असमंजस में लोग, उजाड़ा गया तो जाएंगे कहां
RANCHI:धुर्वा पंचमुखी मंदिर के पीछे लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत 1008 फ्लैट बनाए जा रहे हैं। मंगलवार को फोर्स के बीच इस प्रोजेक्ट का काम शुरू हुआ। लेकिन, यहां के लोकल लोगों को अब इस बात की चिंता सता रही है कि भविष्य में उनका क्या होगा। सरकार उन्हें भगा देगी तो वे कहां जाऐंगे। धुर्वा थाना स्थित एचईसी परिसर के आनी टोला, झोपड़ी मुहल्ला में रहने वाले लोगों ने बताया कि सरकार लाइट हाउस बना कर यहां पैसे वालों को बसाना चाहती है। मुहल्ले के एक बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया कि मैदान के आस-पास में तीन से चार मुहल्ले हैं। जहां लगभग पांच हजार की आबादी रहती है। 50-60 साल से लोग यहां बसे हुए हैं। अब अचानक यहां से सभी को भगा दिया जाएगा, तो हम लोग कहां जाएंगे। हालांकि, यहां रहने वालों को अभी तक जगह खाली करने के लिए नहीं कहा गया है। लेकिन, फ्लैट बनने के बाद सड़क निकाली जाएगी, जिसे नई विधान सभा जाने वाली सड़क से मिलाया जाएगा। ऐसे में सैकडों घरों के टूटने की आशंका है।
फ्लैट के लिए देने होंगे 7 लाखलोकल लोगों ने बताया कि मैदान में 1008 फ्लैट का निमार्ण कराया जा रहा है। लेकिन इन फ्लैट की कीमत 14 लाख रुपए बताई गई है, जो हमारी औकात से काफी ज्यादा है। हालांकि, लोकल लोगों को 50 परसेंट यानी लगभग सात लाख रुपए देने होंगे। लेकिन, यह रकम भी यहां रहने वाले लोगों के लिए काफी बड़ी है। मुहल्ले में ज्यादातर रोज कमाने-खाने वाले लोग रहते हैं। उनकी महीने की आमदनी मुश्किल से दस से 15 हजार रुपए है। ऐसे में फ्लैट लेने के बारे में सपने में भी नहीं सोच सकते। मुहल्ले में रहने वाले रत्नेस कुमार ने बताया कि सरकार की जमीन है, यदि कुछ डेवलपमेंट का काम कराना चाहती है, तो जरूर कराए। लेकिन हमलोगाें को पहले कहीं बसा दे।
दो बार झेलना पड़ा विरोधधुर्वा में बनने वाना लाइट हाउस सेंट्रल प्रोजेक्ट है। प्रोजेक्ट के तहत परिसर में 1008 फ्लैट बनाए जाऐंगे। जनवरी में प्रधानमंत्री ने ऑनलाइन इसका शिलान्यास किया था। इसके बाद प्रशासन की ओर से दो बार यहां काम शुरू करने का प्रयास किया गया, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद प्रशासन को खाली हाथ लौटना पड़ा था। यही कारण है कि बीते मंगलवार को भारी फोर्स के साथ काम शुरू किया गया। पुलिस बल की संख्या ज्यादा होने की वजह से लोकल लोगों की ओर से किसी तरह का विरोध भी नहीं देखने को मिला। गौरतलब है कि लाइट हाउस के तहत बनने वाले मकान भुकंपरोधी होंगे, जिसे जर्मन टेक्नोलॉजी से बनाया जाएगा। इस तकनीक में कंस्ट्रक्शन वाले स्थान में सिर्फ पिलर खडी कर छत ढाल दिया जाएगा। घर बनाने के लिए बालू, गिट्टी, सीमेंट यहां लाने की जरुरत नहीं। बल्कि फैक्ट्री से ही रेडीमेड किचन, बेडरुम, बाथरुम लाया जाएगा, और उसे सेट कर दिया जाएगा। इसी साल प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य है। इसके निर्माण में लगभग 134 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है।
सहमे हुए हैं लोग सरकार हमलोग से धोखा कर रही है। कॉलोनी में पांच हजार लोग रहते हैं लेकिन यहां सिर्फ 1008 आवास का ही निर्माण हो हा है। सरकार पुलिस बल से हमे डराना चाहती है। विरोध करने वाले दस लोगों पर सरकार मुकदमा भी कर चुकी है। यहां के सभी लोग सहमे हुए हैं। - मनोज सोनी आज मैदान में घर बन रहा है। कल हम लोग को यहां से उजाड़ के भगा दिया जाएगा, तो हमलोग कहां जाएंगे। 50-60 साल से यहां रह रहे हैं। घर टूटने का डर सता रहा है। सरकार गरीबों को उजाड़ने से पहले बसाने का इंतजाम करे। - अनिता देवीआवास के लिए साढे़ छह से सात लाख रुपए देने को कहा गया है। सरकार कह रही है 14 लाख रुपए में एक आवास बन कर तैयार होगा। जिसका आधा पैसा सरकार देगी। लेकिन हमलोग लेबर का काम कर के गुजर बसर करते है। इतना पैसा कहा से देंग।
- पुनी राम