75 हजार रुपए दीजिए, ऑक्सीजन लीजिए
रांची: संकट की इस घड़ी में जहां एक ओर कुछ लोग आपदा को अवसर में बदलने पर तुले हैं वहीं मौके का फायदा उठाते हुए ठगों का गिरोह भी एक्टिव हो चुका है। रांची के सभी हॉस्पिटल्स में ठगों की टीम सक्रिय है। हॉस्पिटल के इंचार्ज और मेडिकल स्टाफ के साथ ये लोग साठगांठ करके आम पब्लिक को लूटने का काम कर रहे हैं। कोई ब्लड तो कोई बेड दिलाने का दावा करता है, कोई मिनटों में ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की बात कर लोगों के साथ ठगी कर रहा है। कुछ ठग रेमडेसिविर इंजेक्शन भी अवेलेबल कराने का दावा कर रहे हैं। राज्य के सबसे बडे़ हॉस्पिटल रिम्स के समीप ललन नामक ठग ने एक व्यक्ति को मिनटों में ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने का दावा किया। इसके लिए ठग ने पीडि़त से 75 हजार रुपए की मांग कर दी। पीडि़त व्यक्ति ने बताया कि 700490670 नंबर से फोन कर ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने के एवज में मोटी रकम मांगी गई, जिसकी सूचना उस व्यक्ति ने एसएसपी को दी। एसएसपी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए फौरन कार्रवाई का आदेश दिया है। ठीक इसी तरह रांची के रिसालदार हॉस्पिटल के इंचार्ज ने बताया कि एक व्यक्ति ने फोन कर बेड उपलब्ध कराने की बात कही। इसके लिए वह व्यक्ति मरीज के परिजन से हजारों रुपए दिलाने का दावा कर रहा था। हालांकि इस मामले में न कोई शिकायत हुई है और न ही पुलिस ने संज्ञान लिया है। लेकिन इन सबके बीच आम लोग बुरी तरह फंस रहे हैं।
पैसा लिया पर नहीं दिया सिलेंडरसमय पर इलाज मिलने की आस में कई लोग फ्रॉड के ट्रैप में आसानी से फंस भी रहे हैं। इसमें कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर देने के नाम पर एडवांस पेमेंट ले लिया लेकिन उन्हें सिलेंडर ही नहीं उपलब्ध कराया गया। होम आइसोलेशन में रह रहे रविंद्र शर्मा के बेटे मोहित ने जब ऑक्सीजन के लिए इधर-उधर पता किया तो उसे एक व्यक्ति का नबंर दिया गया, जिस पर संपर्क करने पर एडवांस पेमेंट की बात कही गई। मोहित से फर्स्ट पेमेंट 7500 रुपए मांगा गया। उसने फोन पे से पेमेंट कर दिया। फिर सेकेंड अमाउंट 900 रुपए भुगतान करने को कहा गया। लेकिन सिलेंडर देने का समय आया तो ठग फोन बंद करके फरार हो गया। मोहित ने बताया कि मेरे लिए सबसे ज्यादा जरूरी पापा का इलाज कराना है। अभी इन सबमें पड़कर समय नहीं बर्बाद करना। मोहित ने फिर समाज सेवा में जुटे लोगों से संपर्क किया, जिसके बाद उसकी परेशानी दूर हुई।
रेमडेसिविर की भी ब्लैक मार्केटिंग कोरोना महामारी में जीवन रक्षक दवा मानी जा रही रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी भी जारी है। इसमें संलिप्त चार लोगों की गिरफ्तारी अब तक हो चुकी है। जबकि दो आरोपी फरार भी हैं। रेमडेसिविर की कालाबाजारी मामले में एसएसपी तत्परता से इसकी छानबीन कर रहे हैं। वहीं सीआईडी से भी इसकी जांच कराने की मांग उठ चुकी है। लेकिन फिर भी इस जीवन रक्षक दवा की ब्लैक मार्केटिंग नहीं रुकी है। रिम्स के मेडिकल स्टूडेंट भी इस अवैध काम में शामिल हैं। पुलिस ने दो मेडिकल स्टूडेंट्स को अरेस्ट भी किया है। इस मामले मे ड्रग कंटोलर रीतू सहाय ने बताया कि रेमडेसिविर हॉस्पिटल को ही सप्लाई किया जाता है। हॉस्पिटल से बाहर यदि इसकी खरीद-बिक्री होती है तो उसकी जांच की जाएगी। रीतू सहाय ने बताया कि बरामद सभी वायल की जांच हो रही है। इसके पैकेजिंग नंबर से मिलान कर पता लगाया जा रहा है कि यह कहां से लीक हुआ है।गलत काम करने वालों को कतई बख्शा नहीं जाएगा। आपदा के समय में जो भी इस तरह की ब्लैक मार्केटिंग कर रहे हैं उनके साथ सख्त कार्रवाई की जाएगी। रांची पुलिस इसे गंभीरता से ले रही है। कई लोग अरेस्ट भी हो चुके हैं। उनसे पूछताछ जारी है।
एसके झा, एसएसपी, रांची