची सविता

केस-2

सविता मुंडा (बदला नाम)को अब भी विश्वास है कि उसका प्रेमी एक न एक दिन उसके पास आ जाएगा। उसके बच्चे को अपना लेगा। वह अपने बच्चे को लेकर इधर-उधर घूम रही है। घूमने के बाद जब उसे न्याय नहीं मिला तो उसने महिला थाना में जाकर फरियाद की। फरियाद करने पर उसके आवेदन को स्वीकार कर लिया और आरोपी को नोटिस दिया गया। संजू और सविता मुंडा की तरह कई ऐसी कुंवारी मां है, जो अपने बच्चे को हक दिलाना चाहती है।

आदिवासी युवतियों की कोख का सौदा पहले भी

झारखंड की आदिवासी युवतियों को नौकरी के बहाने दिल्ली लाकर जबरन बिन ब्याही मां बनाने और नवजात को बेचने का सनसनीखेज मामला पहले भी सामने आ चुका है। खुलासे के बाद परिवार कल्याण समिति द्वारा कार्रवाई की गई। कार्रवाई में कई नाबालिग को बरामद किया गया था। उनमें से कई गर्भवती थीं। जांच करने पर पता चला कि आदिवासी लड़कियों का दिल्ली में नौकरी के नाम पर शारीरिक शोषण तो होता ही है, और इन्हें बच्चे पैदा करने की फैक्ट्री के रूप में यूज किया गया था। बाल कल्याण समिति के पास यह खुलासा हुआ था कि बेटियों को ट्रैफिकर्स दिल्ली ले जाते हैं और उन्हें वहां जबरन गर्भवती बनाया जाता है। इनमें सात लड़कियों में से पांच बिन ब्याही मां निकली थीं।

सालों लिव इन, फिर युवक रचा रहा था दूसरी शादी

6 अप्रैल, 2018 : बेड़ो का एक मामला सामने आया था। सालों लिव इन रिलेशन में रहने वाली और एक जवान बेटी की मां को जब यह पता चला कि उसका अघोषित पति दूसरी युवती से शादी रचा रहा है, तो वह शिकायत करने पुलिस के पास पहुंची थी। अघोषित पति के खिलाफ उसने मारपीट का मामला दर्ज कराया था।

जब बिन ब्याही मां ने नवजात को छठे तल्ले से फेंका

जून, 2016 : सदर थाना क्षेत्र के कोकर में लोकलाज के डर से एक नवजात को एक अपार्टमेंट के छठे तल्ले से बिन ब्याही मां ने फेंक दिया था। इस मामले में युवती ने पुलिस को बताया था कि उसका एक युवक द्वारा यौन शोषण किया गया था। बाद में वह शादी की बात से मुकर गया था। इसी बीच वह गर्भवती हो चुकी थी। काम के दौरान उसे प्रसव पीड़ा हुई और उसने बच्चे को जन्म दिया। बच्चे को जन्म देने के बाद उसने उसे छत से नीचे फेंक दिया।

क्यों होता है ऐसा

बाल कल्याण समिति की पूर्व अध्यक्षा मीरा मिश्रा का कहना है कि ऐसा लड़कियों में शिक्षा की कमी, समझ के अभाव से यह परिस्थिति पैदा होती है। वो लोकलाज व समाज के भय से कुछ नहीं बोलती है, जिसका परिणाम उन्हें बाद में भुगतना पड़ता है।

Posted By: Inextlive