इस दुर्दशा का जिम्मेवार कौन
रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची का बड़ा तालाब हमेशा से सुर्खियों में रहा है। चाहे इसके सौंदर्यीकरण का मुद्दा हो या फिर तालाब की दुर्दशा का। तालाब को संवारने के नाम पर करोड़ों रुपए की बंदरबांट हो गई, लेकिन तालाब की हालत नहीं सुधरी। ब्यूटीफिकेशन के नाम पर सिर्फ आधा-अधूरा पाथ वे और स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा ही लगाई जा सकी है। वहां तक भी आम नागरिकों की नो एंट्री है। इन दिनों तालाब का पानी हरा हो चुका है, और तालाब से बदबू भी आने लगी है। आलम यह है कि तालाब के आस-पास से गुजरना भी दूभर हो रहा है। वहीं आस-पास रहने वाले लोग भी तालाब के दुर्गंध से परेशान हैं। बड़ा तालाब की स्थिति को देखते हुए अब आम नागरिकों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। झील बचाओ अभियान समिति के बैनर तले लोग सत्याग्रह कर रहे हैं। नागरिकों ने हाई कोर्ट से भी तालाब को बचाने की गुहार लगाई है। कभी था सिटी की पहचान
करीब 54 एकड़ में फैला बड़ा तालाब कभी राजधानी रांची की पहचान होता था, जो अब दुर्दशा का प्रतीक बनता जा रहा है। लेकिन जिम्मेदारों को इससे कोई मतलब नहीं है। राज्य गठन के बाद से ही बड़ा तालाब की सेहत सुधारने का वादा और दावा किया जाता रहा है। पानी की तरह पैसा भी बहाया गया। लेकिन जो सपने दिखाए गए उसका 10 परसेंट भी पूरा नहीं हो सका है। तालाब को संवारने में अबतक करीब 29 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन सुधरने की जगह इसकी सेहत और बिगड़ती ही चली गई। तालाब में पानी तो है लेकिन वह पूरी तरह हरा हो चुका है। आसपास के लोग बताते हैं कि पानी सड़ चुका है। इसमें रहने वाले जीव-जंतु भी मर चुके हैं। अब यह इंसानों के लिए खतरनाक भी होता जा रहा है। इससे महामारी की आशंका बढ़ गई है। नगर विकास विभाग ने मांगा हिसाब
बड़ा तालाब के सौंदर्यीकरण के फेज-1 में हुए काम का नगर विकास विभाग ने नगर निगम से हिसाब मांगा है। विभाग ने नगर आयुक्त के नाम पत्र लिखकर पहले फेज में आवंटित राशि 14.89 करोड़ रुपए कहां खर्च हुई, इसका ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा है। हालांकि जिस काम के लिए राशि आंवटित की गई है, उसमें लगभग सभी काम अधूरे है। पाथ-वे, लैंडस्कैपिंग, पेड़-पौधे लगाने, कैफेटेरिया, टॉयलेट, पार्क विकसित करना, पानी साफ करने, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट सहित जैविक विधि से पानी को स्वच्छ बनाने की योजना तैयार थी। लेकिन सिर्फ पाथ वे के अलावा और कोई काम नजर नहीं आ रहा है। कुछ लाइट लगाई गई हैं, लेकिन उनमें अधिकतर या तो खराब हो चुकी हैं या फिर उसके उपकरण चोरी कर लिये गए हैं। पानी साफ करने की दिशा में कोई खास काम नहीं हुआ है। सीवरेज-ड्रेनेज पर फिलहाल काम चल रहा है।