रील बनाने और सेल्फी लेने के चक्कर में जान गवां रहे युवा.सेल्फी लेने के चक्कर में वाटर फॉल में डूब गया आर्यन. लाइक और कमेंट के लालच में दांव पर लगा रहे लाइफ


रांची (ब्यूरो): राजधानी रांची में सेल्फी लेने और रील बनाने का शौक रियल लाइफ पर भारी पड़ रहा है। रील बनाने के इस शौक के आगे युवक-युवतियां अपनी जान गवां रहे हैं। लाइक्स और कमेंट्स के लिए युवा अपनी जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं। रील बनाने की यह बीमारी बड़ी तेजी से पूरे देश में फैल रही है। कई शहरों में रील बनाने के चक्कर में युवा जेल की हवा भी खा चुके हैं, लेकिन आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। रील बनानेे के अलावा सेल्फी लेना भी जिंदगी पर भारी पड़ रहा है। कई बार युवा जोखिम भरे स्थान पर सेल्फी लेने चले जाते हैं। जहां हल्की सी चूक से वे अपनी जान गवां बैठते हैं। ताजा मामला रांची के बुढ़मू थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां जिकरा वाटर फॉल में सेल्फी लेने के दौरान आर्यन उरांव पानी के तेज बहाव में डूब गया, जिससे उसकी मौत हो गई। मृतक अपने दोस्तों के साथ जिकरा फॉल घूमने आया था। फॉल के नजदीक सेल्फी लेने के चक्कर में छात्र का पैर फिसल गया और वह फॉल में गिर गया। कभी रेल पटरी तो कभी वाटर फॉल
यह पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी रील बनाने और सेल्फी लेने के चक्कर में युवा अपनी जान गंवाते रहे हैं। फिर भी इनमें सुधार नहीं आ रहा है। कभी रेल की पटरी पर तो कभी वाटर फॉल में, कभी नदी तो कभी किसी और जोखिम वाले स्थान पर युवा रील बनाते दिख जाएंगे। साथ ही सेल्फी लेकर सोशल मीडिया में पोस्ट करने की बैचेनी भी युवाओं में साफ नजर आती है। सिर्फ कुछ कमेंट्स और लाइक के लिए युवा अपनी जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं। रील्स में इन्फॉर्मेशनल, फनी, मोटिवेशनल और डांस समेत कई तरह के विडियो होते हैं। रील्स एक तरह का इंस्टाग्राम पर शॉर्ट विडियो होता है। शुरुआत में यह रील्स 30 सेकंड का हुआ करता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 90 सेकंड का कर दिया गया है। डिप्रेशन के भी हो सकते हैं शिकार सीआईपी के सीनियर साइकाइट्रिस्ट डॉ संजय कुमार मुंडा बताते हैं कि रील्स बनाना एक प्रकार की लत है। इससे बचने की जरूरत है। वर्चुअल दुनिया लोगों को शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से बीमार कर रही है। रील्स भी सोशल मीडिया एडिक्शन का ही एक हिस्सा है। यह 15 से 35 साल तक के युवाओं में ज्यादा होता है। ऐसे लोग रील्स के फॉलोअर्स को ही अपना दोस्त मानने लगते हैं। वर्चुअल दोस्त को ही असली मानने लगते हैं, जिसकी वजह से वे कभी-कभी डिप्रेशन के भी शिकार हो जाते हैं। वहीं, क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट डॉ भाग्यश्री कर का कहना है इन दिनों सोशल मीडिया पर रील का दौर चल रहा है। युवाओं मेें रील की ऐसी दीवानगी है कि रियल लाइफ को जोखिम में डालने से पीछे नहीं हटते हैं। लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसमें रील और सेल्फी लेने के चक्कर में युवा अपनी जिंदगी गंवा रहे हैं। वहीं, बाइक स्टंट करते रील बनाने वाले युवा खुद के साथ सड़क पर चलने वाले दूसरे लोगों के लिए भी खतरा बन रहे हैं।

Posted By: Inextlive