RANCHI REGISTRY OFFICE : ऑफिस आना है 10 बजे, 12 बजे आते हैं सरकारी स्टाफ्स
रांची(ब्यूरो)। सरकारी आफिस में किसी एक दो आफिस का सिस्टम खराब नहीं है, बल्कि करीब प्रत्येक कार्यालयों का हाल एक जैसा ही है। सरकारी दफ्तरों में अधिकारी से लेकर चपरासी तक सभी मनमाना ड्यूटी करते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि गवर्नमेंट ऑफिस में समय को कोई महत्व नहीं दिया जाता है। चाहे जहां योजना बनती हो या फिर जिस कार्यालय में योजनाएं इंप्लीमेंट कराई जाती हैं। लगभग हर जगह एक समान ही नियम फॉलो किया जा रहा है। सरकारी ऑफिस में कर्मचारियों के नहीं होने का नुकसान आम पब्लिक को उठाना पड़ता है। वैसे कार्यालय जो पब्लिक से डायरेक्ट संपर्क होते हैं, जहां लोगों को अपने काम से सरोकार होता है, वहां की स्थिति ज्यादा खराब है। सिटी में स्थित किसी भी सर्किल ऑफिस में सुबह 12 बजे से पहले न तो कोई स्टाफ आता है और न ही कोई काम होता है। इधर नगर निगम, डीटीओ कार्यालय, आरआरडीए, फूड सप्लाई ऑफिस समेत तमाम ऑफिसेज में सुबह 12 बजे तक अधिकारी और कर्मचारी की कुर्सी खाली ही रहती है। ठंड का हवाला देकर सरकारी बाबू या तो घर से लेटलतीफ निकलते हैं या फिर ऑफिस आकर अटेंडेंस बनाने के बाद धूप सेंकने चले जाते हैं। यहां तक कि कार्यालयों में झाड़ू तक 11 बजे लगता है।
पेंडिग रहा जाता है काम
सरकारी साहब के नहीं रहने का खामियाजा आम पब्लिक को भुगतना होता है। लोगों के काम तो प्रभावित होते हैं, ऑफिस में भी पेंडेंसी की संख्या बढऩे लगती है। आम नागरिक हैरान-परेशान होकर लौट जाते हैं। लोगों का कहना है कि आम काम-धाम छोड़कर सरकारी कार्यालय में काम कराने आते हैं। लेकिन बिना कराए ही लौटना पड़ता है। फाइल एक टेबल से दूसरे टेबल घूमती रहती है। जो लोग बार-बार ऑफिस का चक्कर लगाते हैं उनका काम हो जाता है, लेकिन जिस व्यक्ति के पास समय नहीं है उनका काम महीनों लटका रहता है। सरकारी कार्यालयों में मॉनिटरिंग करने वाला भी कोई नहीं है। कुछ स्थानों पर बायोमीट्रिक तो लगी है, लेकिन उसका भी सही से इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
साहब से पहले ब्रोकर हाजिर
कचहरी रोड स्थित रजिस्ट्री ऑफिस में जमीन, फ्लैट का रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। साथ ही शादीशुदा जोड़े भी मैरेज रजिस्टे्रशन कराने के लिए यहां आते हैं। लेकिन यहां कर्मचारियों के नदारद रहने की वजह से समय से काम नहीं हो पाता है। रजिस्ट्री ऑफिस में 12 बजे से पहले कोई काम शुरू ही नहीं होता है। इसके बाद भी कर्मचारी कुर्सी पर कम और इधर-उधर घूमते हुए ज्यादा नजर आते हैं। इस कार्यालय में रजिस्ट्रार और कर्मचारियों के भरोसे आपका काम नहीं हो सकता। क्योंकि कोई भी वक्त का पाबंद नहीं है। इसी का फायदा ब्रोकर उठाते हैं। अधिकारी पहुंचे या नहीं ब्रोकर समय से पहले ही ऑफिस आ जाते हैं। पूरा सिस्टम ब्रोकर पर केंद्रित हो गया है। कर्मचारियों की टेबल अक्सर खाली रहती है। भूले-भटके कोई कर्मचारी मिल भी गया तो वह इतने नियमों का हवाला देता है कि लोग उनके पास जाना ही छोड़ देते हैं। जबकि ब्रोकर को पकडऩे पर वही काम बिना किसी पूछताछ के आराम से हो जाता है। इसके लिए संबंधित व्यक्ति को मोटी रकम चुकानी पड़ती है।
क्या कहती है पब्लिक
शादी के लिए रजिस्टे्रशन कराने आए थे। साढ़े 10 बजे से यहां है, लेकिन कोई काम नहीं हुआ। बाहर घूम रहे एक शख्स से पूछने पर उसने काम की जिम्मेवारी ले ली। इसके बाद आवेदन भी भर दिया गया।
-राजेश कुमार
-अमित कुमार
सरकारी दफ्तरों का हाल बहुत बुरा है। कोई भी काम समय से नहीं होता। जाति-आवासीय बनवाने में तो पसीना निकल जाता है। सुधार जरूरी है।
-सोहन
-कमलेश