माफिया अंधाधुंध निकाल रहे पानी
JAMSHEDPUR: स्टील सिटी में एक ओर लोग पानी के लिए परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर पानी माफिया हर दिन लाखों लीटर पानी का दोहन कर व्यापार कर रहे हैं। शहर के नन कंपनी एरिया में पानी खत्म होने पर यह माफिया वाहन लदी गाड़ी से सीधे टंकी में पानी की सप्लाई देकर मोटा माल कमा रहे है। जिसके चलते शहर में वाटर लेबल में कमी हो रही है। शहर के चारों ओर फैले यह वाटर माफिया डीप बोरिंग से पानी का दोहन कर लाखों लीटर पानी का कारोबार करते है। मानगो गोलचक्कर में चलने वाले जुस्को के नल से हर दिन हजारों की संख्या में माफिया बड़ी गाडि़यों में पानी भर कर बिक्री कर रहे है। यह सब कुछ देखते हुए भी नगर निगम के अधिकारी अनजान बने हुए हैं। जिसके चलते इन वाटर माफियाओं के हौसले बुलंद है,
400 फीट से निकाल रहे पानीजमशेदपुर पठारी इलाका होने के कारण वाटर लेबल नीचा है। लेकिन शहर में वाटर माफियाओं ने पानी पर अपना अधिपत्य कर रखा है। आरओ प्लांट और पैक पानी का कारोबार करने वाले यह माफिया हर दिन धरती की गर्भ से हजारों लीटर पानी निकाल रहे हैं। जिससे दिन प्रतिदिन वाटर लेबल गिरता जा रहा है। पानी से यह कारोबारी महीने में लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। स्टील सिटी में भूगर्भ के पानी में आर्सेनिक और फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण लोग आरओ का पानी पीते हैं। पानी जैसी मुफ्त मिलने वाली सेवाओं में वाटर माफियाओं का एकछत्र राज होने से लाखों रुपये की आमदनी प्राप्त कर रहे है। जिसके चलते बिष्टुपरु, साकची, गोलमुरी में 400 फीट तक वाटर लेबल पहुंच गया है। जहां पर नारमल बोरिंग से पानी नहीं निकल रहा है। जिससे आम लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है।
नियम का नहीं हो रहा पालनशहर में गिरते जल स्तर के लिए शहर के अक्षेस भी दोषी है, जिले में अक्षेस की स्थापना के साथ ही वाटर हारवेस्टिंग टैंक बनाने का नियम प्रभावी तरह से न लागू करने से पूरे शहर में वाटर रीचार्ज नहीं हो पा रहा है। शहर में प्राइवेट संस्थानों के साथ ही सरकारी बिल्डिंगों में भी वाटर हारवेस्टिंग टैंक नहीं बनाये गये परिणाम स्वरूप बारिश में गिरने वाला पानी बेकार होकर नालियों के रास्ते स्वर्णरेखा नदी में बह जाता है। शहर में पानी के मुख्य श्रोत के रूप में स्वर्णरेखा नदी से स्टील सिटी की प्यास बुझाती है। ऐसे में यहां पर बनी लेक सहायता कर रही है।
नदी-तालाब भी सूखे देश में घटते जलस्तर के कारणों पर मंथन किया जा रहा है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के रिकार्ड के अनुसार शहर में औसत जल स्तर 350 फीट से चार सौ फीट के मध्य है। जिसमें दिन प्रतिदिन लगातार वृद्धि हो रही है। शहरों में पानी की अधिक से अधिक दोहन और उनके अनुसार रिचार्ज हो पाने के कारण दिन प्रतिदिन शहरी इलाकों में पानी की समस्या बढ़ती जा रही है। शहर की जीवनदाई कहीं जाने वाली स्वर्णरेखा नदी का जलस्तर घटने और पानी कम होने से मोहरदा और गोविंदपुर वाटर परियोजनाओं को पानी नहीं मिल पा रहा है। शहर में वाटर रिचार्ज के सबसे बड़े श्रोत माने जाने वाले तालाब भी खत्म होने के कारण जल स्तर में कमी हो रही है। 25 रुपये डिब्बा बिक रहा पानीशहर में पानी खारा और फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के चलते शहर में पानी का कारोबार फल फूल रहा है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के आंकड़े के अनुसार शहर में 60 प्रतिशत लोग आरओ का पानी प ते है। शहर में वाटर माफिया तीस रुपये में 15 लीटर पानी का जार देते है। जिससे हर दिन 15 लीटर पानी खर्च करने वाले परिवार को एक हजार रुपये प्रतिमाह पानी का पैसा चुकाना होता है।
तेजी से बढ़े इडस्ट्रियल और शहरीकरण के चलते नदियों तालाबों की संख्या मानों खत्म हो गई। शहर में सक्रिय वाटर माफिया 350 से 400 फीट से पानी निकाल ले रहे हैं। एससे लगातार जल स्तर पर गिरावट हो रही है। शहर में सक्रिय वाटर माफियाओं की जांच कराकर इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शिशिर कुमार सोरेन, कार्यपालक अभियंता, पेय जल एवं स्वच्छता विभाग, जमशेदपुर