पानी बचाने को लेकर आगे आई रांची की सिविल सोसायटी, कहा-पानी बचाना ही समस्या का समाधान
रांची(ब्यूरो)। जल है तो कल है। जल के बिना सुनहरे कल की कल्पना नहीं की जा सकती। जीवन के सभी कार्यों को करने के लिए जल बेहद जरूरी है। इसके बावजूद जल बेवजह बर्बाद किया जाता है। जल-संकट का समाधान जल के संरक्षण में ही है। ये बातें भूगर्भ जल विशेषज्ञ टीबीएन सिंह ने कहीं। उन्होंने बताया की जल पृथ्वी पर उपलब्ध एक बहुमूल्य संसाधन है। यह प्रत्येक प्राणी के जीने का आधार है। पानी की समस्या को देखते हुए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से पानी बड़ी चीज है नाम से एक कैंपेन चलाया गया। इसमें हर दिन पानी की समस्या और इसके समाधान पर स्टोरी प्रकाशित की गई। कैंपेन का समापन जल विशेषज्ञ और आम नागरिकों के साथ हुई बातचीत से किया जा रहा है। इसी क्रम में भूगर्भ जल विशेषज्ञ टीबीएन सिंह ने बताया कि धरती का लगभग तीन चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है, किन्तु इसमें से 97 परसेंट पानी खरा है जो पीने योग्य नहीं है। पीने योग्य पानी की मात्रा सिर्फ 3 परसेंट है। इसमें भी 2 परसेंट पानी ग्लेशियर एवं बर्फ के रूप में है। इस प्रकार सही मायने में मात्र 1 परसेंट पानी ही मानव के उपयोग हेतु उपलब्ध है। इसलिए हमें इसका मोल समझना चाहिए और पानी की बर्बादी से बचना चाहिए।
बढती आबादी बढ़ा रही समस्या
बढ़ती जनसंख्या के कारण भी पानी की खपत बढ़ी है। शहर का डेवलपमेंट, तेजी से बढ़ती इंडस्ट्रीज, जनसंख्या में लगातार वृद्धि के साथ पेयजल की उपलब्धता आज चुनौती बन गई है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है पानी की समस्या भी बढ़ती जा रही है। प्रतिवर्ष यह समस्या पहले के मुकाबले और विकराल हो रही है। लेकिन गर्मी का मौसम बीतते ही बारिश शुरू हो जाती है, फिर लोग इस गंभीर समस्या पर चर्चा भी बंद कर देते हैं। वैसे तो प्रत्येक साल 22 मार्च को जल दिवस मनाया जाता है। लेकिन महज एक दिन के प्रयास से इस गंभीर समस्या से निजात नहीं मिल सकता है। सिर्फ औपचारिकता नहीं है, बल्कि जल संरक्षण का संकल्प लेकर दूसरे सभी व्यक्तियों को जल सरंक्षण के प्रति अवेयर करना होगा।
सभी मिलकर बचाएं पानी
डैम बचाने की दिशा में लगातार काम कर रही संस्था झारखंड सिविल सोसायटी के अध्यक्ष अमृतेश पाठक कहते हैं, पानी की समस्या पर हर कोई बात करता है, लेकिन इसके समाधान पर कोई ध्यान भी नहीं देता। सेव वाटर की बात करने वाले लोगों के घर में भी पानी की बर्बादी होती देखी है। शुरुआत अपने घर से ही होनी चाहिए। अपने घर, आस-पड़ोस के लोगों को पानी बचाने के लिए अवेयर कर सकें तो यह बड़ी उपलब्धि होगी। पूरा देश जब ऐसा सोचने लगेगा तो पानी की समस्या काफी हद तक दूर हो जाएगी। आज नदी, तालाब, डैम का अतिक्रमण कर वाटर रिसोर्सेज को बर्बाद कर दिया गया। पेड़-पौधे काट कर ऊंची-ऊंची इमारते खड़ी कर दी गईं। यही हाल रहा तो पानी की समस्या कम नहीं होगी बल्कि और अधिक बढ़ेगी।
पानी का संरक्षण आज बहुत ज्यादा जरूरी है। पानी के बिना भविष्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। किचन और बाथरूम में सबसे ज्यादा पानी बर्बाद होता है। यहां यदि हम लोग सोच-समझ कर और कम पानी खर्च करेंगे तो इससे पानी का काफी बचाव होगा। इसके अलावा पोंछा लगाने, कपड़े धोने, बर्तन धोने से लेकर पेड़-पौधों को पानी देने में भी काफी पानी बर्बाद कर दिया जाता है, जबकि थोड़े-थोड़े पानी से भी सारे काम किए जा सकते हैं।
-सुनीता
घर का सारा काम पानी से ही होता है। खाना बनाने से लेकर बर्तन धोने तक। ये सारे काम जरूरी भी हैं। लेकिन इसमें भी हमलोग समझदारी से काम लें तो पानी बचाया जा सकता है। कई घरों में देखा जाता है। हम काम के लिए मोटर चला लेते हैं। इससे ग्राउंड वाटर लेवल पर असर पड़ता है। लोग सिर्फ बोरिंग पर ही डिपेंड हो गए हैं। यदि पाइप लाइन से आने वाले पानी से भी कुछ काम किया जाए तो ग्राउंड वाटर को संरक्षित किया जा सकता है।
-अंजली
लोग अपनी गाड़ी धोने में सैकड़ों लीटर पानी बर्बाद कर देते हैं। सबसे ज्यादा तो वॉशिंग सेंटर में पानी बर्बाद किया जा रहा है। गाड़ी धोने के बाद पानी नाले में बहा दिया जाता है। यदि इसे रिस्टोर करें तो रिसाइक्लिंग कर फिर से इस्तेमाल कर सकते हैं। आज घर-घर में बोरिंग में है। लोग हेवी बोरिंग कर ग्राउंड वाटर को डैमेज कर रहे हैं। वहीं, डेवलपमेंट के नाम पर न सिर्फ पेड़-पौधे काटे जा रहे हैं, बल्कि नदी, तालाब, डैम को भी बर्बाद कर दिया गया है। इससे भी ग्राउंड वाटर लेवल पर असर पड़ रहा है।
-प्राची
आरओ वाटर प्लांट की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। शुद्ध पानी देने के नाम पर प्लांट संचालक भूगर्भ जल का दोहन कर रहे हंै। प्लांट में दो से तीन डीप बोरिंग करा कर पानी निकाला जा रहा है, जिससे आसपास के इलाकों में पानी की समस्या बढऩे लगी है। सिटी में हजारों इल्लीगल वाटर प्लांट खुल गए हैं। इन पर कार्रवाई की जरूरत है। प्लांट संचालक हमारा ही पानी हमें ही बेचते हैं। घर में बोरिंग होते हुए भी लोग आरओ प्लांट से पानी खरीदने को विवश हैं, क्योंकि उनकी बोरिंग का पानी गंदा हो चुका है।
-राहुल सोनी
प्रकृति हमें पानी देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती। प्रत्येक साल बारिश में जम कर पानी मिलता है। लेकिन हम इसे भी बचाने के बजाय बर्बाद कर देते हैं। हर घर में बारिश का पानी आता है, लेकिन वह सड़क या नाले में बहकर चला जाता है। यदि घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनवाया जाए तो वर्षा के पानी को संरक्षित किया जा सकता है। यह पानी जमीन के अंदर जाएगा, जिससे ग्राउंड वाटर लेवल भी रिचार्ज होता रहेगा। भूगर्भ वैज्ञानिक भी वाटर हार्वेस्टिंग को कारगर मानते हैं। प्रत्येक घर, ऑफिस में रेन वाटर हार्वेस्टिंग होना चाहिए।
- आदित्य