बीत गए 5 माह, रांची आसपास में नहीं हुआ एक भी नक्शा पास
रांची(ब्यूरो)। रांची रिजनल डेवलपमेंट अथॉरिटी(आरआरडीए) द्वारा पिछले पांच महीनों से एक भी नक्शा पास नहीं किया गया है। यह हाल तब है जब आरआरडीए के उपाध्यक्ष अमित कुमार का ताबादला हो गया और नए उपाध्यक्ष संदीप सिंह ने कार्यभार भी संभाल लिया है। 15 दिन कार्यभार संभाले हुए भी हो गए। लेकिन आरआरडीए इलाके में नक्शा पास नहीं हो पा रहा है। आरआरडीए में पिछले पांच माह से एक भी नक्शा को स्वीकृति नहीं मिली है। यह स्थिति आरआरडीए में भू संपदा पदाधिकारी व सचिव के नहीं रहने के कारण हुई है। नक्शा पास नहीं होने से आवेदक भी परेशान हैं। वे रोज आरआरडीए कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। वहीं, यहां तैनात कर्मचारी उन्हें एक ही जवाब दे रहे हैं कि जब तक अफसर की पोस्टिंग नहीं होगी, तब तक नक्शा कैसे पास होगा। 200 से अधिक आवेदन पेंडिंग
आरआरडीए में जब भी किसी नक्शे का आवेदन जमा होता है तो सबसे पहले उसके कागजात की जांच भू-संपदा पदाधिकारी द्वारा की जाती है। भू-संपदा पदाधिकारी के ओके करने पर ही फाइल आगे बढ़ती है। लेकिन, अफसर के नहीं रहने के कारण 200 से अधिक नक्शों के आवेदन पिछले पांच माह से यहां पेंडिंग हैं।साइट विजिट भी नहीं हो रहा
आरआरडीए क्षेत्र में किसी प्रकार के विकास कार्य व किसी प्रकार की शिकायत दर्ज होने के बाद यहां के अमीन व इंजीनियर संस्थान के वाहन से जाकर स्पॉट विजिट करते थे। लेकिन, विपत्र पर साइन करने वाला अफसर नहीं रहने के कारण वाहनों में तेल भराने पर भी आफत आ गयी है। नतीजा, साइट विजिट का काम बंद है। वहीं, इंजीनियर या कर्मी अपने वाहन से ही आना-जाना कर रहे हैं। बिना मंजूरी अपार्टमेंट, स्कूल बनेवहीं, रांची नगर निगम क्षेत्र के बाहर तेजी से बसावट हो रही है। पिछले दो-तीन सालों में रांची रिंग रोड के चारों ओर जमीन की प्लॉटिंग, निजी घर और व्यावसायिक भवनों का निर्माण धड़ल्ले से हुआ है। इसमें मात्र पांच प्रतिशत भवन ऐसे हैं, जिनका नक्शा रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार आरआरडीए से स्वीकृत हुआ है। 95 प्रतिशत भवनों का निर्माण आरआरडीए से नक्शा पास कराए बिना ही किया गया है। जमीन की खरीद-बिक्री भी बिना ले-आउट प्लान पास कराए हो रही है। प्राधिकार क्षेत्र में निजी मकान, अपार्टमेंट, व्यावसायिक भवन, स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, गोदाम का निर्माण बिना परमिशन हुआ है। ले आउट प्लान जरूरी है
प्राधिकार ने बिना नक्शा के बन रहे भवनों पर अवैध निर्माण का केस दर्ज करता है। जमीन के धंधे से जुड़े डेवलपर-ब्रोकर को आरआरडीए के बिल्डिंग प्लान अप्रूवल मैनेजमेंट सिस्टम से जमीन का ऑनलाइन ले-आउट प्लान स्वीकृत किया जाना जरूरी है। इसके बाद ही वे जमीन बेच पाएंगे। अगर कोई डेवलपर-ब्रोकर बिना ले-आउट प्लान स्वीकृत कराए जमीन की प्लॉटिंग करके बेचता है तो उस पर प्राथमिकी भी दर्ज की जाएगी। जागरूकता के लिए अंचलों में लगा बोर्डजमीन खरीदकर निजी, व्यावसायिक भवन, स्कूल-अस्पताल बनाने वालों को जागरूक करने के लिए आरआरडीए ने रांची मुख्य निबंधन कार्यालय सहित ग्रामीण निबंधन कार्यालयों में आम सूचना का बोर्ड लगाया है। इसमें बताया गया है कि प्राधिकार क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण, पुन: निर्माण और जमीन का ले.आउट प्लान स्वीकृत कराना अनिवार्य है। लाइसेंसी इंजीनियर से भवन का नक्शा पास कराने से लेकर ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया की जानकारी दी गई है, ताकि कार्यालय आने वाले लोग भवन का नक्शा और जमीन का ले.आउट प्लान पास कराने के लिए भी आगे आएं।ठगे जा रहे हैं जमीन के खरीदार
रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकार क्षेत्र में छह अंचलों के क्षेत्र आते हैं। इनमें कांके, ओरमांझी, रातू, नगड़ी, नामकुम और अनगड़ा शामिल हैं। इन क्षेत्रों से ही 84 किमी लंबा रिंग रोड गुजरा है। रिंग रोड के दोनों ओर बड़ी संख्या में बहुमंजिला भवनों का निर्माण हो रहा है। लेकिन आरआरडीए से नक्शा पास नहीं कराया जा रहा है। जमीन खरीदारों को न चौड़ी सड़क मिल रही है और न नाली के लिए जमीन छोड़ी जा रही है। ऐसे में जमीन का ले आउट प्लान स्वीकृत कराने का नियम अनिवार्य होने से सबसे बड़ा फायदा जमीन खरीदारों को होगा। क्योंकि अभी एक ही प्लॉट को दो से तीन लोगों को बेच दिया जाता है। रजिस्ट्री भी हो जाती है। जब जमीन खरीदार पॉजेशन लेने प्लॉट पर पहुंचता है, तब उन्हें ठगे जाने का पता चलता है।