जेवीएम श्यामली स्कूल रांची में एनुअल कल्चरल प्रोग्राम
रांची (ब्यूरो) । जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली में वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव इंद्रधनुष-2024 का आयोजन हुआ। स्वदेश व राष्ट्रप्रेम की थीम पर आधारित इस वार्षिकोत्सव में स्कूल की कक्षा छठी से आठवीं तक विद्यार्थियों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सरला बिडला विश्वविद्यालय कुल सचिव विजय कुमार सिंह, रांची उच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्रेष्ठ गौतम, विद्यालय प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष संदीप सिन्हा, फिरायालाल स्कूल के प्राचार्य नीरज सिन्हा एवं विशिष्ट अतिथि ज्योति सिन्हा, नीना सिन्हा व विदिशा जाना एवं वरीय शिक्षक विजय कुमार व यास्मीन नूरी ने दीप प्रज्वलित कर किया।गीतमयी प्रस्तुति दीसांस्कृतिक कार्यक्रम का आगाज बंगाल विभाजन के द्वंद्व को मुखरित करती गुरुवर रवींद्रनाथ टैगोर के कविता की गीतमयी प्रस्तुति से हुई। बाद में अतिथियों को मंच पर पादप बाल वृक्ष देकर स्वागत किया गया।
मातृभूमि भारत और इसके प्रति गहरे प्रेम भावना को नृत्य-शैली में जश्न के रूप में प्रस्तुत किया। जश्न के गीतों ने दर्शकों के पांव को थिरकने पर मजबूर कर दिया। अंग्रेजों के शोषण और दमन के विरुद्ध उपजे जन-आंदोलन के विविध रूपों को छात्रों ने मूक अभिनय द्वारा प्रस्तुत किया जहां स्वदेश एवं विदेश में भारतीयों के साथ अभद्रता और बदसलूकी, जालियावाला बाग हत्याकांड जैसे दृश्यों ने दर्शकों के खून में उबाल पैदा कर दी। वहीं स्वतंत्रता संग्राम के दो नायकों करतार सिंह सराभा एवं भगत सिंह के जीवन पर आधारित देश-भक्ति से ओतप्रोत घटना का जीवंत नाटकीय अभिनय आजदी के दीवाने देखकर लोगों की आंखें नम हो गईं। देश की विविधता मेंप्राचार्य समरजीत जाना ने कहा कि विद्यालय में सांस्कृतिक आयोजन के बिना बच्चों का मानसिक विकास पूरा नहीं हो पाता है। यही कारण है कि हमारे विद्यालय में पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के लिए क्लीडोस्कोप, प्राथमिक कक्षाओं के लिए डो-रे-मी, माध्यमिक कक्षाओं के लिए इंद्रधनुष एवं उच्च माध्यमिक कक्षाओं के हारबिंजर जैसे वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। आज का कार्यक्रम इंद्रधनुष वास्तव में हमारे देश की विविधता में एकता, महापुरुषों के बलिदान और राष्ट्रप्रेम की अटूट भावना का उत्सव है। जिस प्रकार इंद्रधनुष के सात रंग मिलकर उसे आकर्षक बनाते हैं उसी तरह प्राचीनता, निरंतरता, सहिष्णुता, समन्वय और विश्वबंधुत्व की भावना, विविधता में एकता जैसे कई रंग मिलकर हमारी भारतीय सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध बनाते आ रहे हैं। हमारे छात्रो ने इसे देशभक्ति के धागों में पिरोने का प्रयास किया है।