उफ, हेलमेट से इतनी एलर्जी!
रांची (ब्यूरो)। रांची के लोगों में लापरवाही भी कैसी- तो कोई बाइक-स्कूटी चलाते वक्त हेलमेट नहीं पहना तो किसी ने कार ड्राइविंग के दौरान सीट बेल्ट नहीं बांधी। 80 लाख रुपए का जुर्माना सिर्फ बिना हेलमेट पहने बाइक-स्कूटी चलाने वाले लोगों पर लगा है। वहीं, दूसरे नंबर पर बिना सीट बेल्ट बांधे कार चलाने वाले हैं। ऐसे में सवाल तो बनता है कि आखिर हेलमेट से इतनी एलर्जी क्यों? एक तो खुद की जान का खतरा और ऊपर से फाइन में अपनी मेहनत की कमाई गंवाना पड़ रहा है। ऐसी लापरवाही खासकर यंगस्टर्स में देखी जा रही है। खासकर कॉलेज के पास स्टूडेंट्स बिना हेलमेट के ही चलते हैं। इसमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं। शहर की सभी सडकों, चौक-चौराहों पर बिना हेलमेट ड्राइविंग करते हुए लोग नजर आ जाएंगे। सुस्त पड़ गई पुलिस चेकिंग
बीते कुछ दिनों से शहर में पुलिस की चेकिंग भी सुस्त पड़ गई है। करीब तीन महीने से राजधानी में ट्रैफिक एसपी का पोस्ट खाली है। अजीत पीटर डुंगडुग का ट्रांसफर अगस्त महीने में हुआ था। उसके बाद अंजनी अंजन को पदभार दिया गया, लेकिन एक महीने के अंदर ही उनका भी ट्रांसफर हो गया। इसके बाद रेश्मा रमेशन को प्रभारी बनाया गया। लेकिन महज कुछ दिनों में उनका भी तबादला कर दिया। कप्तान नहीं होने की वजह से जैसे-तैसे यह व्यवस्था संभल रही है। चौक-चौराहों पुलिस तो है लेकिन जांच बहुत कम हो रहा है। मोनिटरिंग नहीं होने के कारण शहर का कैमरा भी ठीक से काम नहीं कर रहा है। नेटवर्क बैठने से पूरा सिस्टम बैठ जा रहा है। लेकिन इसकी शिकायत करने वाला कोई नहीं। वहीं ट्रैफिक सिग्नल का भी बहुत बुरा हाल है। चौक-चौराहों पर सिग्नल जल नहीं रहे है। यदि पूरी तरह व्यवस्था ठीक हो जाती है और सिग्नल भी दुरुस्त रहेंगे तो फाइन में और ज्यादा बढोतरी होगी। लगातार हो रहे है हादसे
सिटी में लगातार हादसे हो रहे हैं। ओवर स्पीड से आये दिन किसी न किसी की जान जा रही है। दो दिन पहले ही एक ट्रैफिक पुलिस की मौत हो गई। वहीं इसी महीने ओवर स्पीड के कारण ही महिला जवान की भी मौत हो चुकी है। यूथ ट्रैफिक रुल ब्रेक तो करते ही है साथ ही सड़क पर रैश ड्राइविंग भी करते हैं। रैश ड्राइविंग मेें बीते कुछ दिनों में पांच लोगों की मौत हो चुकी है। सिर्फ सिटी के अंदर ही नहीं बल्कि रिंग रोड में भी ओवर स्पीड और बिना हेलमेट के ड्राइविंग से लोगों की जान जा रही है। परेशानी इस बात की है कि फाइन के बाद भी युवा सुधरने का नाम नहीं ले रहे है। अधिकांश लोग फाइन की राशी भी जमा नहीं कर रहे है। लेकिन उनपर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जिससे गलती करने वालों को कानून का का भय भी नहीं हो रहा।