शहर में छह हजार लैंडलाइन फोन पड़े हैं ठप
RANCHI : सिटी के छह हजार घरों में बीएसएनएल का बेसिक फोन शो पीस बनकर रह गया है। कई दिनों से इन घरों में न तो ट्रिन-ट्रिन सुनाई दे रही है और न ही ब्रॉडबैंड सर्विस काम कर रही है। रातू रोड, डोरंडा, हरमू, मोरहाबादी और सर्कुलर रोड में सड़क चौड़ीकरण व नाली बनाने के नाम पर की गई खुदाई में केबुल कट जाने का खामियाजा सब्सक्राइबर्स को भुगतना पड़ रहा है। बेसिक फोन डेड होने के बाबत सब्सक्राइबर्स कई बार कंप्लेन दर्ज करा चुके हैं, लेकिन बीएसएनएल एडमिनिस्ट्रेशन समस्या को दूर करने की बजाय टालमटोल का रवैया अपनाए हुए हैं। कई सब्सक्राइबर्स तो लैंडलाइन कनेक्शन कटा लेने का भी मूड बना चुके हैं।
सीएम की भी नहीं सुनतेसीएम रघुवर दास और चीफ सेक्रेटरी राजीव गौबा भी बीएसएनल को केबुल फॉल्ट को जल्द से जल्द ठीक कर लेने का निर्देश दे चुके हैं, लेकिन इसका भी बीएसएनएल पर कोई असर नहीं पड़ा है। जुलाई के पहले सप्ताह में सीएम ने सड़क चौड़ीकरण व नाली निर्माण को लेकर होनेवाली खुदाई में केबुल कट जाने के मामले पर बीएसएनएल, पथ निर्माण विभाग और पेयजल व स्वच्छता विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग कहा था कि तीनों विभाग आपस में समन्वय बनाकर काम करें, ताकि केबुल कटने की स्थिति में तुरंत उसकी मरमत हो सके। सीएस राजीब गौबा के साथ मीटिंग में भी इसपर सहमति बनी थी, लेकिन इस दिशा में अबतक पहल नहीं हो रही है।
चैंबर की शिकायत भी असरहीन हजारों बेसिक फोन के महीनों से डेड होने के बाबत झारांड चैबर के टेली कयूनिकेशन कमिटी के मेंबर्स की किशोर मंत्री के नेतृत्व में बीएसएनएल अधिकारियों के साथ पिछले दिनों मीटिंग हुई थी। चैंबर की ओर से सब्सक्राइबर्स को होनेवाली परेशानी से अवगत कराया गया था। लेकिन, इसके बाद भी केबुल फॉल्ट न तो दुरुस्त हो सका है और न ही बेसिक फोन और ब्रॉडबैंड सर्विस काम कर रहा है। सीजीएम की घोषणा हवा-हवाईबीएसएनएल के सीजीएम केके ठाकुर ने 15 जनवरी को प्रेस कांफ्रेंस में सड़कों के काटे जाने व नालियों के लिए हुई खुदाई की वजह से कटे केबुल को 15 दिन में ठीक कर लिए जाने की बात कही थी। इस बाबत चीफ सेक्रेटरी के साथ पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के साथ बातचीत में सहमति बन जाने का उन्होंने हवाला दिया था। उन्होंने कहा था कि कटे हुए केबुल को जोड़ने का काम शुरु कर दिया गया है। जल्द ही बेसिक फोन व ब्रॉडबैंड सर्विस दुरुस्त हो जाएगी, लेकिन ढ़ाई महीने से ज्यादा हो चुके हैं, सीजीएम की घोषणा हवा-हवाई ही साबित हो रही है और सब्सक्राइबर्स परेशान हैं।