महारास का मतलब परमात्मा और जीवात्मा का मिलन : वृजनंदन शास्त्री
JAMSHEDPUR: मानगो एनएच 33 स्थित वसुन्धरा स्टेट में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन सोमवार को वृन्दावन से पधारे स्वामी वृजनंदन शास्त्री जी महाराज ने अपनी मधुरवाणी से उद्धव चरित्र, श्रीकृष्ण मथुरा गमन एवं रूकमणी विवाह कथा प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि भगवान ने गोपियों के साथ महारास किया। महारास का मतलब परमात्मा और जीवात्मा का मिलन हैं। महारास में जो रस था, वह सामान्य रस नहीं था। वो कोई सामान्य नाचने वालों का काम नहीं था, जिसको प्राप्त करने के लिए गोपियों को सर्वस्व त्यागना पड़ा था। ब्रज भूमि परमात्मा की प्रेम भूमि हैं, जहां के कण-कण में कृष्ण हैं। भगवान कृष्ण-गोपियों के महारास लीला को जो श्रद्धा के साथ सुनता है, उसे भगवान के चरणों में पराभक्ति की प्राप्ति होती है और वह बहुत शीघ्र ही हृदय रोग-काम-विकार से छुटकारा पा जाता है।
वृजनंदन शास्त्री ने रूक्मिणी विवाह और उद्धव चरित्र के कई रूपों की झांकियों का दर्शन कराया। सुंदर शब्दों के साथ आगे कहा कि भगवान की अलौकिक लीलाओं को जब रुक्मिणी ने सुना तब प्रभु श्री कृष्ण को ही पति स्वरूप में प्राप्त करने की इच्छा रखी व अपने मन के भाव को गुरु के माध्यम से श्रीकृष्ण तक पहुंचाया की मेरे भ्राता रूकमी के दबाव में मेरे पिता मेरा विवाह शिशुपाल के संग कर रहे हैं किंतु आप के चरित्र को श्रवण कर मैंने मन ही मन आपको ही पति रूप में स्वीकार कर लिया।
कथा के छठे दिन पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, मीरा मुंडा, विधायक मेनका सरदार, टिनप्लेट कंपनी के एमडी आर एन मूर्ति, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता राजेश शुक्ला, भाजपा के वरिष्ठ नेता अमरप्रीत सिंह काले, चन्द्रशेखर मिश्रा, भुपेन्द्र सिंह, राकेश सिंह, भरत सिंह, हरेराम यादव, मनोज वाजपेयी, जिला परिषद उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह, जिप सदस्य सुदिप्तो डे राणा, मोहन बगवान, ब्रज भूषण सिंह, जय प्रकाश राय, सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष अशोक भालोटिया आदि मौजूद थे।