रांची में मेट्रो सिटी की तर्ज पर डेवलप होगा ट्रैफिक सिस्टम
रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची का ट्रैफिक सिस्टम मेट्रो सिटी कोलकाता की तर्ज पर डेवलप होगा। इस योजना को लेकर काम करने के लिए आईजी मानवाधिकार अखिलेश झा, डीआईजी जैप सुनील भास्कर व रांची के ट्रैफिक डीएसपी जीतवाहन को रिसर्च के लिए कोलकाता भेजा गया था। वहां से लौटने के बाद टीम ने रिसर्च पर अपनी रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को सौंप दी है।स्वतंत्र होगा ट्रैफिक एसपी का पोस्टइसके तहत रांची के ट्रैफिक एसपी का पद स्वतंत्र होगा। ट्रैफि क एसपी के पद को कानून व्यवस्था से बिल्कुल अलग करके स्वतंत्र करने का प्रस्ताव रखा गया है। बता दें कि अब तक रांची ट्रैफि क एसपी का पद रांची एसएसपी के अधीन रहा है। लेकिन अब ट्रैफिक पुलिस व उसके कर्मियों को स्वतंत्र यूनिट की तरह बनाने का प्रस्ताव दिया गया है, ताकि ट्रैफिक में तैनात जवानों को दूसरी ड्यूटी में न लगाया जाए। ऐसी व्यवस्था कोलकाता में है।
नए थाने खुलेंगे रांची में ट्रैफिक सिस्टम के सुचारू संचालन के लिए चार नए थाने खोलने का प्रस्ताव है। इसके अलावा ट्रैफिक एसपी के दो पदों को बढ़ाकर दो नए पदों के सृजन का भी प्रस्ताव है। वर्तमान में रांची में चार ट्रैफिक थाने कोतवाली, लालपुर, गोंदा व जगन्नाथपुर हैं।इलाका बांटकर तय होगी जिम्मेदारी
कोलकाता में ट्रैफिक सिस्टम को बीट में बांटा गया है। इसके अंदर अलग-अलग सेक्शन व उसके प्रभार में पदाधिकारी होते हैं। उन इलाकों में ट्रैफिक के बेहतर संचालन की जिम्मेदारी संबंधित पदाधिकारी की होती है। रांची में भी इसी योजना पर काम करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।ट्रैफिक बूथ पर हाइटेक कैमरे राजधानी रांची के सभी ट्रैफि क बूथ पर मौजूद ट्रैफि क जवान अब हाईटेक हो जाएंगे। बता दें कि अब जवानों के साथ आम लोग भी एक समस्या से निजात पा सकते हैं। क्योंकि कई बार ऐसी खबर सामने आती है कि ट्रैफिक पोस्ट पर तैनात जवान आम लोगों के साथ बदसलूकी करते हैं या फिर आम लोग ट्रैफिक पोस्ट पर तैनात जवानों के साथ मिसबिहेव करते हैं। लेकिन अब ट्रैफिक बूथ में हाईटेक कैमरे का इस्तेमाल करने के बाद ऐसी समस्याओं पर ध्यान रखा जा सकेगा। साथ ही सबसे खास बात तो यह है कि कैमरा से रिकॉर्डिंग डिलीट भी नहीं की जा सकती है। कैमरा बंद हुआ तो जवान दोषी
इस कैमरे की रिकॉर्डिंग किसी भी कीमत पर बंद और डिलीट नहीं की जा सकेगी। अब इसकी निगरानी की जाएगी। इस रिकॉर्डिंग का बैकअप 90 दिनों तक पुलिस के पास मौजूद रहेगा। अगर ड्यूटी के दौरान कैमरा बंद पाया गया तो इसपर संबंधित जवान को दोषी माना जाएगा और साथ ही उन पर कार्रवाई भी की जाएगी।