रांची में सुबह उठते ही शुरू हो जा रहा नशे का कारोबार, कहां है पुलिस
रांची(ब्यूरो)। सुबह के नौ बजे हैं। सुखदेव नगर थाना क्षेत्र स्थित विद्यानगर के समीप मौजूद एक प्राइवेट स्कूल के हॉस्टल के पास कुछ नए चेहरे वाले लड़के, जो इस मोहल्ले के भी नहीं हैं। वे लोग बड़े आराम से ड्रग्स की खरीद बिक्री करते दिखे। आसपास के लोगों ने इन लड़कों को ऐसा करते देखा तो इन लड़कों ने आम पब्लिक को ही धमकाना शुरू कर दिया। इन लड़कों ने कहा कि यदि वे लोग उन्हें टोका-टाकी करेंगे तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। यह सुन कर आम पब्लिक भी सहम गई और वहां से हट गई। यह नजारा किसी एक इलाके का नहीं है, बल्कि राजधानी रांची में इन दिनों सैकड़ों इलाकों की यही तस्वीर है। सुबह उठते ही नशा करने वाले और नशे का सामान बेचने वाले दोनों एक्टिव हो जा रहे हैं। कोई अपने नशे की खुराक के लिए निकलता है तो कोई इसे बेचकर मोटा माल कमाने के लिए निकल पड़ता है। पुलिस का संरक्षण
सुखदेवनगर थाना के ठीक पीछे ही ब्राउन शुगर का कारोबार होता है। लेकिन सबकुछ जानते हुए भी थाने की पुलिस अनजान बनी रहती है। बल्कि यूं कहें कि ड्रग का कारोबार करने वालों को पुलिस का ही संरक्षण प्राप्त है। इलाके के एक व्यक्ति ने बताया कि थाना परिसर के ठीक पीछे अतुल, सोनू व शशि नामक युवक खुलेआम ब्राउन शुगर बेचते हैं। थाना भी इसमें संलिप्त है। हर दिन सुखदेवनगर थाना का एक प्राइवेट ड्राइवर आता है और वसूली करके चला जाता है। उनके साथ अन्य पुलिसकर्मी भी रहते हैं। ये कहते भी हैं कि सिस्टम में रह कर कारोबार करो, कोई खतरा नहीं है। एक ओर पुलिस नशा मुक्त करने की बात कहती है और दूसरी ओर खुद कारोबार को संरक्षण भी दे रही है। चारों ओर एक्टिव हैं ड्रग पैडलर्स
सुखदेव नगर थाना के आसपास कई मुहल्ले हैं, जहां जाकर ड्रग पैडलर इसकी बिक्री करते हैं। लोग मिलन चौक खादगढ़ा के आसपास खड़े रहते हैं। गोपनीय तरीके से पॉकेट में ब्राउन शुगर रखते हैं कि किसी को पता नहीं चलता। ब्राउन शुगर को खैनी की चुनौटी में रखा जाता है। कोई देखता भी है, तो लगता है जैसे आपस में खैनी शेयर कर रहे हों। थाने से 100 मीटर दूर तैलिक धर्मशाला रोड में भी मोंबा व अनिल नामक युवक ब्राउन शुगर बेचते हैं। यानी देखा जाए तो थाना परिसर के चारों तरफ स्थित खादगढ़ा रोड में कोई न कोई ब्राउन शुगर बेचते दिख ही जाता है। एक धंधेबाज ने बताया कि जमशेदपुर से एक स्टोन की लागत 65 रुपये की आती है, जिसे 500 रुपये में बेचा जाता है। एक खैनी की चुनौटी में ऐसे 20 से 25 स्टोन रखे जाते हैं। चुनौटी में कोई पकड़ नहीं पाता है कि खैनी है या ब्राउन शुगर। सुखदेव नगर के अलावा, लोअर बाजार थाना, कोतवाली, चुटिया, डोरंडा, जगन्नाथपुर, अरगोड़ा समेत अन्य इलाकों में भी यह कारोबार फल-फूल रहा है। नए लड़कों का इस्तेमालएक ओर तो रांची पुलिस एक युद्ध नशे के विरुद्ध अभियान चला कर नशीले पदार्थों की बिक्री करने वालों को सलाखों के पीछे भेजने में लगी है। वहीं इसका धंधा करने वाले भी कम नहीं है। वे लोग नए-नए युवाओं को इस धंधे मेें उतार रहे हैं। इन लड़कों का काम सिर्फ बनी हुई पुडिय़ा संबंधित व्यक्ति तक पहुंचानी और पैसे लेकर आना है। बीते दो महीने की लगातार कार्रवाई से धंधे मेें शामिल 50 से अधिक लोगों को अरेस्ट किया गया है। कार्रवाई के इस धंधे में शामिल किंगपिंग अंडरग्राउंड हो चुके हैं। ये लोग स्कूल, कॉलेज गोइंग लड़कों से इस प्रकार के काम करवा रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार, हर सप्ताह ड्रग्स यानी ब्राउन शुगर के नई खेप रांची पहुंचती है। इसको खपाने के लिए ड्रग पैडलर्स सक्रिय हो जाते हैं।
यूपी से आ रहा स्टॉकड्रग्स के धंधे से जुड़े लोग बताते हैं कि रांची में बड़े पैमाने पर ड्रग्स की सप्लाई उत्तरप्रदेश के गाजीपुर का रहनेवाला मुख्य सप्लायर गुलाब करता है। स्टॉक पहुंचने के बाद लोअर बाजार क्षेत्र का बंटी, हिनू का गोपी, सुखदेवनगर थाना क्षेत्र के रणधीर और स्टेशन रोड ऑटो स्टैंड के पास का मनोज एक्टिव होकर इसे रिसीव करते हैं। यही लोग राजधानी के मुख्य सप्लायर हैं। इनके पास स्टॉक आने के बाद ये लोग पैडलर्स की मदद से इसकी डिलीवरी कराते हैं। डिलीवरी कब, कहां और किसे करनी इसकी भी सारी जानकारी पैडलर को दी जाती है। साथ ही एक कोड वर्ड भी दिया जाता है। इस धंधे में डोरंडा थाना क्षेत्र का विक्की खान, सुखदेवनगर थाना क्षेत्र का कन्हैया यादव, बबलू यादव, दुर्लभ सहित और भी लोग हैं जो पैडलर्स की मदद से ड्रग्स खरीदारों तक पहुंचा देते हैं। पुलिस भी इनकी तलाश कर रही है। नशे की गिरफ्त में यूथ
राजधानी रांची समेत पूरे राज्य को नशा मुक्त बनाने के लिए सरकार और प्रशासन एक्शन मोड में है। अभियान चला कर लोगों को अवेयर भी किया जा रहा है। लेकिन इनका नेटवर्क इतना स्ट्रांग है कि पुलिस के लिए भी यह एक चुनौती बन गए हैं। राजधानी सहित पूरे रा'य में नशे का कारोबार भी तेजी से फैल रहा है, जिसमें देश-दुनिया के बड़े-बड़े रैकेट शामिल हैं। एक अनुमान के मुताबिक, ड्रग तस्कर पर्दे के पीछे से हर साल राज्य में गांजा, चरस, अफीम, ड्रग्स, ब्राउन शुगर, हेरोइन, डेंड्राइट से अरबों रुपए का कारोबार करते हैं। ड्रग तस्कर झारखंड के ब'चों को अपना मुख्य निशाना बनाते हैं, शायद यही वजह है कि अब शहर से लेकर गांव तक राज्य का हर इलाका नशे की गिरफ्त में आ चुका है।
नशे के खिलाफ युद्ध स्तर पर कार्रवाई चल रही है। दर्जनों सप्लायर्स को हिरासत में लेकर जेल भेजा गया है। आम लोगों से भी अपील है कि वे पुलिस के इस अभियान मेें सहयोग करें। कहीं भी ऐसी कोई एक्टिविटी नजर आए तो पुलिस द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर 9153886238 पर जरूर सूचित करें। -चंदन कुमार सिन्हा, एसएसपी, रांची