खौफ के साये में गुजर रही रांची की रेप पीडि़ताओं की जिंदगी
रांची(ब्यूरो)। सिटी में रेप के मामलों में इजाफा हुआ है। नाबालिग लड़कियों के साथ यह जघन्य अपराध काफी हो रहे हैं। दुष्कर्म के आरोपियों को कड़ी सजा नहीं मिलने की वजह से यह अपराध थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी महीने अब तक चार नाबालिगों को अपराधियों ने अपनी हवस का शिकार बनाया है। दुष्कर्म पीडि़ताओं के जख्म भरते ही नहीं। न्याय पाने के लिए सिस्टम में उनका बार-बार मानसिक बलात्कार होता है। रसूखदारों की ऊंची पैठ और लंबी कानूनी प्रक्रिया के कारण दुष्कर्म पीडि़ता को न्याय के लिए सालों इंतजार करना पड़ता है। राजधानी रांची में भी साल दर साल ऐसे मामले बढ़ते जा रहे हैं। स्थानीय थानों की संवेदनहीनता के कारण पीडि़ताओं की तो पहले प्राथमिकी दर्ज नहीं हो पाती, मामला दर्ज भी हो गया तो पुलिस इसमें सुस्ती से काम करती हैं, जब तक किसी कहीं से पैरवी न आए या स्थानीय लोग हंगामा न खड़ी कर दें। इन सबमें इतना समय बीत जाता है कि मेडिकल में भी साक्ष्य नहीं मिलता। इससे आरोपियों को लाभ मिल जाता है।
रांची में सालाना 25 नाबालिग शिकार
राजधानी रांची में हर साल औसतन 25 नाबालिगों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं। रांची में इस साल अब तक 15 नाबालिगों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं हो चुकी हैं। वहीं, पूरे राज्य में अब तक नाबालिग से दुष्कर्म के 228 मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन न्याय पाने वाली पीडि़ताओं की संख्या काफी कम है। सिटी में अब भी करीब 20 परसेंट ऐसे मामले हैं, जिनमें पीडि़ताओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है। आरोपी के पकड़े जाने के बाद भी लंबी कानूनी प्रक्रिया की वजह से दुष्कर्म पीडि़ता को ही परेशानी झेलनी पड़ती है।
5 वर्षों में 1397 नाबालिगों से रेप
पिछले पांच वर्षों में झारखंड में नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के 1397 मामले दर्ज हुए। इनमें से 275 मामले अब भी लंबित हैं। इस मामले में धनबाद जिला पूरे राज्य में अव्वल है, जहां सबसे अधिक नाबालिग बच्चियां दुष्कर्म की शिकार हो रही हैं। दूसरे नंबर पर राजधानी रांची और तीसरे स्थान पर बोकारो जिला है, जहां हर साल 25 नाबालिग लड़कियां दुष्कर्म की शिकार बन रही हैं। दुष्कर्म के आरोपी लड़की और उसके पूरे परिवार की जिंदगी कुछ पल में तबाह कर देते हैं। आरोपियों को सजा नहीं मिलने से सिर्फ पीडि़ता ही नहीं, बल्कि पूरे परिवारवाले भी सहमे रहते हैं। पीडि़ता को भय के साये में जीना पड़ता है।
ज्यादातर परिचित ही आरोपी
नाबालिगों के साथ जितने भी दुष्कर्म के मामले सामने आ रहे हैं, उनमें अधिकतर में उसके परिचित ही आरोपी हैं। कहीं दोस्त तो कहीं पड़ोसी द्वारा अपराध को अंजाम दिया गया। इसी महीने दुष्कर्म की शिकार हुई नाबालिग अपने दोस्त के साथ धुर्वा डैम घूमने आई थी। उसके दोस्त ने ही अपने दोस्तों के साथ मिलकर नाबालिग की अस्मत लूट ली। इसके साथ ही यह भी बात सामने आई है कि नाबालिग से दुष्कर्म करने वालों में नाबालिग आरोपी भी शामिल हैं।
इंटरनेट बिगाड़ रही मानसिकता
इन दिनों इंटरनेट पर एक से बढ़कर एक अश्लील, फूहड़ और न्यूड विडियो की भरमार हो चुकी है। ज्यादा व्यू पाने के लिए लड़कियां सभी सीमाओं को लांघ रही हैं। दुष्कर्म की एक वजह यह भी है। आज के समय में हर किसी के हाथ में एंड्रायड फोन है। कम उम्र के लड़कों के पास भी स्मार्ट फोन है। फोन में हर तरह की अश्लील सामग्री आसानी से उपलब्ध है। इन्हीं वीडियो को देखकर लड़कों की मानसिकता खराब हो रही है, जिससे वे जघन्य अपराध करने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं।
इसी महीने चार शिकार
इसी महीने अब तक चार नाबालिग दुष्कर्म की शिकार हो चुकी हैं। बीते दो अक्टूबर को धुर्वा थाना क्षेत्र की रहने वाली एक नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी। उसके ठीक पांच दिन बाद सात अक्टूबर को फिर धुर्वा थाना क्षेत्र में ही नाबालिग को दुष्कर्म का शिकार बनाया गया। सुखदेव नगर थाना क्षेत्र में रहने वाली मजदूरी करने वाले दंपती की 12 वर्षीय बच्ची भी दुष्कर्म की शिकार हुई। इसके बाद इटकी थाना क्षेत्र से मामला सामने आया, जहां जंगल में ले जाकर कुछ लोगों ने नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म किया।
केस-1
सुखदेवनगर थाना क्षेत्र में साल 2020 में एक नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। इसकी प्राथमिकी भी दर्ज हुई, लेकिन लंबे समय के बाद भी अबतक ट्रायल भी शुरू नहीं हुआ है। एक अभियुक्त जमानत पर लंबे समय से जेल से बाहर है।
केस-2
सिल्ली थाने में वर्ष 2020 में दर्ज पॉक्सो एक्ट के एक मामले में अभियुक्त लंबे समय से जमानत पर बाहर है। मामला न्यायालय में चल रहा है। आरोपी को अब तक सजा नहीं होने से पीडि़ता भी दहशत के साये में जी रही है।
केस-3
टाटीसिलवे थाना क्षेत्र में वर्ष 2019 में दर्ज सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दोनों अभियुक्त जमानत पर जेल से बाहर हैं। घटना के चार साल बाद भी यह मामला अभी भी न्यायालय में चल रहा है। पीडि़ता और उसके परिवार वाले न्याय की आस में दर-दर भटक रहे हैं।