RIMS Ranchi : झारखंड के सबसे बड़े हॉस्पिटल रांची स्थित रिम्स में नर्सों की भारी कमी है. मरीजों को समय पर दवा व इंजेक्शन देने में हो रही परेशानी. नर्सों की नियुक्ति का प्रस्ताव कार्मिक विभाग में है अटका. 3000 से ज्यादा मरीज हर दिन पहुंचते हैं ओपीडी में. 2000 मरीज इनडोर में हमेशा रहते हैं भर्ती. 376 नर्सों के भरोसे चल रहा मरीजों का इलाज. 320 नर्सों की नियुक्ति का हो रहा है इंतजार.


रांची (ब्यूरो)। रिम्स में हर दिन नर्सों की कमी की वजह से मरीज परेशान रहते हैं, लेकिन कार्मिक विभाग नियुक्ति मामले को लटकाए रखा है। रिम्स में 320 नर्सों की नियुक्ति का प्रस्ताव कार्मिक विभाग को भेजा गया है। विभाग से अनुमति मिलने के बाद नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होगी। आदेश मिलने के बाद रिम्स प्रबंधन नियुक्ति का जिम्मा कर्मचारी चयन आयोग को देगा। इसके लिए लिखित परीक्षा ली जाएगी। परीक्षा के बाद साक्षात्कार होगा और मेधा सूची तैयार की जाएगी, जिसके आधार पर नियुक्ति होगी। जरूरत से 40 परसेंट कमी


रिम्स में आवश्यकता से 40 फीसदी तक नर्स कम हैं, जिससे मरीजों की देखभाल में परेशानी होती है। इंडियन नर्सिंग काउंसिल(आइएनसी) के हिसाब से आइसीयू और महत्वपूर्ण वार्ड में एक मरीज पर एक नर्स होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में दो से तीन नर्स 35 से 40 मरीजों की देखभाल कर रही हैं। इधर, रिम्स में नयी सेवाओं को शुरू करने में दिक्कत हो रही है। हालांकि रिम्स प्रबंधन द्वारा हाल ही में अनुबंध पर 236 नर्सों को नियुक्त की गई थी, लेकिन कमी इसके बावजूद पूरी नहीं हो सकी है। चार साल से लटका है मामला

रिम्स में पिछले चार सालों से हर बार नर्सों की नियुक्ति का मामला लटक जा रहा है। वहींं नर्सों की कमी का खामियाजा इलाज कराने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। हालत यह है कि 2000 मरीजों की देखभाल करने के लिए सिर्फ 379 नर्स काम कर रही हैं। जबकि इंडियन नर्सिंग काउंसिल के अनुसार, जेनरल वार्ड में तीन बेड पर एक नर्स जरूरी हैं यानी 24 घंटे के लिए तीन बेड के लिए तीन नर्स, आईसीयू में हर मरीज के लिए हमेशा एक नर्स चाहिए, ओटी-लेबर रूम और आउटडोर के लिए भी नर्सों की जरूरत पड़ती है। उस हिसाब से नर्सों की संख्या काफी कम है।15 मरीज पर एक नर्सनर्सों की कमी का आलम यह है कि जेनरल वार्ड में 15 मरीजों पर एक नर्स रहती है, जिससे मरीजों के इलाज में काफी परेशानी हो रही है। हर दिन तीन हजार मरीज यहां पहुंचते हैं। रिम्स में लगभग ढाई हजार बेड हैं। यहां भर्ती मरीजों की देखभाल के लिए सिर्फ 379 नर्स ही कार्यरत हैं। बता दें कि रिम्स में प्रतिदिन ओपीडी में तीन हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। इसमें काफी संख्या में मरीजों को विभिन्न वार्डों के साथ-साथ आईसीयू में भर्ती किया जाता है। 900 नर्स की है दरकार

आईसीयू वार्ड में दो बेड पर एक नर्स बेहद जरूरी है। आईसीयू में अति गंभीर मरीजों का इलाज होता है। वहीं जेनरल वार्ड में 6 से 7 मरीजों पर एक नर्स की जरूरत होती है। लेकिन रिम्स के जेनरल वार्ड में 15 मरीजों पर एक नर्स है। इससे नर्सों के साथ-साथ भर्ती मरीजों को भी काफी परेशानी होती है। रिम्स में 900 नर्स की जरूरत है, जिसमें सिर्फ 379 नर्स ही कार्यरत हैं।समय पर नहीं मिल पाती दवानर्सों की कमी की वजह से मरीजों को समय पर दवा नहीं मिल पाती है। अमूमन लंबे इंतजार के बाद नर्स मरीज के पास पहुंचती है। नर्सों की कमी की वजह से इनडोर में एडमिट मरीजों को टाइम से दवाएं और इंजेक्शन नहीं मिल पाता। इस चक्कर में कई बार मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है। फिलहाल रिम्स नर्सिंग कॉलेज की स्टूडेंट्स को भी इनडोर में ड्यूटी पर लगाया गया है, जो मैनपावर की कमी को कवर कर रही हैं।इनडोर में 2000 मरीज
हॉस्पिटल में हमेशा 2000 मरीज एडमिट रहते हैं। कई बार तो बेड से अधिक मरीज होने की स्थिति में जमीन पर बेड लगाकर उनका इलाज किया जाता है। चूंकि हॉस्पिटल से मरीजों को किसी भी हाल में नहीं लौटाने का निर्देश है। लेकिन मरीजों की देखभाल के लिए मैनपावर आधा भी नहीं है। इस वजह से मरीजों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं।

Posted By: Inextlive