डैम ओवरफ्लो होने से सीठियो पिंडरकोम जोजोसेरेंग के लोग दहशत में थे. अब बरसात के पहले इसकी मरम्मत कर ली जाएगी. डैम का फाटक खुलने के लिए 98 लाख मरम्मत पर खर्च हुए.


रांची (ब्यूरो)। पिछले साल बरसात में जब हटिया डैम में पानी का लेवल 38 फीट से ऊपर पहुंच गया था तो डैम का फाटक खोलने के लिए पेयजल स्व'छता विभाग द्वारा लाख प्रयास के बाद भी गेट नहीं खुला था। उस समय आसपास के पांच हजार परिवारों पर खतरा मंडरा रहा था, हालांकि बारिश कम हुई और पानी का स्तर नीचे हुआ तो लोगों को राहत मिली। दोबारा इस साल भी ऐसा नहीं हो, इसके लिए विभाग ने पहले से ही तैयारी कर ली है। इस फाटक की मरम्मत करने के लिए एजेंसी चयन कर लिया गया है। एजेंसी काम भी शुरू कर रही है। मकसद है कि इस बरसात में अगर जलस्तर बढ़ा और फाटक खोलने की जरूरत हुई तो तुरंत खुल जाए। 14 साल से नहीं खुला


पिछले साल विभाग के इंजीनियरों को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी, उसके बाद भी फ ाटक नहीं खुला था। फ ाटक खोलना जरूरी था मगर 14 साल से फ ाटक नहीं खुला। इस कारण इंजीनियरों की लाख कोशिश के बाद भी फाटक नहीं खुल पाया था। अब पेयजल स्व'छता विभाग इस तैयारी में जुटा है कि अगर फि र से ऐसी स्थिति आ जाए कि डैम में पानी का लेवल बढ़ जाए और फाटक ना खुले, इसके पहले ही अभी से तैयारियों में विभाग जुड़ चुका है। 98 लाख होगा खर्च पेयजल एवं स्व'छता विभाग द्वारा डैम का फाटक खोलने के लिए 98 लाख रुपए मरम्मत पर खर्च किए जाएंगे। इसके लिए विभाग द्वारा एजेंसी का चयन किया गया है, इस महीने से एजेंसी अपना काम शुरू करेगी। विभाग बारिश से पहले ही मरम्मत करा लेना चाह रहा है।तीन बार ही खुला फ ाटक1999 से लेकर अभी तक सिर्फ दो बार डैम का फाटक खुला है। हर बार जलस्तर 38 फीट से ऊपर होने के बाद फाटक खोला जाता है, लेकिन कुछ साल से डैम में पानी का लेवल 38 फीट से ऊपर नहीं बढ़ा, इसलिए फाटक खुलने की जरूरत नहीं पड़ी। पिछले साल पानी का लेवल 38 फीट के ऊपर पहुंच गया था इसलिए फाटक खोलने की जरूरत पड़ी, लेकिन फाटक नहीं खुल पाया। पहली बार फाटक 1999 में खोला गया, दूसरी बार 2006 में खोला गया और तीसरी बार 2008 में खोला गया था। 2021 में जब लेवल 38 फीट पहुंच गया तो इसे खोलने का प्रयास किया गया, लेकिन नहीं खुल पाया। ओवरफ्लो होने लगा था

पिछले साल डैम में 38 फीट पानी भर गया था। इसलिए डैम के फाटक पर गेट नंबर दो और तीन से पानी ओवरफ्लो होने लगा था। इससे आसपास के गांवों के पांच हजार लोगों की जान सांसत में थीं। जंग लगने के कारण फाटक ऊपर नहीं आ पाया था। इसके बाद पाइप लगाकर पानी निकालने का प्रयास किया गया पर डैम का लेवल कम नहीं हुआ। काफी कवायद के बाद डैम के एक गेट के दोनों ओर चेनपुली लगाई गई थी, ताकि आपात स्थिति में प्रेशर के साथ डैम का गेट खोला जा सके। लोगो का कहना है कि डैम में पहले इतना पानी नहीं भरता था, इसलिए 12 वर्षों से गेट नहीं खुला, गेट में जंग लग गया और उसका ल्यूब्रिकेंट्स खत्म हो गया था।

डैम के फ ाटक की मरम्मत का काम किया जा रहा है। अगर बरसात में जरूरत पड़े तो गेट को खोलने में परेशानी ना हो, इसीलिए इसका काम किया जा रहा है। सुरेश प्रसाद, कार्यपालक अभियंता, हटिया डैम

Posted By: Inextlive