डेढ़ महीने में दो कैदी फरार. तीन साल में आधा दर्जन कैदी भागने मेें सफल. सिर्फ सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर मामले की हो जाती है लीपापोती. बीते साल लिये गए निर्णय पर कोई अमल नहीं. बार-बार फरारी के बाद भी सबक नहीं ले रहा रिम्स प्रशासन.


रांची(ब्यूरो)। कैदियों के फरार होने के मामले में झारखंड का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स होटवार जेल से भी ज्यादा बदनाम हो चुका है। यहां से कैदियों के फरार होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, और न ही सबक लेते हुए रिम्स के कैदी वार्ड की सुरक्षा बढ़ाई जा रही है। रिम्स के कैदी वार्ड से कैदियों के फरार होने के बाद तैनात सुरक्षाकर्मियों को सस्पेंड करके मामले की सिर्फ लीपापोती कर दी जाती है। बीते महज डेढ़ महीने में रिम्स से दो कैदी फरार हो चुके हैं। लेकिन अब भी रिम्स प्रशासन, जेल प्रबंधन या लोकल थाना सुरक्षा बढ़ाने को लेकर कोई प्लानिंग भी नहीं कर रहे हैं। कैदी वार्ड से पहले भी अक्सर कैदी फरार होते रहे हैं। सुरक्षा में तैनात पुलिस को चकमा देकर कैदी बड़े आराम से घूमते-फिरते पहले वार्ड से फिर रिम्स परिसर से बाहर निकल जाते हैं। बीते दिनों फरार कैदी सूरज मुंडा ने भले बाद में सरेंडर कर दिया हो, लेकिन उसका फरार होना रिम्स प्रशासन से लेकर जेल प्रबंधन तक सबके लिए तमाचा है। दो साल में 14 कैदी भागे


पिछले दो साल में रिम्स से 14 कैदी फरार हो चुके हैं। सिर्फ डेढ़ महीने के अंदर ही दो कैदी रिम्स से भागने मेें सफल रहे हैं। वहीं कैदियों के फरार होने की स्थिति में अब तक लापरवाही बरतने के आरोप में 22 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया जा चुका है। 31 अक्टूबर 2023 को चोरी का आरोप में गिरफ्तार सूरज मुंडा रिम्स से फरार हो गया था। 13 सितंबर को कैदी वसीर भी हथकड़ी समेत भागने में सफल रहा। इसी तरह बीते साल 16 अप्रैल को दो कैदी फरार हो गए थे। 22 अप्रैल को एक और 20 सितंबर को भी एक कैदी फरार हो चुका है। सिर्फ कागज पर प्लान

साल 2022 में अक्टूबर महीने में ही रिम्स से दो कैदी फरार हो गए थे। अक्टूबर 2022 में नक्सली अमित और अपराधी मशहूर आलम खान एक साथ फरार होने में सफल रहे। दो कुख्यात कैदियों की फरारी के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया था। उस समय के तत्कालीन सीनियर एसपी किशोर कौशल ने कई पुलिसकर्मियों को निलंबित भी कर दिया था। आनन-फानन में कई निर्णय लिये गए। तय किया गया कि हर दिन कैदियों की गिनती करके रिपोर्ट सुरक्षा प्रभारी को भेजनी है। इसके अलावा रजिस्टर में कैदियों का हर दिन का डिटेल अंकित करना, व्हाट्सअप ग्रुप बनाकर सारी जानकारी सुरक्षा पदाधिकारी को देना, एक साधारण कैदी में दो और उग्रवादी या कुख्यात अपराधियों के लिए तीन पुलिसकर्मियों की तैनाती करने का निर्णय लिया गया था। इसके अलावा शिफ्ट वाइज पुलिस कर्मियों की ड्यूटी जैसे सभी निर्णय सिर्फ कागजों में ही बंद हो कर रह गए। इन गाइडलांस का यदि सही से पालन किया गया होता तो बार-बार रिम्स प्रशासन को बदनामी नहीं झेलनी पड़ती। 150 होमगार्ड व दर्जनों पुलिस जवानों को चकमासबसे हैरानी की बात तो यह है कि रिम्स के कैदी वार्ड से भागने वाले कैदी हथकड़ी समेत फरार हो रहे हैं। हथकड़ी के साथ बड़े आराम से 150 होमगार्ड व दर्जनों पुलिस वालों को चकमा देकर फरार हो जाते हैं। जब कैदी दोबारा पकड़े जाते हैं या आत्मसमर्पण करते हैं तब यह भी जानकारी मिलती है कि उनकी हथकड़ी को किसने काटा या किसने खोला। बता दें कि रिम्स अस्पताल की सुरक्षा के लिए 150 होमगार्ड के जवान साथ ही साथ रिम्स सुरक्षा प्रभारी के रूप में एक सब इंस्पेक्टर और दर्जनों पुलिसकर्मी तैनात हैं। इन तमाम सतर्कता के बावजूद कैदी जब चाहे तब बड़ी आसानी से रिम्स से फरार हो जाते हैं। रिम्स की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की जाएगी। सभी पुलिस कर्मियों को भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। सभी लिकेज बंद किए जाएंगे।-चंदन सिन्हा, एसएसपी, रांची

Posted By: Inextlive