Dengue in Ranchi : रांची में ये मच्छर तो हर साल तोड़ रहा रिकार्ड
रांची(ब्यूरो)। पिछले साल राजधानी रांची में डेंगू (Dengue in Ranchi) का कहर बरपा था, रांची में ही एक हजार से अधिक लोग डेंगू के शिकार हुए थे, अब बरसात शुरू होते ही फिर से इसका खतरा गहराने लगा है। डेंगू की बढ़ती संख्या ने पिछले साल चार साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था, पिछले साल डेंगू के 1934 मरीज मिले थे। अभी से ही स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में इस साल डेंगू के मरीजों के लिए तैयारी की जा रही है।
डेंगू से छह मरीज की मौत
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल राज्य में डेंगू से छह मरीजों की मौत हुई थी। ये सभी मौत पूर्वी सिंहभूम जिले में हुई थी। बता दें कि सरकारी आंकड़ों में ही हाल के कई सालों में या तो किसी मरीज की मौत नहीं हुई थी या फिर महज एक मौत हुई थी। इसी तरह पिछले साल छह जिलों को छोड़कर सभी जिलों में डेंगू के मरीज मिले थे, जिन जिलों में कोई मरीज नहीं मिले उनमें गोड्डा, गुमला, लातेहार, पलामू, रामगढ़ तथा जामताड़ा शामिल थे।
पिछले 6 साल मिले डेंगू के मरीज और मौत
वर्ष मरीज मौत
2018 463 01
2019 825 00
2020 79 00
2021 220 01
2022 290 00
2023 1934 06
गिरते प्लेटलेट्स से होती है कमजोरी
डॉक्टरों के अनुसार, एडीज म'छर के काटने से डेंगू और चिकनगुनिया होता है। डेंगू में मरीज को तेज बुखार, सिर और शरीर में दर्द व उल्टी की शिकायत रहती है। डेंगू में लगातार गिरते प्लेटलेट्स से मरीज को बहुत कमजोरी महसूस होने लगती है। वहीं, चिकनगुनिया में मरीज कई दिनों तक जोड़ों के दर्द से परेशान रहता है। डेंगू व चिकनगुनिया दोनों में ही वायरल फ वर की तरह लक्षण होते हैं। दो-तीन दिन बाद यदि बुखार खत्म नहीं हो तो डेंगू व चिकनगुनिया की जांच जरूर कराएं।
दवा का छिड़काव शुरू
बारिश शुरू होते ही इस साल नगर निगम ने भी तैयारी शुरू कर दी है। नगर निगम की ओर से इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। निगम अब गली-मुहल्लों में दवा का छिड़काव करवा रहा है। इसके अलावा वीआईपी इलाकों में भी लगातार फ ॉगिंग कराई जा रही है। कई इलाकों में फॉगिंग और दवा का छिड़काव भी समय से कराया जा रहा है। सीएम आवास, गवर्नर हाउस व मंत्री-विधायक आवास के आसपास समय से फॉगिंग कराई जा रही है।
निगम के पास कम है मशीन
मच्छरों से निपटने के लिए नगर निगम के पास 11 फॉगिंग मशीन हैं। इनमें 9 कोल्ड फॉगिंग और 2 थर्मल फॉगिंग मशीन शामिल हैं। इनमें से कई मशीनें खराब हैं। कुछ मशीनों से ही पूरे 53 वार्डों में काम चलाया जा रहा है। समय के साथ निगम क्षेत्र में लगातार आबादी बढ़ती गई। लेकिन नगर निगम ने संसाधन बढ़ाने में ध्यान नहीं दिया। सिर्फ कुछ मशीन से पूरे शहर में मच्छरों से निपटना नाकाफी साबित हो रहा है।
सालाना खर्च 15 लाख
आम नागरिकों को मच्छरों से बचाने के लिए नगर निगम हर साल करीब 15 लाख रुपए तेल व केमिकल में खर्च करता है। हालांकि इस संबंध में कई लोगों का कहना है कि फॉगिंग के दौरान सिर्फ पानी की ही बौछार की जा रही है। वहीं, कीटनाशक भी कम मात्रा में डाला जाता है। तेल ज्यादा डालकर सिर्फ फॉगिंग की खानापूर्ति की जाती है। यही वजह है कि मच्छरों का प्रकोप कम नहीं हो रहा है। सतर्क रहने की जरूरत है।
वाटरलॉगिंग से परेशानी
बारिश की वजह से शहर में जहां-तहां वाटरलॉगिंग की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। जहां म'छर पनप जाते हैं। इन्हीं मच्छरों के काटने की वजह से लोगों में डेंगू के लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं। ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। ब'चे, महिलाएं, बुजुर्ग जो भी घरों में रहते हैं उन्हें ज्यादा देखभाल की जरूरत है। डॉक्टर बताते हैं कि तेज बुखार, बदन दर्द या सिर दर्द की समस्या हो रही है तो इसे इग्नोर न करें। ज्यादातर मरीज बुखार और बदन दर्द की समस्या लेकर ही आते हैं, लेकिन जांच में पता चलता है कि उन्हें डेंगू है।
-डॉ रणधीर कुमार, जेनरल फिजिशियन, गणेश हॉस्पिटल, रांची