एक्सएलआरआई में सेमिनार का आयोजन
JAMSHEDPUR : लेबर किसी वस्तु की तरह नहीं होते। उन्हें इंसान की तरह ट्रीट करना चाहिए। वे भी प्रोडक्शन के एक पार्टनर की तरह हैं ऐसी सोच रखनी होगी। ग्रोथ के नाम पर किसी भी कंपनी को हायर एंड फायर की पॉलिसी नहीं अपनानी चाहिए। एक ही तरह के काम करने वाले इंप्लॉई के बीच सैलरी के बढ़ते गैप को कम करना होगा। जिन देशों में वर्कर्स की स्थिति ठीक नहीं वहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर का डेवलपमेंट प्रभावित होता है और ऐसी ही कंट्री में इंडिया भी शामिल है। बातें वर्कर्स के लिए वर्किंग कंडीशन, उन्हें मिलने वाले वेजेज और इंप्लॉयर का उनके प्रति रवैये पर हो रही थीं। मौका था एक्सएलआरआई में 'लेबर लॉ एंड गवर्नेस रिफॉर्म्स एंड लेबर राइट्स इन इंडिया इन द एरा ऑफ ग्लोबलाइजेशन' पर ऑर्गनाइज हुए सेमिनार का जिसमें एक्सपर्ट्स ने अपनी बातें रखीं। एक्सपर्ट्स का कहना था कि मेक इन इंडिया तभी प्रभावी और सफल होगा जब इसमें छोटे उद्योगों और उसमें काम करने वाले वर्कर्स को शामिल किया जाएगा। इस मौके पर प्रजेंट जेएनयू से आए प्रवीण झा ने कहा कि अभी तक जिस मेक इन इंडिया की बात की जा रही है उसमें सिर्फ बड़े उद्योगपतियों को शामिल किया जा रहा जिनका योगदान टोटल इंडस्ट्रीज में सिर्फ क् परसेंट है।
इंडिया में नो गारंटी ऑफ राइट्स की स्थिति
सेमिनार के दौरान एक्सएलआरआई के प्रो केआर श्यामसुंदर ने कहा कि वर्ल्ड वाइड देखा जाए तो अपने देश में वर्कर्स की स्थिति बहुत खराब है। उन्होंने एक रिसर्च का हवाला देते हुए कहा कि यहां वर्कर्स की स्थित को भ्वें कैटेगरी में रखा गया है जिसका मतलब है कि यहां वर्कर्स के राइट्स की कोई गारंटी नहीं। साउथ अफ्रीका पहली कैटेगरी में है जबकि रूस दूसरी कैटेगरी में। उन्होंने बताया कि अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर में 8ब् परसेंट वर्कर्स हैं। उन्होंने डिफरेंट सेक्टर के बारे में बताया जहां मिनिमम वेज मिलते हैं इनमें कंस्ट्रक्शन और एग्रीकल्चर शाि1मल हैं। सैलरी में इतना गैप क्यों? सेमिनार में पैनल डिस्कशन के बाद क्वेश्चन-आंसर राउंट कंडक्ट किया गया। इसमें काफी संख्या में एक्सलर्स ने सवाल पूछे। इस दौरान तुषार ने ट्रेड यूनियंस से आए एक्सपर्ट्स से पूछा गया कि अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर में काफी संख्या में लेबर काम कर रहे। उनके लिए ट्रेड यूनियंस क्या कर रही। इसके अलावा यह भी पूछा गया कि किसी एक ऑर्गनाइजेशन में परमानेंट, कांट्रैक्चुअल और किसी एजेंसी द्वारा बहाल किए गए कांट्रैक्चुअल इंप्लॉई की सैलरी में इतना फर्क क्यों जबकि वे तीनों एक ही तरह के काम करते हैं।ऑर्गनाइज्ड में भी अनऑर्गनाइज्ड कर दिया गया
सेमिनार में शामिल हुए एक्सपर्ट्स का कहना था कि अनऑर्गनाइज्ड लेबर की संख्या कम होने के बजाय और बढ़ती जा रही है, क्योंकि कई कंपनीज में परमानेंट स्टाफ को भी कांट्रैक्चुअल बेसिस पर रख लिया गया है। आईएलओ से आई सृष्टि नाग ने कहा कि कई ऐसे एग्जामपल हैं जब अनऑर्गनाइज्ड लेबर ने यूनियन बनाने की कोशिश की तो उन्हें अपने काम से हाथ धोना पड़ा। उन्होंने आंध्र प्रदेश का एग्जामल भी दिया। एक आंकड़ा बताया गया कि ऑर्गनाइज्ड में भ्भ् परसेंट को अनऑर्गनाइज्ड में ट्रांसफर कर दिया गया है। वर्कर्स के हित में सभी ट्रेड यूनियन एक साथ हैंसेमिनार के बाद ट्रेड यूनियन, आईएलओ और जेएनयू से आए एक्सपर्ट्स ने पत्रकारों से बात की। भारतीय मजदूर संघ के श्याम सुदंर शर्मा और इंटक के सीपी सिंह ने साफ कहा कि वे गवर्नमेंट के उस प्रस्ताव का विरोध करेंगे जिसमें कंपनीज द्वारा रिटर्न फाइल (वर्कर्स का डिटेल) करने के लिए वर्कर्स की मिनिमम संख्या क्9 से घटाकर ब्0 किया जाना है। श्याम सुंदर शर्मा ने कहा कि ऐसा होने पर वर्कर्स की स्थिति और खराब हो जाएगी, क्योंकि बहुत बड़ी संख्या में लेबर उस कैटेगरी से बाहर हो जाएंगे जिनमें उनकी सिक्योरिटी के लिए कुछ किया जा सके। उन्होंने कहा कि कंपनीज वैसे ही वर्कर्स का डिटेल देना नहीं चाहती और ऐसे में तो वैसी कंपनीज बाहर हो जाएंगी जहां फ्9 वर्कर्स काम कर रहे हों। इस दौरान आइएलओ से राघवन और सृष्टि नाग, जेएनयू से प्रवीण झा, इंटक से सीपी सिंह, बीएमएस से श्याम सुंदर शर्मा, प्रो देव नाथन और एम गोपाल कृष्णन और प्रो के आर श्याम सुंदर प्रजेंट थे। इनॉगरेशन के दौरान एक्सएलआरआई के डायरेक्टर फादर ई अब्राहम और डीन एकेडमिक्स प्रो प्रणबेश रे प्रजेंट थे। इस दौरान और क्या बातें सामने आई आइए जानते हैं
- ट्रेड यूनियन के दबाव के बाद ही इंप्लॉयर की गलती पर पनिशमेंट बढ़ा दिया गया। - रिटर्न फाइल करने को लेकर कंपनीज में मिनिमम वर्कर्स की संख्या बढ़ाए जाने का विरोध पूरे देश में होगा, रैली और मार्च निकाला जाएगा और अवेयरनेस प्रोग्राम होंगे। - लेबर का गवर्नमेंट के प्रति ट्रस्ट काफी कम हो चुका है। - लेबर लॉ रिफॉर्म्स बैलेंस्ड नहीं। - ट्रेड यूनियंस अभी भी पुरानी पद्धति पर काम कर रहे। - बड़े संस्थान को आगे आना होगा और ट्रेड यूनियन में बदलाव पर काम करना होगा।- कंट्री में मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग के बड़े इंस्टीट्यूशंस हैं पर वर्कर्स की ट्रेनिंग के लिए कोई इंस्टीट्यूट नहीं।
- वर्कर्स के हित के खिलाफ सरकार का कोई भी प्रस्ताव होगा तो देश के सभी ट्रेड यूनियंस साथ मिलकर उसका विरोध करेंगे। - अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर में काम कर रहे वर्कर्स भी यूनियन बनाएं