RANCHI NEWS: सिकिदिरी की बिजली से हो रहा है रांची रोशन
रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में सिकिदिरी हाइडल के बिजली से शहर रोशन हो रहा है। टीवीएनएल के बार-बार झटका देने के बाद सिकिदिरी हाइडल एक मजबूत विकल्प के रूप में सामने आया है। खास बात यह है कि इस पनबिजली परियोजना से रोजाना पीक आवर (शाम छह बजे से रात दस बजे तक) 130 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। सिकिदिरी हाइडल में 65-65 मेगावाट की दो यूनिटें हैं। इस हाइडल प्लांट को चलाने में वाटर चार्ज सहित मेनटेनेंस जोड़कर सालाना डेढ़ करोड़ रुपए से भी कम खर्च आता है।उत्पादन लागत भी कम
थर्मल पावर से बिजली उत्पादन में 4.50 से छह रुपये प्रति यूनिट का खर्च आता है। जबकि सिकिदिरी हाइडल से दो रुपये प्रति यूनिट बिजली उत्पादन पर खर्च आता है। पिछले साल 162 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ था। इस साल अब तक 70 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हो चुका है। यह गणना हर साल एक अप्रैल से 31 मार्च तक की जाती है। इस साल भी 162 मिलियन यूनिट से अधिक बिजली उत्पादन की संभावना जताई गई है। डैम में 1914 फीट पानी जरूरी
सिकिदिरी हाईडल में बिजली का उत्पादन गेतलसूद डैम में 1914 फीट पानी रहने तक होता रहेगा। फिलहाल डैम में 1928 फीसदी पानी है। इस हिसाब से 14 फीसदी पानी अधिक है। वर्तमान में सिकिदिरी हाइडल की दोनों यूनिटों से रोजाना पीक आवर में 130 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। अब तक 70 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन हो चुका है। मार्च 2024 तक 160 मिलियन यूनिट से अधिक उत्पादन की संभावना है।मार्च तक होगा उत्पादनइस हाइडल प्रोजेक्ट से अभी तीन महीने तक लगातार उत्पादन होता रहेगा। इस डैम में पानी का लेवल बेहतर रहने के कारण यहां उत्पादन शुरू हो गया है। अभी बारिश होने के साथ ही यहां उत्पादन हो रहा है।उत्पादन 300 एमयू पारझारखंड बनने के बाद अधिकतम उत्पादन 270 एमयू वर्ष 2011-12 में हुआ था। सिकिदिरी जल विद्युत परियोजना के निर्माण के बाद यह सिर्फ दूसरा अवसर है जब बिजली का उत्पादन 300 एमयू को पार किया। संयुक्त बिहार में वर्ष 1994 में सिकिदिरी से 300 एमयू का बिजली का उत्पादन किया गया थादो पावर प्लांट
सिकिदिरी हाइडल प्रोजेक्ट में 65-65 मेगावाट का दो पावर प्लांट हैं। दोनों पावर प्लांट से प्रतिदिन पीक ऑवर में पांच घंटे तक 105 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। गेतलसूद नहर से छोड़े गए पानी से सिकिदिरी में दो जगहों पर बिजली का उत्पादन होता है। पहले पावर प्लांट एक में बिजली का उत्पादन होता है, इसके बाद यही पानी पावर प्लांट दो में जाकर बिजली का उत्पादन करती है, एक ही खर्च पर दो पावर प्लांट से बिजली का उत्पादन हो रहा है। साफ-सफाई हो तो बढ़े उत्पादनगेतलसूद डैम में जमा गाद की पिछले 50 सालों से साफ-सफाई नहीं की गई है। जिससे डैम में करीब 24 फीट गाद भर गया है। रांची की बढ़ रही जनसंख्या को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए गेतलसूद डैम के जलस्तर को 1914 आरएल फीट तक स्थिर कर दिया गया है। इस जलस्तर पर बिजली उत्पादन के लिए पानी की आपूर्ति बंद कर दी जाती है। इसके बाद बारिश होने पर ही बिजली उत्पादन शुरू होता है। गेतलसूद की न्यूनतम गहराई 1886 आरएल फीट है व जलाशय की क्षमता 1936 आरएल फीट है।