निर्वाचन आयोग द्वारा शनिवार को हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही अब इन राज्यों के साथ झारखंड का भी चुनाव होने के कयासों पर विराम लग गया है. झारखंड में नवंबर या दिसंबर में चुनाव होंगे...

रांची (ब्यूरो)। अब यह भी स्पष्ट हो गया है कि नवंबर-दिसंबर में झारखंड सरकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद चुनाव समय पर ही होंगे। इस हिसाब से राज्य में दिसंबर में नई सरकार का गठन भी हो जाएगा। झारखंड में अलग राज्य बनने के बाद पहली बार कोई सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने जा रही है। इसके पूर्व बनी तमाम सरकारें गठबंधन टूटने के कारण बीच में ही गिरती और बदलती रही हैं।

टोकन की व्यवस्था
राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी विनय कुमार चौबे ने एक दिन पूर्व ही वीडियो कांफ्रेंसिंग कर अधिकारियों को चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा था। तैयारियां लगभग पूरी भी हो चुकी हैं लेकिन अक्टूबर के बजाय नवंबर-दिसंबर में चुनाव होने से पूरी टीम को थोड़ा और समय मिल गया है। आयोग इस बार विधानसभा चुनाव में लोगों को लाइन में लगने की परेशानी से बचाने के लिए टोकन व्यवस्था भी लागू करा रहा है ताकि लोग टोकन लेकर निर्धारित समय पर आकर मतदान कर सकें।

28 दिसंबर को रघुवर ने ली थी शपथ
झारखंड में पिछले विधानसभा का चुनाव का परिणाम 23 दिसंबर 2014 को आया था और पूर्ण बहुमत मिलने के बाद रघुवर दास का नेता के रूप में चयन हुआ। इसके बाद मुख्यमंत्री के तौर पर रघुवर दास ने 28 दिसंबर 2014 को शपथ ली थी और इस हिसाब से उनका कार्यकाल दिसंबर 2019 तक है। अभी चुनाव कराने से रघुवर दास भी पांच साल पूरा करने से लगभग एक महीने के लिए वंचित हो जाते।

गैर आदिवासियों के लिए डगर मुश्किल नहीं
झारखंड में कहा जाता था कि गैर आदिवासियों के लिए राजनीति की डगर मुश्किल है, लेकिन हुआ ठीक इसके विपरीत। अलग राज्य बनने के बाद से सिर्फ आदिवासी नेताओं को ही मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया गया और उन्हें आगे रखकर ही चुनाव हुए। पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी से लेकर अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन आदि कोई भी पांच साल पूरा नहीं कर सका। 2014 में पहली बार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री बने रघुवर दास के नाम यह उपलब्धि जाती है।
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Posted By: Inextlive