Air Pollution Ranchi : रांची की हवा में घुल रहा जहर नहीं रोका गया तो बढ़ेगा संकट. फ्लाईओवर निर्माण वाहनों व फैक्ट्रियों के धुएं ने बढ़ाई परेशानी. 50 या इससे कम एएक्यूआई लेवल ही सामान्य हवा की पहचान. 48 तक पहुंच गया है रांची में पीएम 10 लेवल. 17 तक पहुंच गया है रांची में पीएम 2.5 लेवल जो सामान्य से कहीं ज्यादा है. 241 पीपीएम पहुंचा हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड लेवल. 70 पीपीएम ही सामान्य लेवल है कार्बन मोनोऑक्साइड डब्ल्यूएचओ के अनुसार.


रांची(ब्यूरो)। देश की राजधानी दिल्ली की राह पर झारखंड की राजधानी रांची भी चल पड़ी है। इन दिनों दिल्ली में लगातार हवा खराब बनी हुई है। एएक्यूआई 334 तक पहुंच गया, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी है। ऐसे में सरकार ने प्रदूषण कम करने के उपाय शुरू कर दिए हैं। दिल्ली में ग्रैप-1 की पाबंदियां भी लागू कर दी गई हैं। लेकिन, दिल्ली की तरह ही रांची की हवा भी खराब हो रही है। रांची में अभी एएक्यूआई 159 तक पहुंच गया है। एएक्यूआई जितना अधिक होगा, वायु प्रदूषण का स्तर भी उतना हीं अधिक होगा। इससे स्वास्थ्य की समस्याएं बढेंगी। बता दें कि 50 या उससे कम एएक्यूआई लेवल में ही हवा अच्छी मानी जाती है। हवा में घुल रहा जहर
राजधानी रांची में सड़कों से उठ रही धूल और गाडिय़ों से प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। यहां की हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड सीओ लेवल खतरनाक स्तर पर है। कार्बन मोनोऑक्साइड लेवल के बढऩे से इंसान के हीमोग्लोबिन कम होने से लेकर फेफड़े तक प्रभावित होते हैं। राजधानी में कहीं फ्लाईओवर निर्माण तो कहीं पाइपलाइन बिछाने के काम से सड़कें जर्जर हो चुकी हैं। लगभग हर प्रमुख रास्ते पर धूल के गुबार उड़ रहे हैं। स्थिति यह है कि इन सड़कों से उठ रही धूल और गाडिय़ों से फैल रहे प्रदूषण का लेवल बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण विभाग के आंकड़ों के हिसाब से हवा में धूलकण की मात्रा बढ़ी है। इसमें पीएम 2.5 का लेवल 17 पहुंच गया है, जो सामान्य सीमा से अधिक है। साथ ही पीएम 10 लेवल भी 48 तक पहुंच गया है। हाल के दिनों में हवा में कार्बन मोनोऑक्साइड सीओ लेवल खतरनाक स्तर पर है। डब्लूएचओ के अनुसार, यह लेवल 70 पीपीएम से कम होना चाहिए। रांची में यह आंकड़ा 241 पीपीएम तक पहुंच गया है, जो खतरनाक स्थिति है। दूसरी ओर एएक्यूआइ लेवल 78 तक पहुंच गया है, जो नॉर्मल से डेढ़ गुना से भी अधिक है।कार्बन मोनोऑक्साइड है घातक


प्रदूषण बढऩे के पीछे मुख्य कारण वाहन हैं, जिनसे सीओ का लेवल बढ़ रहा है। साथ ही उड़ते धूल से भी प्रदूषण बढ़ता है। कार्बन मोनोऑक्साइड लेवल के बढऩे से इंसान में हीमोग्लोबिन कम होने से लेकर फेफड़े तक प्रभावित होते हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तता तब होती है जब रक्त में कार्बन मोनोऑक्साइड का निर्माण होता है। जब हवा में बहुत अधिक कार्बन मोनोऑक्साइड होता है तो शरीर लाल रक्त कोशिकाओं में आक्सीजन को कार्बन मोनोऑक्साइड से बदल देता है, जिससे हालत गंभीर हो सकती है। जरूरी है तैयारी -बाहर जाकर एक्सरसाइज कसरत करने से बचें।-घर से बाहर निकलें तो मास्क का इस्तेमाल जरूर करें।-घर के दरवाजों और खिड़कियों को बंद करके रखें, ताकि प्रदूषित व जहरीली हवा आपको नुकसान न पहुंचा सके।-घर में एयर मॉनिटर रखें, ताकि पता चल सके कि हवा कितनी प्रदूषित है।-अगर घर में प्रदूषित वायु है, तो एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें।

Posted By: Inextlive