छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: टाटा फुटबॉल अकादमी ग्राउंड। कल तक जहां नौनिहाल पसीना बहाते थे, आज मम्मियां धींगामुश्ती कर रहीं हैं। अब तक तो फुटबॉल के साथ बच्चों की अठखेलियां देख मम्मियां इतराती थी, लेकिन आज बच्चों का इतराने का दिन था। मौका था, एशियन फुटबॉल कंफेडरेशन (एएफसी) महिला फुटबॉल दिवस का।

मम्मियों के लिए यह पहला अनुभव था। कुछ महिलाएं मैदान पर उतरने में सकुचा रहीं थी। लेकिन जब सहेलियों ने ताल ठोकी तो जोश आ ही गया। फिर क्या था, ट्रैकसूट व जूता बांध फुटबॉल के रणक्षेत्र में उतर ही पड़ी। टूर्नामेंट को लेकर उत्साह का आलम यह था कि कुल 45 महिलाओं ने मैदान पर दम दिखाया।

मम्मी डरना मत

जैसे ही मैच शुरू हुआ, वैष्णवी अपनी मम्मी संगीता पांडेय की हौसला बढ़ा रही थी। बोल रही थी, मम्मी डरना मत। बस बॉल पर कंट्रोल करना। आदित्य तो अपनी मम्मी नीलम पांडेय का कोच बना बैठा है। एक्शन कर बतला रहा है। देवव्रत भी कम नहीं है, मम्मी सीमा सिंह को एक ही दिन में हर वो गुर सीखा देना चाहता है, जो अबतक उसने सीखा है। मम्मी भी मैदान पर उतरने की चिंता छोड़ अपने बेटे का स्किल देख इतरा रही है। सोनाली सिंह भी आज फुटबॉल खेल अपना जीवन 'सार्थक' कर लेना चाह रही है। मानो वह कह रही हो, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा। कार्मेल जूनियर कॉलेज के आदित्य सिंह का उत्साह देखते ही बन रहा है। ऐसा लग रहा है, उनकी मम्मी रश्मि सिंह नहीं, वह खुद खेलने मैदान में उतर रहा हो।

यह ऐसा टूर्नामेंट था, जहां हार और जीत के कोई मायने नजर नहीं आ रहा था। उत्साह से लबरेज महिलाएं बस खेलना चाहती थी। नौ जेएफसी फुटबॉल स्कूल के बच्चों की मम्मियां इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले रही थी। पुरस्कार वितरण समारोह की मुख्य अतिथि जया पांडा (चीफ, टीक्यूएम, टाटा स्टील) ने विजेता उपविजेता टीमों को पुरस्कृत किया।

Posted By: Inextlive