पांच हजार दीजिए, जहर परोसिए!
रांची (ब्यूरो)। रांची में चल रही फूड वैन के लिए बीच-बीच में नगर निगम की ओर से एक लाइसेंस लेने का तुगलकी फरमान जरूर निकलता रहता है। एक बार फिर निगम की ओर से ऐसा ही आदेश जारी हुआ, जिसमें सभी फूड वैन के संचालकों को एक हफ्ते में लाइसेंस लेने का निर्देश दिया गया है। लेकिन फूड की क्वालिटी और हाइजीन जांचने पर नगर निगम का जरा भी इंटरेस्ट नहीं है। सिर्फ लाइसेंस के नाम पर नगर निगम फूड वैन संचालक से कमाई करता है। लाइसेंस लेने का तरीका सरल नहीं, जिस कारण अधिकतर लोग लाइसेंस लेने में दिमाग नहीं लगाते, इसी का फायदा उठाकर नगर निगम और कुछ लोकल लोग अवैध उगाही करते हैं। पहले भी जारी किया आदेश
रांची नगर निगम की ओर से पहले भी लाइसेंस को लेकर आदेश जारी किया जा चुका है। लेकिन आज भी 90 परसेंट से ज्यादा फूड वैन संचालक के पास लाइसेंस नहीं है। प्रक्रिया जटिल होने के कारण वैन ओनर इसे बनवाना भी नहीं चाहते। करीब दस महीने पहले नगर निगम ने लाइसेंस लेने के लिए आदेश जारी किया था। लाइसेंस नहीं लेने वालों के फूड वैन जब्त करने का भी आदेश आया था। लेकिन इस आदेश के दस महीने बीत गए न तो किसी ने लाइसेंस के लिए आवेदन दिया और न ही नगर निगम की ओर से कार्रवाई की गई। लगातार लोगों के बीच मिलावट वाला खाना परोसा जा रहा है। खाना भी मिलावट वाला और खुले में बैठकर खाना पड़ता है। राजधानी में लगभग चार हजार से भी अधिक फूड वैन संचालित हो रहे हैं। लेकिन 40 के पास भी लाइसेंस नहीं है। लाइसेंस वाले भी हाइजीन भूले
जिनके पास लाइसेंस नहीं है वे तो नियमों की धज्जियां उड़ा ही रहे है। वहीं जो लाइसेंस धारी हैं, वो भी हाइजीन का कोई ध्यान नहीं रख रहे हैं। मोरहाबादी में करीब सौ से ज्यादा फूड वैन लगते हैं, जिसमें सिर्फ एक फूड वैन ओनर के पास लाइसेंस है, वह भी एफएसएसआई से जारी किया हुआ। लेकिन उसके पास भी क्वालिटी और हाइजीन पर कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता है। नगर निगम की टीम को भी इससे कोई मतलब नहीं है। सिटी में मेन रोड, लालपुर, जेल मोड़ समेत अन्य कई स्थानों पर फूड वैन सजती हैं। सबसे ज्यादा खराब हालत मोरहाबादी मैदान की हो चुकी है। यहां करीब एक सौ फूड वैन संचालित हो रहे हैं। अधिकतर में चाइनीज आईटम बिकता है। कहीं मोमो, कहीं बिरयानी, तो कहीं कुछ और बिक रहा है। लोग भी मजे लेकर इसे खाते हैं। वैसे तो पूरे दिन मोरहाबादी मैदान में मेला सा माहौल होता है, लेकिन शाम चार बजे के बाद यहां की रौनक देखने लायक होती है। हर फूड वैन के पास पांच से दस लोग खड़े रहते हैं। सभी आर्डर देते हैं और खाकर निकल जाते हैं, लेकिन खाने की क्वालिटी और हाइजीन के बारे में कोई सवाल भी नहीं करता। फूड वैन ओनर के पास न तो एफएसएसएआई का रजिस्ट्रेशन है और न ही नगर निगम का ट्रेड लाइसेंस है। न तो फूड कंट्रोल का कोई परमिट है और न ही हेल्थ डिपार्टमेंट से मिला कोई दूसरा सर्टिफिकेट। नियमानुसार नगर निगम से दुकान लगाने के लिए ट्रेड लाइसेंस लेना जरूरी होता है। फूड वैन पर नगर निगम का कंट्रोल नहीं
इन फूड वैन में मानकों की कोई जांच नहीं होती है। खाने की क्वालिटी का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है। फूड वैन में बन रहे जायकेदार खानों के पीछे डुप्लीकेट मसाले और मिलावट वाले ऑयल का तड़का है, जो लोगों की सेहत बिगाड़ सकता है। सबसे खतरनाक यहां इस्तेमाल होने वाला अजिनोमोटो है, उसमें भी नकली अजिनोमोटो का इस्तेमाल तो खतरे से खाली नहीं है। अजिनोमोटो खाने से पेट से संबधित कई बीमारियां होती हैं, जो आगे चलकर गंभीर रूप ले सकती हैं। ऐसे में पैसे खर्च कर बीमारी खरीदना अच्छी बात नहीं है।