थानों में जंग खा रही हैं करोड़ों की जब्त गाडि़यां
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छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: लौहनगरी के विभिन्न थानों में पुलिस द्वारा जब्त गाडि़यां वर्षो से जंग खा रही हैं। इनकी सुध न तो जिला प्रशासन ले रहा है और न ही पुलिस महकमा। थानों में सड़ रहे इन वाहनों को पुलिस ने आपराधिक वारदात, संपत्ति कुर्की, गाड़ी के कागजात नहीं होने पर और लावारिश अवस्था में जब्त किया है। अधिकांश वाहनों के चक्के, इंजन या फिर अन्य महत्वपूर्ण पुर्जे भी गायब हो गए हैं। साथ ही खुले आसमान के नीचे वाहनों के रखे जाने की वजह से कई वाहन के तो ढांचे ही शेष बचे हैं। हालांकि, ईस्ट सिंहभूम के एसएसपी अनूप बिरथरे ने कहा कि वाहनों की नीलामी प्रक्रिया चल रही है। माननीय न्यायालय से परमिशन लेकर गाडि़यों की नीलामी कर दी जाएगी। बिष्टुपुर थाना में सबसे ज्यादासबसे अधिक 150 वाहन बिष्टुपुर थाना में हैं। इसके बाद साकची में 100, जुगसलाई में 110, बागबेड़ा में 30, बर्मामाइंस में 60, मानगो में 90, परसुडीह में 20, गोलमुरी में 30 समेत अन्य कई थाने में वाहन जब्त कर रखे हुए हैं। इन वाहनों में टू-व्हीलर, ऑटो, फोर व्हीलर, साइकिल आदि शामिल हैं। इन्हें लेने के लिए कोई हकदार सामने नहीं आया। इनमें कई ऐसे भी कई वाहन हैं, जिनके बीमा के पैसे वाहन मालिकों ने बीमा कंपनी से वसूल लिए।
राज्य बनने के बाद नीलामी नहीं
थानों में जब्त वाहनों की नीलामी झारखंड सरकार के गठन के बाद नहीं हो पाई है। संयुक्त बिहार में जमशेदपुर के एसपी रहे डॉ अजय व पालटा के कार्यकाल में साकची, बिष्टुपुर एवं जुगसलाई थानों समेत कई थानों में वाहनों की नीलामी कराई गई थी। नीलामी के एवज में लाखों रुपए सरकारी खजाने में जमा हुए थे। रख-रखाव की सुविधा नहीं पुलिस की ओर से जब्त किए जानेवाले वाहन थाना परिसरों में लावारिस ही खड़े रहते हैं। इन वाहनों के रख-रखाव की कोई सुविधा नहीं है। जब्ती के दौरान वाहन की जो कीमत होती है नीलामी के दौरान उसका 10 प्रतिशत भी पैसा मिलना मुश्किल हो जाता है। यह है नियम नियम के मुताबिक लावारिस जब्त वाहन के छह माह बाद निस्तारण की प्रक्रिया शुरू की जाती है। वाहन बरामद होने पर पुलिस पहले उसे धारा 102 के तहत रिकॉर्ड में लेती है। बाद में न्यायालय में इसकी जानकारी दी जाती है। न्यायालय के निर्देश पर सार्वजनिक स्थानों पर पंपलेट आदि चस्पा कर उस वाहन से संबंधित जानकारी सार्वजनिक किए जाने का प्रावधान है, ताकि वाहन मालिक अपना वाहन वापस ले सके। लंबी होती है नीलामी प्रक्रियालावारिस या किसी मामले में जब्त वाहन का निस्तारण करने की प्रक्त्रिया काफी लंबी होती है। पहले तो पुलिस थाना स्तर पर इंतजार करती है कि वाहन मालिक आकर अपना वाहन ले जाए। काफी इंतजार के बाद भी जब मालिक नहीं आता है तब न्यायिक प्रक्रिया शुरू की जाती है। इसमें काफी समय लगता है।
प्रमुख थानों में जब्त वाहन बिष्टुपुर थाना 150 साकची थाना 100 गोलमुरी थाना 30 जुगसलाई थाना 100 परसुडीह थाना 20 मानगो थाना 90 बागबेड़ा थाना 30 बर्मामाइंस थाना 60 गाडि़यों की नीलामी की प्रक्रिया चल रही है। वाहनों की लिस्टिंग कर ली गई है। माननीय न्यायालय से परमिशन लेकर गाडि़यों की नीलामी कर दी जाएगी। -अनूप बिरथरे, एसएसपी, जमशेदपुर