शिक्षण संस्थान का मूल्यांकन सामाजिक सरोकार के आधार पर हो
जमशेदपुर (ब्यूरो): किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान का मूल्यांकन वहां के छात्रों को मिलने वाले पैकेज से नहीं, बल्कि उसके सामाजिक सरोकार के आधार पर किया जाना चाहिए। यह देखें कि वहां छात्रों को किस तरह की मूल्य आधारित शिक्षा मिलती है, ताकि वे समाज और देश के विकास में अधिक से अधिक भूमिका निभा सकें। यह बात राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा सचिव राहुल पुरवार ने कही। वे शुक्रवार को एक्सएलआरआई में पीजीडीएम (जीएम) बैच 2022-23 के कम्युनिकेशन क्लब की ओर से आयोजित इंटरनेशनल सीईओ कांक्लेव अवेंसिस के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कॉन्क्लेव का विषय था &बदलता व्यवसाय : जनता, उद्देश्य, संभावनाएं&य। श्री पुरवार ने कहा कि व्यवसाय को केवल एक उद्देश्य से नहीं किया जाना चाहिए। उसमें व्यक्ति, कर्मचारी व सोसाइटी तीनों का ध्यान रखा जाना चाहिए। इसी तरह यदि कोई योजना बनाएं तो उसमें लांग टर्म व समाज व प्रकृति का हित जरूर होना चाहिए।कोरोना ने सिखाया
कोरोना काल की चर्चा करते हुए श्री पुरवार ने कहा कि इस महामारी के काल ने हमें काफी कुछ सिखाया। उन्होंने कहा कि निजी और सरकारी संस्थाएं समाज में समान रूप से योगदान करती हैं। समाज में मूल्य जोडऩे के लिए, सरकार और निजी संस्थाओं दोनों को ग्राहकों, कर्मचारियों और समुदाय की भलाई पर ध्यान देना चाहिए। इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। एक्सएलआरआई के निदेशक फादर एस जॉर्ज, डीन फादर डोनाल्ड डिसिल्वा के अलावा पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त अनन्य मित्तल, जमशेदपुर एसएसपी प्रभात कुमार एवं धालभूम एसडीओ पीयूष सिन्हा ने भी अपने विचार रखे।डीसी ने कहा सरायकेला खरसांवा के डीसी अरवा राजकमल ने एक अधिकारी के रूप में अपनी यात्रा पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि उनका अर्थशास्त्र के प्रति काफी लगाव रहा है। उन्होंने कहा कि नीति के लिए अर्थशास्त्र वही है जो इंजीनियरिंग के लिए भौतिकी है, इसलिए व्यवसाय के लिए भी वास्तव में वही है जो भौतिकी इंजीनियर के लिए है। यह आपको हर घटना का विश्लेषण करने के लिए एक परिप्रेक्ष्य देता है।खाई पाटने की आवश्यकता
पूर्वी सिंहभूम के एसएसपी प्रभात कुमार ने अपने अनुभवों के जरिए बतायाकि नेतृत्व को विकसित करना कैसे एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जहां संसाधन सीमित हैं और हम जिन लोगों के साथ काम कर रहे हैं, उनके पास सीमित क्षमताएं हो सकती हैं। एसएसपी ने कहा कि कैसे प्रक्रिया में एकरूपता लाकर और टीम को बदलती प्रौद्योगिकियों के अनुरूप बनाकर इन चुनौतियों से पार पाया जा सकता है। उन्होंने जनता और पुलिस बल के बीच की खाई को पाटने के महत्व के बारे में भी चर्चा की।