बच्चों की सेफ्टी ही हो फस्र्ट प्रायोरिटी
रांची (ब्यूरो)। बच्चों की सेफ्टी ही फस्र्ट प्रायोरिटी होनी चाहिए। स्कूल व्हीकल्स का सिर्फ पेपर ही नहीं बल्कि कंडीशन भी दुरुस्त हो। नशेबाज को स्कूल वैन की स्टेयरिंग कभी भी नहीं सौंपी जाए। ये बातें सिटी के स्कूली बच्चों के पेरेंट्स ने सोमवार को कहीं। सेफ्टी का मीटर डाउन सीरिज के आखिरी दिन दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से रांची कॉलिंग वेबिनार का आयोजन किया गया, जहां बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों के पेरेंट्स, सोशल वर्कर्स समेत सिटी के गणमान्य लोगों ने अपने विचार रखे। वहीं, मौके पर मौजूद डीटीओ व ट्रैफिक एसपी ने बच्चों की सेफ्टी के लिए हर जरूरी कदम उठाने का वादा किया। बता दें कि दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से पिछले एक सप्ताह से बच्चों की सेफ्टी को लेकर लगातार खबरें प्रकाशित की गईं, जहां चौंकानेवाले खुलासे हुए।
लापरवाही बर्दाश्त नहीं
छोटे-छोटे बच्चे भी वाहन से स्कूल आना-जाना करते हैं। ऐसे में बच्चों की सेफ्टी ही बस चालक की फस्र्ट प्रायोरिटी होनी चाहिए। कई बार देखा गया है कि बस चालक नशे में धुत होकर वाहन चलाते हैं जो काफी खतरनाक है। बस चालकों की लापरवाही के कारण कई बार एक्सीडेंट के मामले भी सामने आ चुके हैं। हालांकि, अबतक राजधानी में किसी प्रकार की गंभीर घटना नहीं हुई है। छोटे-छोटे कई हादसे हो चुके हैं। इन हादसों से सबक लेते हुए किसी गंभीर दुर्घटना से बचने का प्रयास करना चाहिए। स्कूल वैन हो या बस सभी के पेपर अप टू डेट होने जरूरी हैं। गाड़ी बिल्कुल फिट होनी चाहिए। बस और वैन के लिए तैयार गाइडलाइंस का अक्षरश: पालन होना चाहिए। अभिभावकों ने कहा कि बस ऐसे हैं, जिसकी खिड़की में आज भी जाली नहीं लगी हुई है। इन खिड़की से बच्चे हाथ बाहर निकाल लेते हैं। इसलिए खिड़की में लोहे की जाली लगानी चाहिए। इसके अलावा गाड़ी में फस्र्ट एड से लेकर फायर सेफ्टी तक के सभी उपकरण मौजूद होने चाहिए।
सेफ्टी से समझौता नहीं
बच्चों की सेफ्टी से किसी हालत में समझौता नहीं करना चाहिए। बच्चों के स्कूल जाने से लेकर उनके घर लौटने तक चिंता बनी रहती है। बच्चे सुरक्षित हों यह बस चालक की सबसे बड़ी जिम्मेवारी होती है। उनके जिम्मे 50 से 60 बच्चे होते हैं। हल्की लापरवाही भी खतरनाक साबित हो सकती है। गाड़ी के पेपर के साथ-साथ उसका कंडिशन भी दुरुस्त होना चाहिए। मैं इस मामले में काफी अवेयर हूं। अपने बच्चों को पिक एंड ड्राप करने वाली गाड़ी की लगातार जांच-पड़ताल रहती हूं। ड्राइवर से भी लगातार संपर्क में रहती हूं।
-विमला देवी
बच्चे जिस वाहन से स्कूल आना-जाना करते हैं, उसका ड्राइवर नशेड़ी न हो, इसका ख्याल रखना बेहद जरूरी है। ड्राइवर यदि शराबी होगा तो दुर्घटना की आशंकाएं बढ़ जाती हैं। स्कूल मैनेजमेंट को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। ड्राइवर या खलासी की नियुक्ति के समय ही सभी जांच-पड़ताल कर लेनी चाहिए। बस चालक का मेडिकल और कैरेक्टर टेस्ट भी होना चाहिए। किसी अपराधी को वाहन स्टेयरिंग नहीं पकड़ाना चाहिए।
-विजय अग्रवाल, बिजनेस मैन निश्चित हो स्टापेज
मेरे बच्चे वैन से स्कूल आते-जाते हैं। वैन की स्थिति ठीक है और उसका ड्राइवर भी सही है। फिर भी मैं स्कूल प्रबंधन से समय-समय पर इसकी जांच कराने की मांग करता रहता हूं। बस चालकों की जो सबसे ज्यादा खराब आदत है वह ये कि वे बीच सड़क गाड़ी रोक कर बच्चों को उतारने लगते हैं। यह काफी खतरनाक है। ऐसा करने से सड़क पर जाम की समस्या तो बनती ही है, साथ ही बच्चों के गिरने की भी आशंका बनी रहती है। बसों के लिए एक निश्चित स्टापेज होना बेहद जरूरी है।
-रतन श्रीवास्तव, गवर्नमेंट जॉब
फस्र्ट एड किट जरूरी
जिस वाहन से बच्चे आना-जाना करते हैं, उसमे सेफ्टी के सारे उपकरण होने चाहिए। कई बार बच्चों को वाहन के लोहे से चोट लग जाती है। ऐसे में उनके प्रारंभिक इलाज के लिए लिए फस्र्ट एड किट होना जरूरी है। वहीं फायर सेफ्टी की भी व्यवस्था होनी चाहिए। बच्चों को संभालने के लिए महिला और पुरुष कर्मचारी भी होने चाहिए। गाड़ी में कैपासिटी से ज्यादा बच्चे न बिठाए जाएं, इसका भी ख्याल रखना होगा। क्षमता से अधिक बच्चे बिठाने की शिकायत हमेशा आती रहती है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
-मनोज अग्रवाल, सोशल वर्कर, राजद नेता
तैयार की जा रही गाइडलाइंस
स्कूल वाहनों के लिए गाइडलाइन तैयार की जा रही है। सिटी को जाम फ्री बनाने के साथ-साथ बच्चों की सेफ्टी के लिहाज से भी इस दिशा में काम हो रहे हैं। सभी बस ओनर्स को बस की परमिट रिन्युअल के लिए नोटिस भेजा गया है। कई बस ओनर्स ने रिन्युअल करा लिया है, कुछ ने आवेदन दिया है। बसों की फिटनेस देख कर ही परमिट रिन्युअल किया जाता है। साथ ही बस में सुरक्षा से संबंधित सभी बिंदुओं पर जांच की जाएगी। इसे लेकर स्कूल संचालकों के साथ मीटिंग भी हुई है। भविष्य में और भी मीटिंग करके व्यवस्था दुरुस्त की जाएगी।
- प्रवीण कुमार प्रकाश, डीटीओ, रांची
स्कूल बसों के स्टापेज चिन्हित किए जा रहे है। वैन की भी जांच कराई जाएगी। कैपासिटी से अधिक बच्चों को बिठाने वाले वाहन चालक पर कार्रवाई भी की जाएगी। बच्चों की सेफ्टी ही पहला उद्देश्य है। वहीं ऑटो चालकों पर लगातार कार्रवाई हो रही है। क्षमता से अधिक पैसेंजर बिठाने वाले ऑटो चालक पर कार्रवाई हुई है। इसके अलावा बगैर परमिट के चलने वाले ऑटो भी पुलिस के रडार पर हैं। अनफिट गाडिय़ों को सड़क से बाहर किया जा रहा है। हालांकि पेरेंट्स अपने बच्चों को जिस ऑटो में स्कूल भेजते हैं, उसका फिटनेस कंडिशन जरूर देख लें।
-हारिश बिन जमां, ट्रैफिक एसपी, रांची