आरटीई में प्राइवेट स्कूल फेल
रांची(ब्यूरो)। राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत आधे से भी कम सीट पर बीपीएल बच्चों का एडमिशन हो रहा है। विभाग भी ध्यान नहीं दे रहा है, स्कूल वाले अपने तरीके से एडमिशन ले रहे हैं। राजधानी रांची में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत तकरीबन 103 स्कूलों में एडमिशन लिया जाता है। जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय के आंकड़े के अनुसार, रांची के निजी स्कूलों में बीपीएल बच्चों के लिए 1052 सीट रिजर्व हैं। इन्हीं 1052 सीटों में एडमिशन के लिए प्रत्येक साल आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं, लेकिन हर साल आधे से भी कम सीटों में ही एडमिशन हो पाता है। रांची में साल 2020-21 में केवल 402 और साल 2021-22 में 435 बीपीएल बच्चों का ही निजी स्कूलों में दाखिला हो सका है। साल 2019-20 में यह आंकड़ा महज 350 के करीब था। हर साल सरकार दे रही एक करोड़
प्राइवेट स्कूल इसलिए अपने स्कूल में आरटीई के तहत बच्चों का एडमिशन लेने से कतराते हैं क्योंकि उनको सरकार द्वारा बहुत कम पैसा दिया जाता है। प्राइवेट स्कूल में जहां हर महीने चार हजार रुपए फीस है, वहीं बीपीएल बच्चों के लिए सरकार साल भर में 5100 रुपए खर्च करती है। ट्यूशन फीस के रूप में 245 रुपए का भुगतान किया जाता है। राज्य सरकार की ओर से निजी स्कूलों को बीपीएल बच्चों की पढ़ाई के एवज में बीते 11 साल में 11 करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। झारखंड में शिक्षा का अधिकार अधिनियम साल 2011-12 से लागू हुआ। राज्य शिक्षा परियोजना के आंकड़े के अनुसार राज्य भर में तकरीबन 400 निजी स्कूल हैं, जहां बीपीएल बच्चों का एडमिशन लिया जाता है।21 हजार बच्चों को एडमिशन झारखंड में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत 11 साल में राज्य के निजी स्कूलों से 21 हजार बीपीएल बच्चे पढ़ाई कर पाए हैं। इन बच्चों की पढ़ाई के लिए राज्य सरकार की ओर से निजी स्कूलों को लगभग 11 करोड़ रुपए बतौर फीस दी जा चुकी है। राज्य की राजधानी रांची में आरटीई के तहत एडमिशन के आंकड़े हर साल तय लक्ष्य के आधे से भी कम होते हैं, ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे राज्य में आरटीई के तहत एडमिशन लेने और पढ़ाई पूरी करने वाले स्टूडेंट्स की क्या स्थिति होगी। क्या है एडमिशन की क्राइटेरिया
वैसे अभिभावक जिनकी वार्षिक आय 72 हजार रुपए से कम हो, वे अपने बच्चे के एडमिशन के लिए अप्लीकेशन देंगे। नर्सरी, एलकेजी में एडमिशन के लिए बच्चे की उम्र साढ़े तीन साल से साढ़े चार साल होनी चाहिए। क्लास 1 में एडमिशन के लिए बच्चे की उम्र साढ़े पांच साल से सात साल के बीच होनी चाहिए। इसके तहत रांची जिले के 103 निजी स्कूलों की प्रवेश कक्षा के 25 परसेंट सीटों में एडमिशन लिया जाएगा। इसके लिए ऑनलाइन अप्लीकेशन करना होगा। अधिनियम के नियमानुसार, एक किलोमीटर, तीन किलोमीटर और पांच किलोमीटर की सीमा में मौजूद निजी स्कूलों में एडमिशन के लिए अप्लीकेशन दिया जा सकता है। आरटीई क्योंदेशभर में कई ऐसे लोग हैं जो गरीबी के कारण अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाते। ऐसे बच्चों के लिए सरकार फ्री एजुकेशन उपलब्ध कराती है। सरकार ने इसे कानूनी स्वरूप दिया है। नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम.2009 के तहत प्राइवेट स्कूलों में बीपीएल बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गयी हैं। इसके तहत स्कूलों के केवल प्रवेश कक्षा में ही एडमिशन लिया जाता है। इन बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार उठाती है। नहीं ले रहे एडमिशन
राज्य सरकार ने साल 2018 में 13263, साल 2019 में 14045 और साल 2020 में 11,766 स्टूडेंट्स के लिए राशि आवंटित की है। वहीं, आरटीई के तहत निजी स्कूलों में साल 2019 में एडमिशन के आंकड़े के अनुसार शहर के सबसे प्रतिष्ठित स्कूलों में भी नामांकन के आंकड़े खराब हैं। डीपीएस में साल 2019 से मात्र 10 सीट पर ही नामांकन हुआ था। शहर के 66 स्कूलों में कुल 938 सीट आरटीई के तहत तय है। लेकिन इन स्कूलों में सिर्फ 150 से भी कम छात्र-छात्राओं का नामांकन हुआ। आरटीई के तहत एडमिशन के आंकड़ों पर गौर करें तो 2012 से 2019 तक स्कूलों में निर्धारित लक्ष्य का 50 परसेंट रहा है। साल 2019 और 21 के बीच यह आंकड़ा 40 प्रतिशत है। हालांकि, साल 2021-22 में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू है। लेकिन अब तक विभाग की ओर से स्पष्ट रिपोर्ट नहीं दी गई है।