मातृभाषा भूलने से संस्कृति और संस्कार से हो रहे वंचित
जमशेदपुर (ब्यूरो): संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में कॉलेज की प्राचार्या डॉ मुकुल खंडेलवाल उपस्थित थी। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए संगोष्ठी के मुख्य वक्ता हिन्दी विभाग के शिक्षक राकेश कुमार पांडेय ने कहा कि &मातृभाषा&य सहज अभिव्यक्ति का माध्यम है। व्यक्ति जन्म के बाद जिस भाषा को सुनते हुए बड़ा होता है वह उसकी मातृभाषा होती है। व्यक्ति को मां, माटी और मातृभाषा के प्रति न सिर्फ श्रद्धा बल्कि अभिमान भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाषा की कोई जाति, धर्म, पंथ या संप्रदाय नहीं होता। जो जिस भाषा क्षेत्र में लंबे समय से निवास करता है उसकी भाषा स्वत: वही हो जाती है। हम आज अपनी मातृभाषा को भूलते जा रहे हैं, उसका परिणाम है कि हम संस्कृति और संस्कार से भी वंचित होते जा रहे हैं। मातृभाषा को महत्व दें
मुख्य अतिथि डॉ मुकुल खंडेलवाल ने कहा कि मातृभाषा से ममत्व और मां की याद जुड़ी रहती है। हम सभी भाषा को जाने समझे लेकिन अपनी मातृभाषा को महत्व दें। संगोष्ठी में डॉ वीणा प्रियदर्शनी, डॉ अनिता चौधरी, डॉ भारती कुमार, डॉ अंजुम आरा ने भी अपने विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी में विद्यार्थियों की ओर से श्वेता झा, मानसी कुमारी, शकुंतला कुमारी, प्रीति, रुखसार, नरगिस, नाहिद, हिना, फरहा, बुसरा, नगमा, फैजा, निसत आदि छात्राओं ने कविता, भाषण, गज़ल, शेर, नज्म आदि का पाठ किया। प्रतियोगिताएं भी आयोजितइस अवसर पर कुछ प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गयी थी। जिसमें सेमेस्टर 5 की छात्राओं ने स्वरचित कविता में खुशबू कुमार को प्रथम, निधि कुमारी को द्वितीय और पुतुल कुमारी को तृतीय पुरस्कार मिला। सेमेस्टर 2 की छात्राओं को निबंध प्रतियोगिता में शिवानी प्रधान प्रथम, पूजा कुमारी द्वितीय, सुनीत सोरेन को तृतीय पुरस्कार मिला। सेमेस्टर 1 की छात्राओं के लिए भी निबंध प्रतियोगिता थी जिसमें सरबजीत कौर को प्रथम, संगीत महतो द्वितीय और प्रिया कुमारी को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। संगोष्ठी का संचालन डॉ फिरदौस जाबीन और धन्यवाद ज्ञापन सेमेस्टर 5 की छात्रा शिल्पा दास ने किया। इस अवसर पर शिक्षिका डोरीस दास, परिणती प्रभा एका, अनामिका कुमार, सुनीता बंकिरा सहित सैकड़ों की संख्या में छात्राएं उपस्थित थीं।