कैसे मिले उपभोक्ताओं को न्याय, आयोग ही डिफंक्ट
रांची (ब्यूरो) । राजधानी के आम उपभोक्ता को किसी सामान की खरीदारी करने पर ठगे जाने के बाद न्याय नहीं मिल पा रहा है। खुद को ठगे जाने पर रांची के उपभोक्ता फोरम में शिकायत तो करते हैं लेकिन उनकी शिकायतों का निष्पादन नहीं हो पा रहा है। रांची के उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत करने के बाद अगर उनके मामले का निष्पादन जिला उपभोक्ता फोरम में हो जाता है तो ठीक है, नहीं तो ऊपर के आयोग में उनकी शिकायत पेंडिंग में पड़ी हुई है। कारण यह है कि झारखंड राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग में सिर्फ एक व्यक्ति ही काम कर रहा हैं, जिसके कारण कोरम पूरा नहीं हो पा रहा है और उपभोक्ताओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है।न्याय का इंतजार
आम उपभोक्ताओं को अगर किसी भी चीज से परेशानी होती है तो वह कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखटाता है। लेकिन झारखंड में कंज्यूमर कोर्ट की हालत बेहद खराब है। चेयरमैन और सदस्यों के अभाव में यहां सुनवाई प्रभावित हो रही है। जिससे लोगों को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ रहा है। आम उपभोक्ता के साथ होनेवाली धोखाधड़ी के खिलाफ देश में बना उपभोक्ता संरक्षण कानून झारखंड में दम तोडऩे लगा है। हालत यह है कि राज्य स्तर से लेकर सभी जिलों में उपभोक्ताओं के अधिकार को संरक्षित करने के लिए कंज्यूमर कोर्ट है। मगर इन न्यायालयों में चेयरमैन और सदस्यों के अभाव की वजह से सुनवाई प्रभावित है। बढ़ती जा रही पेंडेंसी
उपभोक्ता आयोग में सदस्य और अध्यक्ष नहीं होने की वजह से लंबित केसों की संख्या में वृद्धि हो रही है। राज्य उपभोक्ता आयोग में 5498 केस लंबित हैं। लंबित केसों में सर्वाधिक इंश्योरेंस क्लेम, रेलवे, मोटर एक्सीडेंट, बिजली और डाक विभाग से संबंधित मामले हैं। राज्य उपभोक्ता आयोग में सुनवाई नहीं होने से परेशान अधिवक्ता सुमित कुमार घटक कहते हैं कि इससे कहीं ना कहीं न्याय मिलने में कंज्यूमर को देरी होती है। जिसका नुकसान उन्हें उठाना पड़ता है। बहरहाल, उपभोक्ताओं के अधिकार को संरक्षित करने के उद्देश्य से संवैधानिक रूप से कई प्रावधान किए गए हैं। मगर बड़ा सवाल यह है कि जब न्याय देनेवाला ही नहीं हो तो आखिर कन्जयूमर जाएं तो जाएं कहां।
रांची जिला में किसी भी तरह की ठगी होने पर उपभोक्ताओं को रांची जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग में शिकायत करने का काम किया जा रहा है, लेकिन जब डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम से संतुष्टि नहीं मिलती है और ऊपर के स्टेट लेवल के फोरम में जाने का मौका होता है तो वहां अध्यक्ष और सदस्य नहीं है जिसके कारण कोरम पूरा नहीं होता है और लोगों का शिकायत पेंडिंग पड़ा रहता है। -सुमित कुमार घटक, एडवोकेट, उपभोक्ता संरक्षण, रांची