वेतन कटौती पर हाय-तौबा शर्म की बात
छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: टाटा समूह के संस्थापक की सोच है समुदाय को साथ लेकर चलना, उनकी मदद करना है। लेकिन ओडिशा त्रासदी में मदद के लिए वेतन कटौती को लेकर जिस तरह से हाय-तौबा मची हुई है, वह हम सबके लिए शर्म की बात है। यह हमारी परंपरा नहीं है। सोमवार सुबह टाटा स्टील के मासिक कार्यक्रम एमडी ऑनलाइन को संबोधित करते हुए कंपनी के सीईओे सह एमडी टीवी नरेंद्रन ने ये बातें कहीं।
उन्होंने वेतन कटौती को लेकर विवाद पर नाराजगी जाहिर की। कहा कि सरकार के नियमों के तहत हमें अपने मुनाफे का दो प्रतिशत यानी लगभग 100 करोड़ रुपये ही सीएसआर पर खर्च करने थे, लेकिन कंपनी ने पिछले दो वित्तीय वर्षो में 300 करोड़ रुपये खर्च की है। टाटा समूह समुदाय को साथ लेकर चलने की सोच रखता है। ओडिशा में हमारे माइंस व कंपनियां संचालित हैं। हमें आगे आकर उनकी मदद करनी थी, लेकिन एक दिन की वेतन कटौती को लेकर जो विवाद उठा, वह अशोभनीय है। कर्मचारी एक दिन के वेतन देने को लेकर इतने परेशान हैं? एमडी ने कर्मचारियों से सवाल किया कि जब वहां का मुनाफा बोनस से जुड़े तो परेशानी नहीं होगी। दस वर्ष पहले जब वेतन कम था तब वेतन कटौती में कोई परेशानी नहीं थी लेकिन अब वेतन काफी बढ़ गया है तो यह परेशानी क्यों है? कंपनी कोई भी निर्णय टाटा वर्कर्स यूनियन से बात कर लेती हैं। अगर किसी कर्मचारी को परेशानी है तो उनसे संपर्क करें। टाटा स्टील बड़े दिल वाली कंपनी है। कर्मचारियों से जितनी राशि जमा होती उतनी ही राशि कंपनी भी अपनी ओर से देती। सहयोग से टाटा समूह का ही नाम ऊंचा होता है।
स्टील की डिमांड सुस्त मार्केटिंग एंड सेल्स विभाग के अधिकारी संजय ने बताया कि बाजार में अभी भी स्टील की डिमांड सुस्त है। मानसून के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर, पैसेंजर कार में नरमी का असर स्टील बाजार पर भी पड़ रहा है। हालांकि प्रवेश व 30 हजार आर्डर और आशियाना में टाटा शक्ति को लांच करना हमारे लिए राहत की गात है। बताया कि जुलाई उम्मीदों से भरा है। बजट से स्टील बाजार को बड़ी उम्मीद है। इससे लिक्विड मनी की कमी दूर होने की संभावना है। वहीं, टाटा स्टील का मार्केट शेयर में बढ़ोतरी होने की उम्मीद जताई। बने जॉगर्स ट्रैकहॉट स्ट्रीप मिल, इलेक्ट्रिकल से राकेश कुमार ने कहा कि बिष्टुपुर स्थित पीएंडएम मॉल के सामने बहुत बड़ा डिवाइडर है। इस पर अगर जॉगर्स ट्रैक बने तो आसपास रहने वालों को फायदा होगा। इस पर कॉरपोरेट रिलेशंस चीफ रितुराज सिन्हा ने वहां की स्थिति का जायजा लेकर निर्णय लेने का संकेत दिया। एमडी ने एचएसएम में स्पीड वॉयलेशन कम होने पर खुशी जाहिर की।
पार्किंग होने का मामला उठा कोक प्लांट के पूर्व कमेटी मेंबर करम अली ने मुख्य गेट के पथ पर एसबीआइ की पार्किंग होने का मामला उठाया। साथ ही इसके बगल में पिछले दिनों बने सिवरेज लाइन का ढक्कन धंसने का मामला उठाया, जो दुर्घटना को दावत दे रहा है। बिष्टुपुर आइस फैक्ट्री के पीछे टीआर टाइप के सामने अतिक्रमण और चोरी की बढ़ती घटना पर प्रबंधन का ध्यान आकर्षित किया। इस पर रितुराज सिन्हा ने कहा कि जल्द ही टीआर टाइप को प्रबंधन खाली कराएगा। जुबिली पार्क गेट को बंद होटाटा ग्रोथ शॉप के दिलीप कुमार ने जुबिली पार्क गेट को बंद करने की मांग की। कहा कि पार्क में हमेशा लोगों की भीड़ रहती है। लेकिन इस सड़क पर हमेशा वाहनों की लंबी-लंबी कतारें रहती है। जो सेफ्टी के दृष्टिकोण से सहीं नहीं है। इसका जवाब देते हुए रितुराज सिन्हा ने कहा कि शहर की यातायात व्यवस्था का कोई भी निर्णय टाटा स्टील, जिला प्रशासन से बात कर ही लेती है। पहले भी दस दिनों के लिए पार्क गेट को बंद किया गया था। जिसके कारण स्ट्रेट माइल सड़क पर बाग-ए जमशेद से जुस्को कार्यालय तक जाम लग जाता है। इसलिए जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाती, पार्क के गेट को बंद नहीं किया जा सकता।
नाम में बदलाव संभव नहीं दिलीप कुमार ने सवाल उठाया कि संस्थापक का नाम जमशेद जी है या जमशेत जी। जुबिली पार्क में संस्थापक का नाम जमशेत लिखा है जबकि शहर का नाम जमशेद से जमशेदपुर बना है। इसे ध्यान में रखकर शहर के नाम में बदलाव करने की मांग की। इस पर एमडी ने कहा कि 1919 में पूर्व चेयरमैन ने क्या सोच कर निर्णय लिया है, उन्हें नहीं मालूम। लेकिन अब हम अपने शहर का शताब्दी वर्ष मना रहे हैं। नाम में बदलाव करना संभव नहीं है।