Ranchi News : रांची में लटकाए जा रहे हैं होल्डिंग नंबर के आवेदन
रांची(ब्यूरो)। रांची नगर निगम की कार्यशैली से हर कोई अवगत है। यहां कोई भी काम समय से नहीं होता है। चाहे बर्थ या डेथ सर्टिफिकेट बनवाना हो या ट्रेड लाइसेंस। सभी में कुछ न कुछ नुक्स निकाल कर काम को महीनों लटकाने की परंपरा वर्षों पुरानी है। राजधानी वासियों को होल्डिंग नंबर भी नगर निगम ही जारी करता है। लेकिन इसमें भी निगम की लापरवाही साफ झलक रही है। लोगों को महीनों होल्डिंग नंबर के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। सभी कागज सही होने पर भी वैरिफिकेशन आदि के नाम पर काम को लटकाया जाता है। आवेदक बार-बार निगम का चक्कर लगाते रहते हैं। लेकिन उनका काम समय से नहीं होता है। होल्डिंग नंबर से ही निगम क्षेत्र में आवास की पहचान होती है। निगम द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के एवज में शुल्क भी होल्डिंग नंबर से ही वसूला जाता है। इसके बाद भी कुछ कर्मचारियों की लापरवाह कार्यशैली के कारण लोगों को होल्डिंग नंबर नहीं मिल रहा है।
हजारों आवेदन पेंडिंग
नगर निगम से होल्डिंग नंबर लेने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से आवेदन लिए जाते हैं। इसे टैक्स कलेक्टर, डीलिंग असिस्टेंट, सेक्शन इंचार्ज और एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के टेबल से होकर गुजरना होता है। लेकिन हर टेबल पर आवेदन लटका कर रखे जाते हैं। रांची नगर निगम में आउटसोर्सिंग पर 53 टैक्स कैलेक्टर हैं। सभी को करीब आठ से दस हजार रुपए सैलरी दी जाती है। जबकि 15 टैक्स कलेक्टर नगर निगम में नियुक्ति पर हैं। ये हर महीने भारी-भरकम वेतन पाते हैं। फिर भी निगम के काम में लापरवाही देखी जा रही है। सभी कर्मचारी और पदाधिकारियों के पास चार सौ से पांच सौ आवेदन लंबित पड़े हुए हैं।
21169 सैफ आ चुके है अबतक
इस वित्तीय वर्ष अब तक 21169 सैफ यानी की सेल्फ असेस्मेंट के आवेदन निगम को प्राप्त हो चुके हैं। इनमें 11729 फ्रेश आवेदन हैं। जबकि 4196 रीअसेस्मेंट, 5196 म्यूटेशन और 47 आवेदन म्यूटेशन व रीअसेस्मेंट दोनों के लिए आए हैं। आवेदन आने के बाद पहले डॉक्यूमेंट की जांच होती है। इसके बाद साइट वैरिफिकेशन किया जाता है। लेकिन फिलहाल किसी काम को ईमानदारी से नहीं किया जा रहा है। हर जगह पैसे का खेल है। जो लोग चढ़ावा चढ़ाते हैं उनका काम आसानी से हो जाता है। लेकिन जो पैसा नहीं देते हैं उनके काम को लटका कर रखा जाता है। कई टैक्स कलेक्टर पर भी पैसा मांगने का आरोप लगा है। लेकिन निगम द्वारा इन पर कठोर कार्रवाई नहीं की जाती है, जिस वजह से इन लोगों का दुस्साहस बढ़ा हुआ है।
35 करोड़ की हुई वसूली
नगर निगम क्षेत्र में करीब सवा दो लाख आवास हैं जिनके होल्डिंग नंबर जारी किए गए हैं। इन आवास संचालकों से निगम को हर महीने मोटी कमाई होती है। इस वित्तीय वर्ष की यदि बात करें तो अबतक 35 करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है। जबकि इस बार का लक्ष्य 62 करोड़ रुपए वसूली करने का है। यानी की आने वाले पांच महीने में नगर निगम शहर वासियों से करीब 32 करोड़ रुपए की वसूली करेगा। इसके बाद भी लोगों को सुविधा नहीं मिल रही है।
क्या कहते हैं आवेदक
होल्डिंग नंबर के लिए अप्लाई किए हुए तीन महीने का वक्त बीत चुका है। न तो नंबर जारी हुआ, और न ही कोई कमी बताई गई। निगम से भी कोई जानकारी नहीं दी जाती है।
मुक्ति प्रिया
- विभाष चंद्रा
होल्डिंग के लिए मैंने जनवरी महीने में ही अप्लाई किया था। आठ महीने बीत चुके हैं। अब तक होल्डिंग नंबर नहीं दिया गया। न ही इसके पीछे का कोई कारण बताया गया।
- मनोरमा कच्छप
- स्वेता सिंह