आज का युवा वर्चुअल वर्ल्ड में जीता है : क्रिस्टी
JAMSHEDPUR: जेवियर लेबल रिलेशन इंस्टीट्यूट (एक्सएलआरआइ) के निदेशक फादर पी क्रिस्टी ने कहा कि व्यक्तित्व के सर्वागीण विकास के लिए सामाजिक, बौद्धिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास जरुरी है। आज का युवा वर्चुअल वर्ल्ड में जीता है, जिससे उसका सोशल स्किल खत्म होता जा रहा है। बिजनेस स्कूलों में इसका प्रभाव जबर्दस्त दिख रहा है। फादर पी क्रिस्टी इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी की ओर से नेशनल हाइवे स्थित होटल वेव इंटरनेशनल में दूसरे दिन आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।
इसलिए हो रहे सुसाइडउन्होंने कहा कि हाइपर टेक्निक और सोशल मीडिया के इस दौर में युवा बेहद परेशान और निराश है। यही वजह है कि देश के एजुकेशनल कैंपस में आत्महत्याएं हो रही हैं जो चिंता का विषय है। छात्र अपने जीवन को मैनेज नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि सभी स्कूलों में काउंसलर के रूप में मनोचिकित्सकों की नियुक्ति होनी चाहिए। वहीं स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख डॉ। विजय शंकर दास ने कहा कि राज्य के 11 फीसद लोग विभिन्न तरह की मानसिक बीमारियों की गिरफ्त में है, जबकि हमारा राष्ट्रीय औसत 10.6 फीसद है। डॉ। दास ने बताया कि दुनिया के सबसे ज्यादा अवसाद ग्रस्त लोग ¨हदुस्तान में है। झारखंड के पांच जिलों में अभी मानसिक स्वास्थ्य के कार्यक्रम चल रहे हैं, जिसका और 12 जिलों में विस्तार किया जाएगा। तीन दिवसीय सेमिनार में 11 राज्यों के छात्र व देश-विदेश के मनोचिकित्सक हिस्सा ले रहे हैं। तीन दिवसीय सेमिनार का रविवार को होगा। इस अवसर पर झारखंड शाखा के अध्यक्ष डॉ। संजय अग्रवाल, डॉ। दीपक गिरी, डॉ। मनोज साहू, डॉ। महेश हेम्ब्रम, डॉ। निशांत गोयल, डॉ। गौतम साहा, डॉ। मल्लिक, डॉ। ओपी सिंह सहित अन्य उपस्थित थे। सेमिनार में यूके, ऑस्ट्रेलिया, मलेरिया से भी प्रतिनिधि आए हुए हैं।
भूलने की बढ़ रही बीमारी, छोटी बात पर गुस्सा हो जाते लोगआधुनिकता की दौर में नई-नई बीमारियां तेजी से बढ़ रही है। बच्चों में नशा की लत व सोशल मिडिया के शिकार तेजी से हुए है। इसपर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बच्चों को डांटने-फटकारने की बजाए उसे समझाने की जरूरत है। इसके साथ ही लोगों में भूलने की बीमारी भी तेजी से बढ़ी है। अब लोग अपने दिमाग नहीं बल्कि इंटरनेट का सहयोग लेते है। कई लोग अपने शरीर को बार-बार साफ करते है। उन्हें लगता है कि उनके शरीर में कुछ गंदा लगा है, लेकिन लगा नहीं होता है। उन्हें भ्रम रहता है। इस तरह की बीमारियां भी तेजी से बढ़ी है। इन सारे बीमारी व विषयों पर कोलकाता से आये डॉ मलय घोषाल, प्रो। संजीबा दत्ता, डॉ। अमृत पट्टजोशी, प्रो। सुशील षाडंगी ने अपनी-अपनी राय रखीं। टीएमएच के डॉ। एमके साहू ने पर्सनालिटी डिसऑर्डर के बारे में जानकारी दी।